Friday, December 27, 2024
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में ₹188.07 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में ₹188.07 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में ₹188.07 करोड़ की कुल 74 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इनमें ₹111.22 करोड़ की लागत के 36 लोकर्पण कार्य और ₹76.85 करोड़ के 38 शिलान्यास कार्य शामिल हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने चार स्थानों पर इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों का लोकार्पण किया, साथ ही लगभग ₹11 करोड़ की लागत से बनने वाली 2 ऑटोमेटेड पार्किंग और एक भूतल पार्किंग का शिलान्यास भी किया।

मुख्यमंत्री धामी जी ने बाल-भिक्षावृत्ति निवारण प्रयासों के तहत 3 रेस्क्यू एवं पुनर्वास वाहनों का फ्लैग ऑफ किया और जिलाधिकारी देहरादून कार्यालय में पत्र प्रबंधन डेस्क का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इन विकास योजनाओं से देहरादून और आस-पास के क्षेत्रों में लोगों को काफी सुविधा मिलेगी।

मुख्यमंत्री धामी जी ने बताया कि देहरादून में भीड़-भाड़ वाले स्थानों के लिए ऑटोमेटेड पार्किंग के निर्माण से ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी और समय एवं संसाधनों की बचत होगी। बाल-भिक्षावृत्ति निवारण के लिए शुरू किए गए रेस्क्यू एवं पुनर्वास वाहन भिक्षावृत्ति वाले बच्चों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पत्र प्रबंधन डेस्क से जिलाधिकारी कार्यालय में आने वाले पत्रों की ट्रैकिंग और प्रबंधन प्रक्रिया सुदृढ़ होगी।

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उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत स्मार्ट टॉयलेट्स और स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही, लैंसडाउन चौक पर 650 पाठकों की क्षमता वाली अत्याधुनिक लाइब्रेरी का निर्माण भी किया गया है।

मुख्यमंत्री धामी जी ने बताया कि शहर में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है और हर्रावाला में 300 बेड वाले कैंसर अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। देहरादून को आदर्श शहर के रूप में विकसित करने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जिसमें वायु प्रदूषण से मुक्ति के लिए 4 इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों का शुभारंभ किया गया है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, विधायक श्री खजानदास, श्री सहदेव सिंह पुंडीर, श्रीमती सविता कपूर, निवर्तमान मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, जिलाधिकारी देहरादून श्री सविन बंसल, मुख्य विकास अधिकारी श्री अभिनव शाह, नगर आयुक्त श्रीमती नमामि बंसल एवं अन्य जिलास्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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उत्तराखंड: बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर LT शिक्षकों के अंतरमंडलीय तबादले टाले

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उत्तराखंड: बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर LT शिक्षकों के अंतरमंडलीय तबादले टाले

देहरादून: उत्तराखंड में सहायक अध्यापक LT शिक्षकों के अंतरमंडलीय तबादलों को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य में आगामी बोर्ड परीक्षाओं को सुचारू रूप से संपन्न कराने और तबादले की प्रक्रिया में आई कुछ अनियमितताओं को दूर करने के मद्देनजर लिया गया है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, पहले यह निर्णय लिया गया था कि एलटी शिक्षकों के पूरे सेवाकाल में एक बार अंतरमंडलीय तबादले किए जाएंगे। इसके लिए शिक्षकों से आवेदन भी मांगे गए थे और एक विस्तृत एसओपी भी जारी की गई थी। हालांकि, जब शासन को तबादले के प्रस्ताव भेजे गए तो पाया गया कि इनमें कई मानकों की अनदेखी की गई है और तबादला एक्ट का उल्लंघन किया गया है।

विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अगर इस तरह से तबादले किए गए तो विभाग में कोर्ट केसों की संख्या बढ़ सकती है। साथ ही, बोर्ड परीक्षाओं के दौरान शिक्षकों के तबादले से शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इसलिए, इन दोनों कारणों से अंतरमंडलीय तबादलों को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

