Saturday, September 7, 2024
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जागेश्वर धाम में शाम की आरती के बाद हंगामा, पुलिस ने सुलझाया मामला

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जागेश्वर धाम में शाम की आरती के बाद हंगामा
photo from Report Ring

जागेश्वर, अल्मोड़ा। शुक्रवार शाम को जागेश्वर धाम में एक अजीब घटना घटी। शाम की आरती समपन्न होने के बाद मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ लोगों ने मंदिर का मुख्य गेट खुलवाने के लिए हंगामा खड़ा कर दिया। ये लोग मंदिर के मुख्य गेट पर चढक़र मंदिर में घुसने का प्रयास करने लगे। सुरक्षा कर्मियों और पुजारियों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो वे उनसे भी उलझ गए।

मंदिर समिति की ओर से आरती सम्पन्न कराने के बाद मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया था। लेकिन पीलीभीत से कुछ महिलाएं और युवक मुख्य द्वार पर पहुंचे और द्वार खोलकर अंदर जाने लगे। परम्परा के अनुसार जागेश्वर धाम में शाम की आरती समपन्न होने के बाद मंदिर का मुख्य गेट बंद कर दिया जाता है और किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में दर्शन भी नहीं कराए जाते हैं।

सुरक्षा कर्मियों और पुजारियों ने गेट खोलने से मना किया तो वे लोग हंगामा करने लगे। इस बीच दोनों पक्षों में नोंकझोंक हुई। मौके पर सभी पुजारी और व्यापारी भी एकत्र हो गए। बाहर से आए लोगों ने मुख्य द्वार पर चढक़र भी हंगामा किया।

सूचना मिलने पर दन्या थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत कराया। मंदिर समिति की प्रबंधक ज्योत्सना ने बताया कि श्रद्धालुओं ने जबरन मंदिर में घुसने की कोशिश की। इसकी जानकारी पुलिस को दी गई।

भर्ती 2024: उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024 | उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने निकाली भर्ती

उत्तराखंड निकाय चुनाव: नई समय सारिणी के साथ स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी

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उत्तराखंड निकाय चुनाव

नैनीताल: उत्तराखंड सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव के लिए नई समय सारिणी जारी कर दी है। इसके अनुसार, स्थानीय चुनाव की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी, जबकि निर्वाचन प्रक्रिया 25 दिसंबर को पूरी होगी। निदेशक शहरी विकास नितिन भदौरिया के शपथपत्र के बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव से संबंधित जनहित याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है।

पूर्व में सरकार ने 25 अक्टूबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का शपथपत्र दिया था। लेकिन अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ नगरपालिका के नगर निगम में अपग्रेड होने के बाद सरकार को नया कार्यक्रम बनाना पड़ा। अब उत्तराखंड में स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया 25 अक्टूबर तक पूरी नहीं होगी।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में नया शपथपत्र पेश कर बताया है कि राज्य में नए राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर सेवानिवृत्त आइएएस सुशील कुमार की नियुक्ति हो चुकी है। जबकि 11 स्थानीय निकायों के परिसीमन की प्रक्रिया तीन सितंबर से शुरू हो चुकी है। यह प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा के भीतर 31 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी।

भर्ती 2024 : उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024 – उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने निकाली भर्ती

उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024 | उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने निकाली भर्ती

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उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024

देहरादून: सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले लोगो के लिए खुशखबरी हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग हरिद्वार ने उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं। महाधिवक्ता कार्यालय, नैनीताल में समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी के रिक्त कुल 04 पदों पर सीधी भर्ती (परीक्षा माध्यम) द्वारा उपयुक्त अभ्यर्थियों के चयन हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं।

उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी भर्ती 2024 का विवरण:-

  1. पदनाम- समीक्षा अधिकारी
    विभाग – महाधिवक्ता कार्यालय, उत्तराखण्ड, नैनीताल
    पदों की संख्या – 02
    वेतनमान – 47,600-1,51,100, लेवल-8
    पद का स्वरूप – समूह ‘ग’ / अराजपत्रित / अंशदायी पेंशनयुक्त / स्थायी
    शैक्षिक अर्हताएं – स्नातक उपाधि या समकक्ष कोई अर्हता।
    अधिमानी अर्हता – अन्य बातों के समान होने पर सीधी भर्ती के मामले में ऐसे अभ्यर्थी को अधिमान दिया जायेगा, जिसनेः-
    (1) प्रादेशिक सेना में दो वर्ष की न्यूनतम अवधि तक सेवा की हो, या
    (2) राष्ट्रीय कैडेट कोर का ‘सी’ अथवा ‘बी’ प्रमाण पत्र प्राप्त किया हो।
    आयु सीमा – न्यूनतम आयु सीमा-21 वर्ष, अधिकतम आयु सीमा-42 वर्ष।
  2. पदनाम- सहायक समीक्षा अधिकारी
    विभाग – महाधिवक्ता कार्यालय, उत्तराखण्ड, नैनीताल
    पदों की संख्या – 02
    वेतनमान – 44,900-1,42,400, लेवल-7
    पद का स्वरूप – समूह ‘ग’ / अराजपत्रित / अंशदायी पेंशनयुक्त / स्थायी
    शैक्षिक अर्हताएं – स्नातक या समकक्ष कोई अर्हता
    अधिमानी अर्हता – अन्य बातों के समान होने पर सीधी भर्ती के मामले में ऐसे अभ्यर्थी को अधिमान दिया जायेगा, जिसनेः-
    (1) प्रादेशिक सेना में दो वर्ष की न्यूनतम अवधि तक सेवा की हो, या
    (2) राष्ट्रीय कैडेट कोर का ‘सी’ अथवा ‘बी’ प्रमाण पत्र प्राप्त किया हो।
    आयु सीमा – न्यूनतम आयु सीमा-21 वर्ष, अधिकतम आयु सीमा-42 वर्ष।

Online Application Form Link: https://ukpsc.net.in

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धूम धाम से मनाया जायेगा महासू देवता का जागड़ा मेला, जानिए जागड़ा मेला के बारे में

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जागड़ा मेला

जौनसार के लोकदेवता महासू देवता के देवालय हनोल में प्रतिवर्ष  भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को हरतालिका तीज पर विशाल जागड़ा पर्व मनाया जाता है। जौनसार बावर, रंवाई-जौनपुर, हिमाचल के जुब्बल-कोटखाई, नेरवा-चौपाल, और अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु  इस विशाल  जागड़ा मेला का आनंद लेने और देवदर्शन के लिए आते हैं। 2024 में जागड़ा मेला 6 सितम्बर और 07 सितंबर 2024  को मनाया जाएगा।

क्या है जागड़ा मेला –

जागड़ा का अर्थ होता है ,रात्रि जागरण। जांगड़ा उत्सव ,उत्तराखंड  गढ़वाल मंडल के देहरादून जिले में जौनसार बावर क्षेत्र के टौंस नदी के तट पर हनोल में स्थित लोकदेवता महासू से सम्बंधित एक धार्मिक उत्सव है। इस मेले या उत्सव का आयोजन हनोल में महासू देवता के मंदिर में भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया – चतुर्थी को किया जाता है। जागड़ा उत्सव महासू  देवता की विशेष पूजा होता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर महासू देवता का रात भर पूजा पाठ ,स्तुति करते हैं। और रात भर जागरण करते हैं। सुबह पुजारी महासू देवता की मूर्ति को यमुना में स्नान के लिए बाहर लाते हैं।
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भक्तजन देवडोली का दर्शन करते हैं। और लोकवाद्यों की मधुर ध्वनि के साथ देवडोली को  यमुना में स्नान के लिए लेकर जाते हैं। देवता को यमुना और भद्रीगाड़ में बारी -बारी से स्नानं कराया जाता है। देवता की डोली को एक बार उठाने के बाद मंदिर में ही उतारते हैं। बीच में डोली को उतारने का कोई प्रावधान नहीं हैं। भक्तलोग बारी -बारी से कन्धा बदलकर बिना डोली जमीन पर उतारे मंदिर तक पंहुचा देते हैं। दयाड़ो वादन पर मंदिर में महिलाएं लोक नृत्य प्रस्तुत करती हैं। मंदिर में पुनः स्थापना के बाद देवता की पूजा होती है। पूजा की समाप्ति के बाद व्रती व्रत ख़त्म करके भोजन करते हैं।
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जागड़ा उत्सव के अवसर पर महासू देवता मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है।

