Friday, December 27, 2024
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विकसित उत्तराखण्ड @ 2047: मुख्य सचिव ने की विजन डाक्यूमेंट की समीक्षा

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विकसित उत्तराखण्ड @ 2047: मुख्य सचिव ने की विजन डाक्यूमेंट की समीक्षा

देहरादून: सचिवालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने “विकसित उत्तराखण्ड @ 2047” के तहत विजन डाक्यूमेंट तैयार करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी नीतियों की समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे राज्य में बेहतरीन संभावनाओं वाले क्षेत्रों की पहचान करें और उन्हें ग्रोथ इंजन के रूप में चिन्हित करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्वतीय कृषि, जैविक कृषि, एरोमेटिक व जड़ी-बूटियां, आयुष, रिन्युएबल एनर्जी, वन सम्पदा, पर्यटन और आईटी व एमएसएमई को पहले ही ग्रोथ ड्राइवर के रूप में चिन्हित किया जा चुका है।

बैठक में चर्चा के दौरान मुख्य सचिव ने होर्टीकल्चर और जैविक खेती को मुख्य ग्रोथ ड्राइवर के रूप में महत्व देने की बात की। उन्होंने कहा कि उच्च मूल्य वाली फसलों जैसे सगंधित और औषधीय पौधों, पॉलीहाउस-खेती, बागवानी फसलों, केसर, सेब और कीवी फल की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और कृषि-पर्यटन को एकीकृत करने पर भी जोर दिया गया।

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मुख्य सचिव ने आयुष विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि आयुष और वेलनेस हब की अपार संभावनाओं का लाभ उठाया जाए। उन्होंने बताया कि राज्य में 900 हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती हो रही है, जिससे 30 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है। विजन 2047 के तहत उत्तराखण्ड को देश का प्रमुख आयुष गंतव्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्य सचिव ने पर्यटन को भी राज्य के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया, जो जीएसडीपी में 10-12 प्रतिशत का योगदान देता है और 4 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है। उन्होंने राज्य के प्रमुख इको-टूरिज्म हॉटस्पॉट्स की जानकारी साझा की, जिसमें फूलों की घाटी, बिनसर वन्यजीव अभयारण्य और नंदा देवी बायोस्फीयर शामिल हैं।

इस बैठक में लिए गए निर्णयों से स्पष्ट है कि उत्तराखण्ड सरकार विकसित भारत @ 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ठोस कदम उठा रही है, जिससे राज्य का समग्र विकास और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

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38वें राष्ट्रीय खेलों में योग और मलखंभ का समावेश, मुख्यमंत्री ने किया शुभंकर समारोह का उद्घाटन

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38वें राष्ट्रीय खेलों में योग और मलखंभ का समावेश
38वें राष्ट्रीय खेलों में योग और मलखंभ का समावेश

देहरादून: 38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर समारोह में योग और मलखंभ जैसे पारंपरिक खेलों को राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बनाने की घोषणा की गई। यह निर्णय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के आग्रह पर भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा लिया गया।

रविवार को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर, देहरादून में आयोजित भव्य समारोह में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा ने इस महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर प्रतीक मौली, लोगो, जर्सी, एंथम और टैगलाइन का अनावरण किया। राष्ट्रीय खेलों के लिए टैगलाइन “संकल्प से शिखर तक” घोषित की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिन उत्तराखंड के खेल इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है और उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद प्रकट किया, जिन्होंने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का लोगो उत्तराखंड की विविधता को प्रदर्शित करता है और एंथम खिलाड़ियों को प्रेरित करता है। शुभंकर मोनाल, जो राज्य पक्षी है, प्रदेश की विशिष्टता को दर्शाता है और युवा खिलाड़ियों को बड़े लक्ष्यों के लिए प्रेरित करता है।

38वें राष्ट्रीय खेलों में योग और मलखंभ का समावेश, मुख्यमंत्री ने किया शुभंकर समारोह का उद्घाटन
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया शुभंकर समारोह का उद्घाटन