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अधिकारी ने बताया कि अब मंडलीय तबादले तबादला एक्ट के तहत ही किए जाएंगे। इसके लिए शिक्षकों से नए सिरे से आवेदन मांगे जाएंगे। साथ ही, एक नई एसओपी जारी की जाएगी जिसमें तबादले की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश शामिल होंगे। एलटी शिक्षकों ने इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि उन्हें लंबे समय से अंतरमंडलीय तबादले की उम्मीद थी और इस निर्णय से उनकी उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।

शिक्षा विभाग का कहना है कि यह निर्णय अस्थायी है और विभाग जल्द ही एक नई एसओपी जारी करके तबादले की प्रक्रिया को शुरू करेगा। विभाग का लक्ष्य है कि सभी शिक्षकों को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से तबादले का अवसर मिले।

उत्तराखंड में एलटी शिक्षकों के अंतरमंडलीय तबादले को स्थगित करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है। यह निर्णय न केवल शैक्षणिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेगा बल्कि तबादले की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता भी लाएगा।

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उत्तराखंड का दशक: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विकास का विजन

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उत्तराखंड का दशक: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विकास का विजन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित प्रगति संग समृद्धि कार्यक्रम में राज्य के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव और राज्य के विकास में उनके मार्गदर्शन की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बाबा केदार की भूमि से 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक घोषित किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विकास की यात्रा केवल मुख्यमंत्री की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेशवासियों की सामूहिक यात्रा है। उनका विश्वास है कि यह सामूहिक प्रयास उत्तराखंड को 21वीं सदी का विकसित राज्य बनाने में सफल होगा।

श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने G20 के तीन आयोजनों और राष्ट्रीय खेलों की जिम्मेदारी मिलने को राज्य के लिए एक बड़ा अवसर बताया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में देश भर से 10,000 खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे, जो युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक सुनहरा मौका प्रदान करेगा। इससे उत्तराखंड को ‘खेलभूमि’ के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने राज्य के समग्र विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने पहाड़ की महिलाओं के जीवन को आसान बनाने, पलायन रोकने और राज्य के संसाधनों का सही उपयोग करने की दिशा में प्रयासरत रहने की बात कही। इसके साथ ही, उन्होंने समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी, जो सभी नागरिकों के हित में होगी।

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उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, जिससे युवाओं की प्रतिभा का सम्मान हुआ है। मुख्यमंत्री ने 24,000 पदों को भरने की प्रक्रिया की प्रगति पर भी प्रकाश डाला, जिसमें से 19,000 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है।

अंत में, मुख्यमंत्री ने शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की घोषणा की, जो बाबा केदार के शीतकालीन प्रवास स्थान से शुरू होगी। उन्होंने देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने का संकल्प लिया और कहा कि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री धामी का यह विकास का विजन उत्तराखंड को एक नई दिशा देने का प्रयास है, जिसमें सभी नागरिकों की भागीदारी और सहयोग की आवश्यकता है।

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PRSI देहरादून चैप्टर ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री का किया सम्मान

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PRSI देहरादून चैप्टर ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री का किया सम्मान

देहरादून: पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) के देहरादून चैप्टर ने हाल ही में रायपुर में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा का सम्मान किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री को केदारनाथ का प्रतीक चिन्ह, ब्रह्मकमल की टोपी और उत्तराखण्ड के विकास पर आधारित एक पुस्तिका भेंट की गई। 20 से 23 दिसंबर तक रायपुर में आयोजित होने वाले पीआरएसआई के राष्ट्रीय अधिवेशन में देहरादून चैप्टर के सदस्य भी भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में पीआरएसआई देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष श्री रवि बिजारनियां, सचिव श्री अनिल सती, कोषाध्यक्ष श्री सुरेश भट्ट और उपाध्यक्ष श्री एएम त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री का अभिनंदन किया।

उपमुख्यमंत्री जी को बताया गया कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर चार धाम के शीतकालीन प्रवास स्थलों के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू की गई है। इस पर श्री विजय शर्मा को उत्तराखण्ड में शीतकालीन यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया।

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने इस सम्मान के लिए पीआरएसआई का आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की सराहना की। उन्होंने उत्तराखण्ड में बिताए गए दिनों की यादें साझा करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति हर देशवासी के मन में अपार श्रद्धा है।