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कैलुवा विनायक – यहाँ हिमालयी क्षेत्र के द्वारपाल के रूप में पूजित हैं गणपति।

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कैलुवा विनायक

कैलुवा विनायक – भगवान गणेश का जन्मदिन गणेश चतुर्थी आ रही है और उत्तराखंड की सर्वमान्य लोकदेवी नंदा देवी का जन्मोत्सव नंदा अष्टमी के उपलक्ष में नंदा लोकजात का आयोजन चल रहा है। नंदा राजजात एशिया की सबसे लम्बी पैदल यात्रा है। यह राजजात बारह वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। नंदा राजजात पहाड़ अनेक पड़ावों से होते हुए हिमालयी क्षेत्र में प्रवेश करती है। और हिमालयी क्षेत्र में प्रवेश से पहले एक पड़ाव पड़ता है कैलुवा विनायक। जैसा की नाम से स्पष्ट है विनायक मतलब है यह पड़ाव भगवान् गणेश से जुड़ा है।

कैलुवा विनायक –

नन्दा राजयात्रा के मध्य में पड़ने वाला यह स्थान गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद के अन्दर आता है। मार्ग में बेदिनी बुग्याल एवं पातर नचौणी के बाद इसकी दूरी लगभग 5 किमी. होगी तथा समुद्रतल से इस स्थान की ऊंचाई लगभग 15000 फीट की होगी। यहां पर गणेश को समर्पित एक मंदिर है जिसे कैलुवा विनायक कहा जाता है। यहां पर गणेश की हरे पत्थर की एक मूर्ति है जिसका आकार 58x48x13 सेमी. आंका गया है। मूर्ति में गणेश को चतुर्भुज, त्रिनेत्र, एकदन्त एवं गजवदन उत्कीर्ण किया गया है।

कैलुवा विनायक - यहाँ हिमालयी क्षेत्र के द्वारपाल के रूप में पूजित हैं गणपति।

शायद इसके हरित वर्ण को ही श्याम वर्ण मानकर इसे कैलुवा नाम दे दिया गया हो। गणेश को प्रणाम करने के बाद ही राजयात्रा रहस्यमय रूपकुण्ड की ओर अग्रसर होती है जो यहां से लगभग 5 किमी. होगा। यहाँ स्थापित गणेश की मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना लगभग आठवीं शताब्दी में की गई होगी। यह मूर्ति किसने स्थापित की यह निश्चित कह पाना मुश्किल है।

बुजर्ग लोगों के अनुसार प्राचीन काल में बुग्याली क्षेत्रों में चरवाहों द्वारा विनायक ( विनेक ) स्थापित करने की परम्परा रही है। चरवाह मार्ग रक्षण और मार्ग पहचान के रूप में माना जाता था। पहाड़ी जंगली क्षेत्र में बूढी देवी या कठपतिया देवी स्थापना की भी परंपरा रही है।