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए लगभग ₹500 करोड़ का प्रावधान किया है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे खेल स्टेडियमों के निर्माण की योजना का भी उल्लेख किया, जिससे स्थानीय खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।

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केंद्रीय खेल राज्यमंत्री रक्षा खडसे ने कहा कि देश के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और उत्तराखंड के खिलाड़ी प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड को खेल विकास में पूरी मदद देने का आश्वासन दिया।

डॉ. पीटी उषा ने उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए शुभकामनाएं दीं और मुख्यमंत्री के नेतृत्व की सराहना की। खेल मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने भी इस आयोजन को उत्साहित करने वाला बताया।

इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिसमें कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज, विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, और राज्य ओलंपिक संघ के अध्यक्ष श्री महेश नेगी शामिल थे। संचालन का कार्य श्री आरजे काव्य ने किया।

इस प्रकार, 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो न केवल खेलों के विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रदेश के खिलाड़ियों को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होगा।

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10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 का सफल समापन

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10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 का सफल समापन
10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024

देहरादून: देहरादून में आयोजित 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 का समापन 15 दिसंबर 2024 को हुआ। इस चार दिवसीय आयोजन का उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था, जबकि समापन महामहिम राज्यपाल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के आयुर्वेद विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, प्रैक्टिशनर्स और शिक्षाविदों ने भाग लिया।

इस कांग्रेस का उद्देश्य आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करना और वैश्विक मंच पर आयुर्वेद को मजबूती से स्थापित करना था। विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन, आयुष मंत्रालय और उत्तराखण्ड सरकार के समन्वय से आयोजित इस कार्यक्रम में आयुर्वेद से संबंधित कई महत्वपूर्ण सत्र संपादित किए गए।

कांग्रेस के चौथे दिन, फ्री आयुष क्लीनिक में 1576 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और आवश्यक औषधियां वितरित की गईं। आरोग्य एक्सपो में आयुर्वेद से संबंधित विभिन्न कंपनियों जैसे हिमालय वैलनेस, पतंजलि वेलनेस, सोमथीराम आयुर्वेद ग्रुप, धूतपापेश्वर लि., मुल्तानी, डाबर लि. आदि के स्टॉल भी लगाए गए थे।

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इस आयोजन में विभिन्न हॉल में कुल 3140 प्रतिभागियों ने भाग लिया। अलकनंदा हॉल में 27, भागीरथी हॉल में 28, मन्दाकिनी हॉल में 39, पिंडर हॉल में 33, नंदाकिनी हॉल में 35, धौलीगंगा हॉल में 26, कोसी हॉल में 41 और गिरी हॉल में 46 वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए गए। डॉ. सिनिमोल टी.पी. को मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND) के प्रारंभिक लक्षणों के प्रबंधन पर उनके वीडियो प्रस्तुतीकरण के लिए बेस्ट पेपर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस दौरान इटली के डॉ. अंटोनिओ ईश्वर मरांडी ने विज्ञान और आध्यात्मिकता के सामंजस्य पर व्याख्यान दिया। उन्होंने G.A.N.E.S.H. (Global Ayurvedic Network for Excellence in Science Harmonisation) का विचार प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान को एकीकृत कर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना है। यह वैश्विक आयुर्वेद नेटवर्क आयुर्वेद को एक मानक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने की दिशा में प्रयास करेगा, जिससे यह आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ प्रभावी रूप से जुड़ सके।

इस प्रकार, 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 ने आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

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कौन हैं पहाड़ियों के इष्टदेवता या कुलदेवता।

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इष्टदेवता

वैसे तो कुलदेवता का अर्थ होता है ,मान्य ,आदरणीय ,पूज्य देवशक्ति। किन्तु उत्तराखंड के सन्दर्भ में इष्टदेवता का अर्थ होता है वे देवी देवता जो किसी परिवार या वर्ग विशेष द्वारा अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए वंशागत रूप में उस देवता की पूजा की जाती है।