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कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्ड के विकास कार्यों पर आधारित एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया, साथ ही उत्तराखण्ड के सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका “संकल्प सतत विकास का” भी वितरित की गई।

ब्रह्मकमल टोपी, जो उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का प्रतीक मानी जाती है, ने इस अधिवेशन में खास पहचान बनाई। पीआरएसआई देहरादून के सभी सदस्यों ने इस टोपी को पहनकर अधिवेशन में भाग लिया और अन्य राज्यों के प्रतिभागियों को भी ये टोपी भेंट की। इस टोपी के डिजाइन में खूबसूरती से उकेरे गए ब्रह्मकमल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

इस अवसर पर पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक, और देहरादून चैप्टर के सदस्य वैभव गोयल, अनिल वर्मा, अजय डबराल, महेश, दीपक कुमार, ईशान, काजल भी उपस्थित थे।

यह कार्यक्रम न केवल उत्तराखण्ड की संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक मंच था, बल्कि यह विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।

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घुघुतिया त्यौहार पर निबंध, घुघुतिया त्यौहार की शुभकामनायें

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घुघुतिया त्यौहार पर निबंध
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घुघुतिया त्यौहार पर निबंध –

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मकर संक्रांति को घुगुतिया पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार को उत्तराखंड में उत्तरायणी ,मकरैण ,खिचड़ी संग्रात आदि नामो से मनाया जाता है। इस दिन भगवान् सूर्यदेव मकर राशी में प्रवेश के साथ दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।

अल्मोड़ा में प्रवाहित होने वाली सरयू नदी के पूर्वी भाग के निवासी इस पर्व को पौष मासांत पर मनाते हैं ,इसलिए वे इसे पुषूडियां त्यौहार कहते हैं। सरयू के पक्षिम भाग वाले इसे माघ की पहली तिथि को त्यौहार के रूप में घुघुतिया मानते है। कुमाउनी में घुघूती फाख्ता पक्षी को कहते है। किन्तु आटे के पकवान को फाख्ता के रूप में न बनाकर ,हिंदी के चार ४ के आकर में बनाया जाता है।

 

घुगुतिया त्यौहार कैसे मनाते हैं –

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मकर संक्रांति को घुगुतिया के रूप में मानते है। सुबह स्नान दान पूजा पाठ करके  इस दिन गुड़ के पाक आटे और सूजी के विशेष पकवान मनाते हैं। इसके साथ साथ खीर,पूरी ,दाल चावल अन्य पकवान भी बनाये जाते हैं। और ध्यान से सभी पकवानो में से कौवे का हिस्सा अलग निकाल लेते हैं। घुगुतिया पर कौओ का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन सुबह सुबह बच्चे काले कावा काले। घुघुत की माला खा ले ! गा कर कौओ को घुघुत खाने के लिए आमंत्रित करते हैं।

घुघुतिया त्यौहार पर निबंध

घुघुतिया त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

जिस प्रकार मकर संक्रांति के महात्सव पर समस्त भारतवर्ष में अलग अलग राज्यों में अलग अलग प्रकार के उत्सव त्यौहार मनाये जाते हैं। उसी प्रकार उत्तराखंड के कुमाऊं में इसे घुघुतिया नाम से मनाते हैं। घुघुतिया त्यौहार ,उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का लोक पर्व है। इस पर्व का मूल स्नान,दान ,पुण्य मकर संक्रांति महापर्व से ही जुड़ा है। किन्तु कालांतर कुछ लोक कथाएं ,या कुछ स्थानीय घटनाएं जुड़ जाने के कारण इसका नाम घुघुतिया त्यौहार पड़ गया। घुघुतिया पर्व से जुडी अनेक लोक कथाएं समाज में प्रचलित हैं। उनमे से एक कथा इस प्रकार है –