कैलुवा विनायक - यहाँ हिमालयी क्षेत्र के द्वारपाल के रूप में पूजित हैं गणपति।

हिमालयी क्षेत्र में प्रवेश के लिए कैलुवा विनायक से अनुमति मांगी जाती है –

भगवान् गणेश की उत्पत्ति माँ पार्वती के द्वारपाल के रूप में मानी जाती है। और कैलुवा विनायक में भी भगवान गणेश हिमालयी क्षेत्र के द्वारपाल के रूप में पूजे जाते है। जब पार्वती स्वरूपा माँ नंदा की राजजात यहाँ पहुँचती है तो पुरे विधि विधान से कैलुवा विनायक की पूजा करके उनसे हिमालयी क्षेत्र में प्रवेश की आज्ञा ली जाती है और यात्रा के निर्विघन पूर्ति का वरदान मांगते हैं।

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केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर कुंड पुल खुला, छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू

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केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर कुंड पुल खुला, छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू
फोटो फ्रॉम सोशल मीडिया

रुद्रप्रयाग: श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग का महत्वपूर्ण पड़ाव कुंड पुल छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए खुल गया है। भारी वाहनों को अभी चुन्नी बैंड वाले वैकल्पिक मार्ग से ही जाना होगा। पुल के समीप प्रस्तावित बेली ब्रिज के निर्माण का कार्य भी तेजी से चल रहा है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी श्री सौरभ गहरवार ने राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के साथ पुल को सुरक्षित करने एवं यातायात जल्द शुरू करने का कार्य किया। अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग श्री निर्भय सिंह ने बताया कि पुल के आधार को मजबूत करने के लिए कंक्रीट दीवार का निर्माण किया गया है। पुल की मजबूती बढ़ाने एवं परखने के बाद आज से छोटे वाहनों के लिए पुल खोल दिया गया है।

विकल्प के तौर पर पुल से बैराज की ओर 10 मीटर की दूरी पर बेली ब्रिज स्थापित करने की योजना भी बनाई गई है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कार्य भी शुरू कर दिया गया है। करीब 70 मीटर स्पान का पुल तैयार किया जा रहा है जिसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को अप्रूव करने भेजा गया है।

यात्रा मार्ग पर संगम सुरंग का मरम्मत कार्य भी लगभग पूर्ण होने वाला है। 15 सितंबर तक सुरंग आवाजाही के लिए खोल दी जाएगी। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच वॉशआउट क्षेत्र में भी छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू करने के लिए तेजी से कार्य चल रहे हैं। अनुकूल मौसम अनुसार छोटे वाहनों की आवाजाही यहां भी शुरू हो जाएगी।

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जमरानी परियोजना की समीक्षा बैठक, 15 सितंबर से शुरू होगा काम आयुक्त दीपक रावत ने दिए निर्देश
फोटो फ्रॉम कुमाऊं जनसन्देश

हल्द्वानी: आयुक्त दीपक रावत ने कैंप कार्यालय हल्द्वानी में राजस्व और जमरानी बांध के अधिकारियों के साथ बहुप्रतीक्षित जमरानी परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक ली। आयुक्त ने कहा कि इस परियोजना से हल्द्वानी शहर में सिंचाई, एवं पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ होगी जिसका लाभ यहां के लोगों को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के दो और उत्तराखंड के दो यानि कुल 04 जिलों में 57065 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई की जाएगी। यूपी के जिला रामपुर और बरेली को 47607 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई का पानी मिलेगा जबकि उत्तराखंड के नैनीताल और यूएस नगर जिलों को 9458 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान की जाएगी।

परियोजना से हल्द्वानी शहर को 117 एमएलडी पेयजल उपलब्ध कराया जाना है जिसको वर्ष 2051 में हल्द्वानी और काठगोदाम शहर की अनुमानित जनसंख्या 10.65 लाख को देखते हुए इसका आकलन किया गया है।