कौन हैं पहाड़ियों के इष्टदेवता :

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में इष्टदेवता के प्रतीकात्मक लिंग या त्रिशूल घरों की कक्षों या ताखों में स्थापित किये जाते हैं। घरों की मुंडेर पर भी इन पाषाणी लिंगो की स्थापना की जाती है। लेकिन इसके बिपरीत कुमाऊं मंडल में एक निश्चित स्थानों पर इनकी स्थापना की गई होती है। ये पौराणिक देवी देवताओं से काफी अलग होते हैं ,लेकिन कई इष्टदेवता कहीं न कहीं पौराणीक देवताओं से भी जुड़े होते हैं। प्रत्येक परिवार या कुल का अपना इष्टदेवता होता है।

अपने परिवार या कुल की रक्षा के लिए और इष्टदेवता की अपने कुल पर अनुकम्पा बनाये रखने के लिए विभिन्न प्रकार के भौतिक और दैविक अनुष्ठान और पूजा करते हैं। कुलदेवता की इस पूजा ,उस कुल से सम्ब्नध रखने वाले सभी परिवारों का सम्मलित होना आवश्यक है। चाहे वे कही भी रहे या नौकरी के लिए कहीं भी रह रहे हों । इस प्रकार की पूजाओं को वर्ष में एक बार या वर्ष में दो बार सम्मूर्ण किया जाता है।

विद्वानों का मानना है कि यह परम्परा शायद उस कबीलाई युग की देन है ,जब प्रत्येक कबीले के सभी सदस्यों का सम्मलित होना उनके एकता का बोधक होता था। हुआ करता था। इसके लिए  जागर अथवा घड़ियाले का आयोजन करके पस्वा विशेष में उसका अवतरण कराकर देवनृत्य के रूप में उसे नचाया जाता है। उससे पारिवारिक विपत्तियों के कारणों को जानकर उनके निवारण के कारणों को भी पूछा जाता है।

इष्टदेवता

रांसू-मण्डाण लगाया जाता है। पूजा में पशुबलि भी चढ़ाई जाती है। जबकि पौराणिक देवताओं के सम्बन्ध में ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता है। पूजा भी सात्विक रूप में फल, मिष्ठान्न, धूप-दीप, नैवेद्य के द्वारा ही सम्पन्न की जाती है। इसके अतिरिक्त कुलदेवता की एक अन्य महत्वपूर्ण भूमिका भी होती थी जोकि कुल विशेष में उत्पन्न विवादों को निपटाने में न्यायालय का भी कार्य करती थी ।

संदर्भ – उत्तराखंड ज्ञानकोष ,प्रो DD शर्मा। 

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घात डालना – पहाड़ में न्याय के लिए देव द्वार में गुहार लगाना।

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सुनारा गांव के प्रधान कुलदीप रावत को मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान

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सुनारा गांव के प्रधान कुलदीप रावत

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी जिले के नौगांव विकासखंड के सुनारा गांव के निवर्तमान प्रधान कुलदीप रावत को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जाएगा। कुलदीप रावत को यह सम्मान केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है। ग्राम पंचायत के अधीन स्थापित इस समिति का मुख्य उद्देश्य गांव में जल आपूर्ति से जुड़े कार्यों का प्रभावी प्रबंधन, संचालन और रखरखाव करना है।

सुनारा गांव के प्रधान कुलदीप रावत ने बताया कि उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम ने ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति में उनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए उनके नाम का चयन किया है। वे बताते हैं, “यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। मुझे उम्मीद है कि यह सम्मान अन्य ग्राम प्रधानों को भी प्रेरित करेगा।”

उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता मधुकांत कोटियाल ने बताया कि विभागीय सर्वेक्षण के आधार पर पेयजल संचालन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले प्रधानों में कुलदीप रावत का नाम सबसे आगे रहा। उन्होंने बताया कि कुलदीप रावत ने जल जीवन मिशन को सफल बनाने में अहम योगदान दिया है।

जल जीवन मिशन के तहत सुनारा गांव में पेयजल की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। गांव के हर घर में अब स्वच्छ पेयजल उपलब्ध है। ग्राम प्रधान कुलदीप रावत ने बताया कि इस योजना के तहत गांव में जल संरक्षण के लिए भी कई उपाय किए गए हैं।

कुलदीप रावत को मिलने वाला यह राष्ट्रीय सम्मान पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण है। यह दिखाता है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी में 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो-स्प्रिंट चैंपियनशिप का समापन समारोह किया

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी में 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो-स्प्रिंट चैंपियनशिप का समापन समारोह किया

टिहरी गढ़वाल: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कोटी कॉलोनी, टिहरी गढ़वाल में 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो-स्प्रिंट चैंपियनशिप के समापन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने टिहरी वाटर स्पोर्ट्स कप 2024 के विजेताओं को ट्रॉफी और मेडल देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने समारोह में कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की, जिसमें मेडिकल कॉलेज नई टिहरी की सड़कों का हॉट मिक्सिंग, नई टिहरी में मल्टी पार्किंग का निर्माण, जिला मुख्यालय में खेल मैदान का निर्माण और टिहरी-चंबा क्षेत्र के लिए 50 साल के दृष्टिकोण से पेयजल पंपिंग योजना का निर्माण शामिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी झील ऊर्जा उत्पादन, जल प्रबंधन, पर्यटन और साहसिक खेलों के लिए महत्वपूर्ण है, जो प्रदेश की आर्थिकी और रोजगार को बढ़ाने में सहायक है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से रोजगार और आर्थिकी को मजबूती मिलेगी और आने वाले समय में टिहरी विकास के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

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उन्होंने खेलों के महत्व पर भी जोर दिया, यह कहते हुए कि खेल शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ अनुशासन की भावना भी विकसित करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिससे देश में खेल संस्कृति को प्रोत्साहन मिला है।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में जल्द ही एक खेल विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा, जिससे खिलाड़ियों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण और सुविधाएं मिल सकेंगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का गौरव प्राप्त हुआ है, जिसके लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी में 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो-स्प्रिंट चैंपियनशिप का समापन समारोह किया

इस अवसर पर विधायक टिहरी श्री किशोर उपाध्याय, विधायक घनसाली श्री शक्ति लाल शाह, जिला अध्यक्ष भाजपा श्री राजेश नौटियाल, प्रदेश महामंत्री भाजपा श्री आदित्य कोठारी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेल ग्रीन गेम्स थीम पर आधारित होंगे, जो राज्य को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाएंगे।

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उत्तराखंड के लोकनृत्य पर निबंध।

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लोकनृत्य

लोकनृत्य किसी समाज या संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले नृत्य होते हैं ,जो किसी व्यक्ति विशेष द्वारा सृजित न होकर एक खास समाज या संस्कृति के लोगो द्वारा सामुहिक रूप में सृजित किये होते हैं। इनमे किसी व्यक्ति विशेष या संस्था का पेटेंट या कॉपीराइट न होकर पुरे समाज या उस संस्कृति से जुड़े लोगो का हक़ होता है। इन गीतों या नृत्यों को उस विशेष संस्कृति के लोग अपने समाज या परिवार में होने वाले विशेष अवसरों पर करते हैं। उत्तराखंड राज्य में लोक नृत्यों की परम्परा बहुत प्राचीन है। उत्तराखंड की लोक संस्कृति में विभिन्न अवसरों पर लोक गीतों के साथ लोकनृत्य करने की परम्परा है। उत्तराखंड के प्रमुख लोक नृत्य इस प्रकार है –

उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकनृत्य छोलिया नृत्य –

छोलिया नृत्य उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह नृत्य खासकर कुमाऊं मंडल में शादियों के अवसर पर किया जाने वाला लोक नृत्य है। यह नृत्य ढाल तलवार के साथ किया जाता है। यह नृत्य ढोल, दमाऊ, नगाड़ा, तुरी, मशकबीन आदि वाद्य यंत्रों की संगति पर विशेष वेश -भूषा में हाथों में सांकेतिक ढाल तलवार के साथ युद्ध कौशल का प्रदर्शन करने वाला , उत्तराखंड कुमाऊं मंडल का विशिष्ट लोक नृत्य है। इस नृत्य के बारे विस्तार से यहाँ पढ़े 

उत्तराखंड के लोकनृत्य पर निबंध।

झोड़ा नृत्य –

कुमाऊं क्षेत्र का यह नृत्य बसंत के आगमन ,होली के बाद खासकर चैत्र माह में किया जाने वाला सामूहिक नृत्य है। इसे झोड़ा चांचरी लोक गीत के साथ ,पैरो की लय ताल मिलाकर में वृत्ताकार घूम कर किया जाता है।

भड़ो नृत्य –

गढ़वाल एवं कुमाऊं क्षेत्र में ऐतिहासिक वीरों की कहानियां इस नृत्य के माध्यम से दिखाई जाती है। ऐसी मान्यता है की उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक वीरो की आत्माएं उनके वंशजो के शरीर में अवतरित होती है और उनके शरीर के माध्यम से नृत्य करती है इस लोक नृत्य को भड़ो नृत्य कहा जाता है।

रणभूत नृत्य –

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के वीरगति प्राप्त वीरों की आत्माओं की शांति के लिए यह लोक नृत्य किया जाता है। इस नृत्य को देवता घिराना भी कहते हैं।

चांचरी नृत्य –

उत्तराखंड के पहाड़ों में किया जाने वाला यह नृत्य झोड़ा नृत्य के सामान होता है। उत्तराखंड के कुमाऊं का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, चाँचरी। इसमे स्त्री और पुरुष दोनों समान नृत्य करते हैं। यह झोड़े का एक रूप है। शायद इसका उदभव झोड़े से हुवा है या झोड़े का जन्म चाँचरी से हुवा है। इसका स्वरूप झोड़ा नृत्य से काफी मिलता जुलता है। झोड़ा और चाँचरी में ज्यादा अंतर नही होता है। चांचरी के बारे में विस्तार से पढ़े 

छोपती नृत्य –

गढ़वाल का एक लोक नृत्य है। वर्तमान में यह लोक नृत्य केवल रवाई घाटी और जौनपुर तक ही सिमित रह गया है।इस नृत्य में पहले और तीसरे नर्तक के हाथ दूसरे नर्तक के कमर के पीछे जुड़े होते है।हाथों के जुड़ाव की गोल श्रृंखला नर्तक कंधे से कंधा मिलाकर जुड़े रहते हैं। इस स्थिति में सबके पैर दो कदम आगे और एक क़दम पीछे चलते हैं। इस नृत्य के साथ गाये जाने वाला गीत छोपती गीत कहा जाता है। इस नृत्य के बारे में विस्तार से पढ़े।

पांडव नृत्य –

गढ़वाल क्षेत्र में पांडवो के जीवन प्रसंगो पर आधारित नवरात्र में 09 दिन चलने वाले इस नृत्य आयोजन में विभिन्न प्रसंगो पर आधारित नवरात्र में 09 दिन चलने वाले इस नृत्य का आयोजन में विभिन्न प्रसंगो के 20 लोक नाट्य होते हैं। चक्रव्यूह ,कमल व्यूह ,गैंडी – गैंडा वध आदि नाट्य विशेष प्रसिद्ध है।