प्राचीन काल मे पहाड़ी क्षेत्रों में एक घुघुती नाम का राजा था। एक बार अचानक वह बहुत बीमार हो गया। कई प्रकार की औषधि कराने के बाद भी वह ठीक नही हो पाया , तो उसने अपने महल में ज्योतिष को बुलाया। ज्योतिष ने राजा की ग्रहदशा देख कर बताया कि उस पर भयंकर मारक योग चल रहा है। इस मारक दशा का उपाय ज्योतिष ने राजा को यह बताया कि , राजा अपने नाम से आटे और गुड़ के पकवान कौओं को खिलाएं ।

इसके उनकी मारक दशा शांत होगी। क्योंकि कौओं को काल का प्रतीक माना जाता है। यह बात सारी प्रजा को बता दी गई। प्रजा ने मकर संक्रांति के दिन आटे और गुड़ के घोल से घुगुति राजा के नाम से पकवान बनाये और उनको सुबह सुबह कौओं को बुलाकर खिला दिया।

घुघुतिया त्यौहार पर निबंध

और तभी से कुमाऊं में मकर संक्रांति को घुघुतिया त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। राजा की इस आज्ञा का पता सरयू के पक्षिम भाग वालों को एक दिन बाद में पता चला इसलिए सरयू  के पक्षिम भाग में एक दिन बाद मनाया जाता है ,और पूर्व भाग में एक दिन पहले। इसके अलाव कुमाऊं में घुघति मनाने से जुडी कई और लोक कथाएं प्रचलित है।

घुघुतिया से जुडी अन्य लोक कथाओं और सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

उपसंहार –

घुघुतिया पर्व उत्तराखंड का लोकपर्व है। भगवान् सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में समस्त सनातन धर्म के लोग अपनी अपनी संस्कृति अपने अपने रिवाजों के अनुसार उत्सव मानते हैं। घुगुतिया भी इसी प्रकार का उत्सव है जिसे कुमाऊं के लोग अपने लोक विश्वास लोक कथाओं से जोड़ कर मनाते हैं।

घुघुतिया त्यौहार की शुभकामनायें।

पारम्परिक तौर से  घुगुतिया के दिन स्नान करके परिवार और आस पड़ोस के बड़ो के पाँव छू कर आशीर्वाद लेते है। और अपने से छोटों को आशीष देते हैं। किन्तु आजकल डिजिटल दुनिया के दौर में लोग पारम्परिक आशीर्वाद के साथ -साथ लोग एक दूसरे को घुघुतिया के फोटो एक दूसरे को घुघुतिया की शुभकामनाओं  के रूप में भेजते हैं। घुघुतिया की शुभकामनाएं भेजने के लिए ,कुछ घुघुतिया त्यौहार फोटो यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।

घुघुतिया त्यौहार पर निबंध

घुघुतिया त्यौहार के लिए कुमाउनी सन्देश –

“यो दिन यो बार ! सुफल  है जो  ,तुमहू  उत्तरैणी त्यार !!”

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर उच्च स्तरीय बैठक

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर उच्च स्तरीय बैठक

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया, जिसमें उत्तराखण्ड के चारधाम यात्रा की तैयारियों पर चर्चा की गई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने चारधामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि आगामी चारधाम यात्रा के सफल संचालन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अभी से सभी तैयारियों को पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने यात्रा प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया को 30 जनवरी, 2025 तक पूर्ण करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, 15 जनवरी तक चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और हितधारकों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लेने की बात कही।

बैठक में मुख्यमंत्री जी ने डिजिटल टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग पर जोर देते हुए यात्रा पंजीकरण की व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा राज्य के मान और सम्मान से जुड़ी है, और पिछले वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि को देखते हुए इस बार की यात्रा के लिए ठोस योजना बनानी होगी।

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मुख्यमंत्री जी ने चारधाम यात्रा मार्गों पर पार्किंग, होटल, पेयजल, शौचालय और स्वच्छता जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखने की बात कही। इसके अलावा, उन्होंने चारों धामों के आस-पास के पौराणिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के विकास पर भी विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया।

बैठक में भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा ने चारधाम यात्रा के दौरान आने वाली प्रमुख कठिनाइयों और उनके समाधान के उपायों पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने यातायात प्रबंधन और पंजीकरण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सुझाव दिए।