बैठक में अपर जिलाधिकारी पी आर चौहान ने बताया कि बांध प्रभावितों को सोमवार से मुआवजा वितरित करने की योजना है। डीजीएम बीबी पांडेय ने बताया कि जमरानी बांध परियोजना के पहले चरण का कार्य 15 सितंबर से शुरू कर दिया जायेगा। लगभग 3700 करोड़ रुपए की लागत से 2029 तक निर्माण कार्य पूरा होना है।

उन्होंने बताया की पुनर्वास स्थल prag फार्म में अवस्थापना कार्य के लिए टाउन शिप प्लानिंग का कार्य wapcos लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में सर्वे का कार्य पूरा कर मास्टर प्लान तैयार करने का कार्य गतिमान है। बांध निर्माण कार्य हेतु सर्वप्रथम संपर्क मार्ग बनाया जाएगा और बरसाती सीजन में कार्य सुचारू रूप से संचालित किए जाने के लिए गोला नदी का जल निकासी हेतु दो ऑफर डैम और टनल बनाई जाएगी।

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स्वच्छता ही सेवा अभियान: मुख्य सचिव ने दिए अधिकारियों को निर्देश

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स्वच्छता ही सेवा अभियान: मुख्य सचिव ने दिए अधिकारियों को निर्देश
फोटो फ्रॉम सोशल मीडिया

देहरादून: मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के प्रभावी व सफल संचालन के लिए अधिकारियों को प्रदेशभर में जनभागीदारी, जागरूकता, एडवोकेसी के साथ सार्वजनिक व व्यावसायिक स्थलों, कार्यालयों, संस्थानों, सड़कों, राजमार्गों, बाजारों, ट्रैकिंग व कैंपिंग स्थलों व अन्य पर्यटन व धार्मिक स्थलों में बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने अभियान में स्वयं सहायता समूहों व एनजीओ की भागीदारी भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, उन्होंने चारधाम मार्गों में मलबे की समस्या के समाधान के लिए चारधाम रूट पर डंपिंग जोन हेतु उचित स्थानों के चिन्हीकरण के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने सचिव पेयजल व जिलाधिकारियों को सभी एसटीपी के निरीक्षण व जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी एसटीपी को ड्रेनेज सिस्टम से जोड़ने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश सभी डीएम को दिए।

सफाई मित्रों की सामाजिक सुरक्षा व बीमा के मुद्दे पर संवेदनशीलता से कार्य करने की हिदायत देते हुए सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि स्वच्छता ही सेवा अभियान के दौरान सफाई मित्रों के लिए व्यापक स्तर पर सिंगल विंडो कैम्प लगाकर उनकी सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच बढ़ाकर कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाए।

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को सफाई मित्रों के लिए हेल्थ कैम्प लगाकर स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं, जांच व उपचार के साथ ही अन्य सभी सम्बन्धित विभागों की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

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इस अभियान के माध्यम से सरकार का उद्देश्य प्रदेश को स्वच्छ व स्वस्थ बनाना है, जिसमें सभी नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है।

उत्तराखंड: प्रदेश में हुआ बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, कई जिलों के डीएम बदले गए

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उत्तराखंड: प्रदेश में हुआ बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, कई जिलों के डीएम बदले गए

देहरादून: उत्तराखंड में देर रात एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल में कई जिलों के जिलाधिकारी बदले गए हैं। इस फेरबदल में कई वरिष्ठ अधिकारियों को नए पदभार सौंपे गए हैं। इस फेरबदल में सबसे महत्वपूर्ण फैसला कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को सचिव सीएम की जिम्मेदारी सौंपना है। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।

अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

हरिद्वार: हरिद्वार के डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल के स्थान पर कर्मेंद्र सिंह को नया डीएम बनाया गया है।
देहरादून: देहरादून के डीएम सोनिका के स्थान पर सविन बंसल को नया डीएम बनाया गया है।
पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ की डीएम रीना जोशी के स्थान पर विनोद गिरी गोस्वामी को नया डीएम बनाया गया है।
बागेश्वर: बागेश्वर की डीएम अनुराधा पाल का तबादला अपर सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पद पर किया गया है। उनकी जगह आशीष भटगई को भेजा गया है।
चमोली: चमोली के डीएम हिमांशु खुराना का तबादला मुख्य कार्याधिकारी पीएमजीएसवाई व सचिव सेवा का अधिकार आयोग के पद पर किया है, उनकी जिम्मेदारी संदीप तिवारी को दी गई है।
अल्मोड़ा: अल्मोड़ा के डीएम विनीत तोमर का तबादला एमडी प्रबंधन केएमवीएन के पद पर किया है, अल्मोड़ा आलोक कुमार पांडे को भेजा है।

इस प्रशासनिक फेरबदल में कुल 32 अधिकारियों का तबादला किया गया है। इन तबादलों से राज्य के प्रशासनिक ढांचे में काफी बदलाव आएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फेरबदल राज्य सरकार की विकास योजनाओं को गति देने के लिए किया गया है। नए अधिकारियों से उम्मीद है कि वे अपने पदों पर बेहतर प्रदर्शन करेंगे और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

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इस फेरबदल को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इस फेरबदल से खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि नए अधिकारी राज्य के विकास में तेजी लाएंगे। वहीं, कुछ लोग इस फेरबदल से नाखुश हैं और उन्हें लगता है कि पुराने अधिकारियों को हटाना सही नहीं था।

लालकुआँ रेलवे स्टेशन पर QR Code से टिकट भुगतान की सुविधा शुरू

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लालकुआँ रेलवे स्टेशन पर QR Code से टिकट भुगतान की सुविधा शुरू

लालकुआँ: लालकुआँ रेलवे स्टेशन पर अब यात्री QR Code स्कैन कर आसानी से टिकट का भुगतान कर सकेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए लालकुआं रेलवे स्टेशन पर पीआरएस काउंटर पर टिकट का भुगतान करने के लिए QR Code डिवाइस लगाई है।

इससे पहले यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान की सुविधा ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए उपलब्ध थी लेकिन अब इस क्यूआर डिवाइस के लगने से रेल यात्रियों को फायदा होगा। यात्रियों के लिए यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान करने की सुविधा मिल सके, इसके लिए रेलवे आरक्षण केंद्र में QR Code डिवाइस लगाई गई है। इसके बाद यात्रियों को नकद एवं फुटकर पैसों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा तथा टिकट देने में लगने वाले समय में कमी आएगी। यह कदम डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और यात्रियों को एक सहज और सुविधाजनक यात्रा अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पहले दिन लालकुआँ से दिल्ली के लिए 15036 एक्सप्रेस ट्रेन में छह सितंबर का पहला टिकट बुक किया गया। इस सुविधा से यात्रियों में काफी उत्साह देखा गया। यात्रियों ने इस सुविधा को काफी उपयोगी बताया और कहा कि इससे उनका समय बचेगा और उन्हें नकद ले जाने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी।

इस नई सुविधा से यात्रियों को कई तरह के फायदे होंगे, जैसे:

  • समय की बचत: QR Code स्कैन करने से टिकट लेने में लगने वाला समय कम होगा।
  • सुविधा: यात्रियों को नकद या कार्ड ले जाने की जरूरत नहीं होगी।
  • सुरक्षा: डिजिटल भुगतान से नकदी ले जाने के जोखिम से बचा जा सकेगा।
  • पर्यावरण संरक्षण: नकदी के लेन-देन कम होने से पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।

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पूर्वोत्तर रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा के लिए नए-नए उपाय कर रहा है। QR Code डिवाइस लगाने के साथ ही रेलवे ने स्टेशन पर कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान की हैं। लालकुआँ रेलवे स्टेशन पर QR Code से टिकट भुगतान की सुविधा शुरू होने से यात्रियों को काफी फायदा होगा। यह कदम डिजिटल भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।