मंडाण नृत्य –

गढ़वाल क्षेत्र  में देवी देवता पूजन ,देव जात और शादी -ब्याह के मौके पर यह नृत्य होता है। देव जात और शादी व्याह के मौके पर यह नृत्य किया जाता है।

इनके अलावा उत्तराखंड के लोक नृत्यों में थड़िया नृत्य ,सरौं नृत्य , हारुल नृत्य ,बुड़ियात लोक नृत्य ,झुमेलो लोक नृत्य ,भैला लोक नृत्य प्रसिद्ध लोक नृत्य हैं।

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शीतलहर से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन की बैठक

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शीतलहर से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन की बैठक

देहरादून: उत्तराखंड के सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, श्री विनोद कुमार सुमन ने गुरुवार को सभी जिलाधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक आयोजित की, जिसमें शीतलहर के प्रभावी प्रबंधन के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की गई। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों को शीतलहर से निपटने के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई है। यदि किसी जनपद को अतिरिक्त धन की आवश्यकता हो, तो उसे तुरंत शासन को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।

बैठक में श्री सुमन ने कहा कि शीतकालीन यात्रा शुरू हो चुकी है और श्रद्धालुओं को ठंड के मौसम में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने मौसम और सड़कों की स्थिति के अनुसार यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही।

सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि जिन स्थानों पर रात के समय आवाजाही होती है, वहां अनिवार्य रूप से अलाव जलाए जाएं। इसके अलावा, रैन बसेरों में सभी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया। उन्होंने एनजीओ से सहयोग लेने की भी बात की और आम जनमानस को गर्म कपड़े और कंबल दान करने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्री सुमन ने बेसहारा पशुओं की सुरक्षा के लिए भी योजना बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और गर्भवती महिलाओं के लिए डाटाबेस बनाने का निर्देश दिया, ताकि बर्फबारी के कारण वंचित क्षेत्रों से उन्हें सुरक्षित स्थानों पर लाया जा सके।

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उन्होंने बर्फबारी के कारण बंद होने वाले मार्गों की पहचान करने और वहां जेसीबी मशीन, स्नो कटर मशीन तथा टायर चेन की व्यवस्था करने की बात कही। इसके साथ ही, पालाग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों को चिन्हित कर वहां साइन बोर्ड लगाने और चूने तथा नमक का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया।

बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी-प्रशासन, श्री आनंद स्वरूप ने कहा कि खुले में सोने वाले लोगों को रैन बसेरों में पहुंचाने के लिए एक टीम बनाई जाए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि शीतलहर के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु न हो।

अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन, डीआईजी श्री राजकुमार ने बताया कि राज्य और जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन परियोजना बनाने का कार्य जारी है। उन्होंने जिलाधिकारियों से तय फॉर्मेट में सूचनाएं भेजने का अनुरोध किया।

संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी ने रैन बसेरों में साफ-सफाई और पुरुषों और महिलाओं के लिए पृथक व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही।

इस बैठक के माध्यम से उत्तराखंड सरकार ने शीतलहर के दौरान आम जनमानस की सुरक्षा और राहत के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत की भेंट: शीतकालीन यात्रा के सफल संचालन पर चर्चा

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत की भेंट: शीतकालीन यात्रा के सफल संचालन पर चर्चा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत की भेंट

देहरादून: गुरुवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से उत्तराखण्ड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के सदस्यों और पंडा पुजारियों ने भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थलों में शीतकालीन दर्शन यात्रा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा की गई अभिनव पहल के लिए आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की इस शीतकालीन यात्रा के सफल संचालन में चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के साथ-साथ अन्य सभी संबंधित संस्थानों और संगठनों को भी सहयोगी बनना होगा। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि शीतकालीन यात्रा का सफलतापूर्वक संचालन हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यात्रा से राज्य की आर्थिकी को बढ़ाने में मदद मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