इस बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव कुर्वे, विशेष कार्याधिकारी पर्यटन विभाग श्री भाष्कर खुल्बे, और अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी अंशुमान सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री धामी जी की इस बैठक से स्पष्ट होता है कि उत्तराखण्ड सरकार चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके।

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उत्तराखंड में बड़ा बदलाव: अब कक्षा 9 में छात्राओं के लिए गणित होगा अनिवार्य

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उत्तराखंड में बड़ा बदलाव: अब कक्षा 9 में छात्राओं के लिए गणित होगा अनिवार्य

देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली कक्षा 9 की छात्राओं के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। अब उन्हें गृह विज्ञान के बजाय गणित पढ़ना अनिवार्य होगा। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लिया गया है, जिसमें गणित को हाईस्कूल स्तर पर अनिवार्य विषय बनाया गया है।

शिक्षा निदेशालय में हुई एक बैठक में इस सिफारिश को स्वीकार किया गया है। अब तक छात्राओं के पास गणित के स्थान पर गृह विज्ञान चुनने का विकल्प होता था, लेकिन अब यह विकल्प समाप्त हो गया है।

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप किया गया है। इस नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए तैयार करना है। गणित को अनिवार्य बनाने के पीछे यह मान्यता है कि गणित एक ऐसा विषय है जो तार्किक सोच और समस्या समाधान क्षमता को बढ़ाता है।

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कक्षा 9 में अब छात्राओं के पास सामान्य गणित और स्टैंडर्ड गणित में से कोई एक विषय चुनने का विकल्प होगा। जो छात्राएं हाईस्कूल के बाद जीव विज्ञान या अन्य विषयों से पढ़ाई करना चाहती हैं, वे सामान्य गणित चुन सकती हैं। वहीं, जो छात्राएं हाईस्कूल के बाद इंटर में भी गणित की पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, वे स्टैंडर्ड गणित चुन सकती हैं।

शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान के अनुसार, एनईपी 2020 में गणित को अनिवार्य किया गया है और अब इसे कक्षा 9 से लागू किया जा रहा है। सीबीएसई में भी यही व्यवस्था है।

यह बदलाव छात्रों और अभिभावकों के लिए क्या मायने रखता है?

यह बदलाव छात्रों के लिए एक नए अवसर के रूप में देखा जा सकता है। गणित सीखकर छात्र अपनी तार्किक सोच और समस्या समाधान क्षमता को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, कुछ छात्राओं और अभिभावकों के लिए यह बदलाव चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। ऐसे में स्कूलों को छात्रों को गणित सीखने में मदद करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।

उत्तराखंड में गणित को कक्षा 9 में अनिवार्य बनाने का फैसला शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला छात्रों को बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा।

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लोक संस्कृति दिवस 2024 | निबंध | भाषण

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लोक संस्कृति दिवस

लोक संस्कृति दिवस – संस्कृति का अर्थ है सम्यक रूप से किया जाने वाला आचार ,व्यवहार ! सामान्य व्यवहार या बोलचाल में संस्कृति का अर्थ होता है सुन्दर ,रुचिकर और कल्याणकारी परिस्कृत व्यवहार। श्री देव सिंह पोखरिया अपनी प्रसिद्ध पुस्तक लोक संस्कृति के विविध आयाम में संस्कृति की सरल शब्दों में परिभाषा देते हुए लिखते हैं ,” परम्परा से प्राप्त किसी मानव समूह की निरंतर उन्नत मानसिक अवस्था ,उत्कृष्ट वैचारिक प्रक्रिया ,व्याहारिक शिष्टता ,आचरण पवित्रता , सौंदर्याभिरुचि आदि की परिस्कृत , कलात्मक तथा सामुहिक अभिव्यक्ति ही संस्कृति है।

संस्कृति पुरे समाज का प्रतिबिम्ब होती है। कोई जन्मजात सुसंस्कृत नहीं होता है ,समाज ही व्यक्ति को सुसंकृत बनाता है। संस्कृति से ही किसी समाज की नैतिक और सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ती होती है।