मुख्यमंत्री ने पंच बदरी और पंच केदार के साथ ही चारों धामों के शीतकालीन यात्रा प्रवास के आसपास के प्रमुख तीर्थ एवं पर्यटक स्थलों के विकास के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके अलावा, चारधाम यात्रा मार्गों के आबादी वाले क्षेत्रों में सुगम यातायात और पार्किंग की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।

महापंचायत के सदस्यों और पंडा पुजारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उत्तराखण्ड के चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद इन धामों की शीतकालीन पूजा मां यमुना की खरसाली (खुशीमठ), मां गंगा की मुखवा (मुखीमठ), केदारनाथ की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ एवं उद्धव व कुबेर की पूजा पांडुकेश्वर तथा शंकराचार्य के गद्दी स्थल ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में की जाती है।

इस बैठक में चारधाम महा पंचायत के अध्यक्ष एवं गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव श्री सुरेश सेमवाल, महासचिव श्री बृजेश सती, मीडिया प्रभारी श्री रजनीकांत सेमवाल, गंगा पुरोहित सभा के अध्यक्ष श्री संजीव सेमवाल, श्री निखिलेश सेमवाल, श्री अनिरुद्ध उनियाल, श्री जगमोहन उनियाल, श्री उमेश सती, श्री प्रशांत डिमरी सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।

इस पहल से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी आर्थिक अवसर सृजित होंगे।

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UKSSSC Group C Vacancy 2024: डीआरएस टोलिया अकादमी में निकली भर्ती

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UKSSSC Group C Vacancy 2024: डीआरएस टोलिया अकादमी में निकली भर्ती
Group C Vacancy 2024

Group C Vacancy 2024: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने नैनीताल जिले के डीआरएस टोलिया अकादमी में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। आयोग के अनुसार, नैनीताल प्रशासनिक अकादमी के अंतर्गत डिप्टी लाइब्रेरियन, लाइब्रेरी एवं सूचना सहायक, उच्च शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत सहायक लाइब्रेरियन एवं कैटलॉगर तथा उत्तराखंड राज्यपाल सचिवालय के अंतर्गत लिस्टर के रिक्त पदों (समूह ‘ग’) पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

महत्वपूर्ण तिथियां:

ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि: 11 दिसंबर 2024
ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 4 जनवरी 2025
लिखित परीक्षा की तिथि: 23 मार्च 2025

1. उप पुस्तकालयाध्यक्ष (कुल पद 1)

वेतनमानः- 100% + रू0 44,900-रू0 1,42,400 (लेवल-07)
आयु सीमाः- 21 वर्ष से 42 वर्ष तक
पद का स्वरूपः- अराजपत्रित / स्थाई / अंशदायी पेंशनयुक्त।
शैक्षिक अर्हताः-
(a) अनिवार्य अर्हताः-
1. किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि,
2. किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि, परन्तु पुस्तकालय विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि धारक को वरियता दी जायेगी,
3. कम्प्यूटर परिचालन में 01 वर्ष का डिप्लोमा।
(b) अधिमानी अर्हताएं:-
अन्य बातों के समान होने पर, ऐसे अभ्यर्थी को सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जाएगा, जिसने :- 1. प्रादेशिक सेना में कम से कम दो वर्ष की सेवा की हो, या 2. राष्ट्रीय कैडेट कोर का “बी” अथवा “सी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो,

2. पुस्तकालय एवं सूचना सहायक (कुल पद 1)

वेतनमानः- 3 रू0 35,400-रू0 1,12,400 (लेवल-06)
आयु सीमाः- 21 वर्ष से 42 वर्ष तक
पद का स्वरूपः- अराजपत्रित / स्थाई /अंशदायी पेंशनयुक्त।
शैक्षिक अर्हताः-
(a) अनिवार्य अर्हताः-
1. किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि,
2. किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि,
3. कम्प्यूटर परिचालन में 01 वर्ष का डिप्लोमा।
(b) अधिमानी अर्हताएं:-
अन्य बातों के समान होने पर, ऐसे अभ्यर्थी को सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जाएगा, जिसने :- 1. प्रादेशिक सेना में कम से कम दो वर्ष की सेवा की हो, या 2. राष्ट्रीय कैडेट कोर का “बी” अथवा “सी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो,

3. सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष (कुल पद 3)

वेतनमानः- रू0 29,200-रू0 92,300 (लेवल-05)
आयु सीमाः- 21 वर्ष से 42 वर्ष तक
पद का स्वरूपः- अराजपत्रित / स्थाई / अंशदायी पेंशनयुक्त।
शैक्षिक अर्हताः-
(a) अनिवार्य अर्हताः-
1. कला/विज्ञान/ वाणिज्य में स्नातक उपाधि।
2. पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक की उपाधि / समकक्ष योग्यता।
3. केन्द्र / राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से कम्प्यूटर का एक वर्षीय डिप्लोमा / समकक्ष योग्यता।
(b) अधिमानी अर्हताएं:-
अन्य बातों के समान होने पर, ऐसे अभ्यर्थी को सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जाएगा, जिसने :- 1. प्रादेशिक सेना में कम से कम दो वर्ष सेवा की हो, या 2. राष्ट्रीय कैडेट कोर का “बी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो, 3. लाइब्रेरी कार्य का अनुभव तथा लाईब्ररी के कम्प्यूटरीकरण की जानकारी हो।

4. कैटलॉगर (कुल पद 1)

वेतनमानः- रू0 29,200-रू0 92,300 (लेवल-05)
आयु सीमाः- 21 वर्ष से 42 वर्ष तक
पद का स्वरूपः- अराजपत्रित / स्थाई / अशदायी पेंशनयुक्त।
शैक्षिक अर्हताः-
(a) अनिवार्य अर्हताः-
1. कला/विज्ञान/वाणिज्य में स्नातक उपाधि।
2. पुस्तकालय विज्ञान में केन्द्र / राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से डिप्लोमा अथवा समकक्ष योग्यता
3. केन्द्र / राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से कम्प्यूटर का एक वर्षीय डिप्लोमा / समकक्ष योग्यता।
(b) अधिमानी अर्हताएं:-
अन्य बातों के समान होने पर, ऐसे अभ्यर्थी को सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जाएगा, जिसने :- 1. प्रादेशिक सेना में कम से कम दो वर्ष सेवा की हो, या 2. राष्ट्रीय कैडेट कोर का “बी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो, 3. लाइब्रेरी कार्य का अनुभव तथा लाईब्ररी के कम्प्यूटरीकरण की जानकारी हो।

5. सूचीकार – (कुल पद 1)

वेतनमानः- रू0 29,200-रू0 92,300 (लेवल-05)
आयु सीमाः- 21 वर्ष से 42 वर्ष तक
पद का स्वरूपः- अराजपत्रित / स्थाई / अंशदायी पेंशनयुक्त।
शैक्षिक अर्हताः-
(a) अनिवार्य अर्हताः-
1. भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी विश्विद्यालय की स्नातक उपाधि या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य समकक्ष अर्हता के साथ पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाण-पत्र (सी.लिब.एससी.) या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य समकक्ष अर्हता।
2. कम्प्यूटर पर हिन्दी/अंग्रेजी टकंण में न्यूनतम 4000 की डिप्रेशन प्रति घंटा की गति होनी चाहिए।
(b) अधिमानी अर्हताएं:-
अन्य बातों के समान होने पर, ऐसे अभ्यर्थी को सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जाएगा, जिसने :- 1. प्रादेशिक सेना में दो वर्ष की न्यूनतम अवधि तक सेवा की हो, या भूतपूर्व सैनिक हो या 2. राष्ट्रीय कैडेट कोर का “बी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो।

आवेदन कैसे करें:

इच्छुक अभियार्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय उम्मीदवारों को अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी अवश्य भरना होगा।