लोक संस्कृति क्या है –

लोक संस्कृति के अर्थ को जानने के लिए लोक शब्द का अर्थ जानना जरुरी है ,लोक का अर्थ संस्कृत में संसार होता है। सामान्य बोलचाल में कहें तो कोई ऐसा स्थान जिसका आभास या बोध देखने से होता है।

डॉक्टर कृष्णदेव उपाध्याय ने लोक शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया है , ” आधुनिक सभ्यता से दूर अपने प्राकृतिक परिवेश में निवास करने वाली तथाकथित अशिक्षित और संस्कृत जनता को लोक कहते हैं, जिनका आधार, विचार एवं जीवन परम्परायुक्त नियमों से नियंत्रित होता है। उन्होंने आगे लिखा है कि जो लोग संस्कृति तथा परिष्कृत लोगों के प्रभाव से बाहर रहते हुए अपनी पुरातन स्थिति में वर्तमान हैं, उन्हें लोक की संज्ञा प्राप्त है। इन्हीं लोगों के साहित्य को लोक साहित्य कहा जाता है। ”

और इन्ही के या अपने मूल परिवेश में रहने वाली जनता के सामाजिक जीवन या आचार ,व्यवहार या सामान्य व्यवहार  अथवा यूँ कह सकते कि मूल परिवेश में निवास करने वाली संस्कृति को लोक संस्कृति कहते हैं।

उत्तराखंड लोक संस्कृति दिवस –

उत्तराखंड के गाँधी के रूप में प्रसिद्ध स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी का उत्तराखंड की स्थापना,उत्तराखंड राज्य आंदोलन , उत्तराखंड सामाजिक आंदोलन के प्रणेता के रूप में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति से बहुत लगाव और प्रेम था। इसलिए 2014 में उत्तराखंड की तत्कालीन सरकार ने स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी के जन्मदिन 24 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष लोक संस्कृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लोक संस्कृति दिवस 2024 | निबंध | भाषण

इंद्रमणि बडोनी जी का जीवन परिचय –

इंद्रमणि बडोनी जी का जन्म 24 दिसम्बर 1925 टिहरी जिले के जखोली ब्लॉक के अखोडी गावं में हुवा था। इनके पिता का नाम सुरेशानंद बडोनी था। इंद्रमणि बडोनी जी की माता का नाम श्रीमती कालो देवी था। इनका परिवार एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। इनके पिता श्री सुरेशानन्द बडोनी जी बहुत सरल व्यक्ति थे। इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव से की थी। और आगे की पढाई के लिए वे मसूरी ,टिहरी देहरादून गए। इनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण ,इनके ऊपर जल्दी घर की जिम्मेदारियां आ गई।

प्रारम्भिक जीवन में ही अपने गावं से ही इंद्रमणि बडोनी ने अपने समाजिक जीवन को विस्तार दिया। पर्यावरण व् वातावरण संरक्षण के लिए वे अपने मित्रों के साथ मिलकर कार्य करते थे। उनके द्वारा शुरू किये गए कई स्कूलों का उच्चीकरण और प्रांतीयता भी प्राप्त गई है।

इंद्रमणि बडोनी जी उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पुरोधा थे। श्री इंद्रमणि बडोनी जी उत्तराखंड आंदोलन के मुख्य केंद्रबिंदु थे। 1979 से ही वे अलग  पहाड़ी राज्य के लिए सक्रिय हो गए थे। श्री बडोनी जी एक कुशल वक्ता थे। उन्हें उत्तराखंड के लगभग हर क्षेत्र के बारे अच्छा ज्ञान था। उन्होंने उत्तराखंड की जनता को एक अलग पहाड़ी राज्य की संकल्पना का विचार दिया। और अलग राज्य के लिए चले संघर्ष का पहली पंक्ति में खड़े होकर नेतृत्व किया।

बीबीसी ने इंद्रमणि बडोनी जी के लिए कहा था ,” यदि आपको जीवित और चलते -फिरते गाँधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएँ। वहां गाँधी आज भी अपने उसी अहिंसक अंदाज में बड़े जनांदोलनों का नेतृत्व कर रहा है।

अंतिम दिनों में भी श्री इंद्रमणि बडोनी उत्तराखंड के आंदोलन और उत्तराखंड की संस्कृति के लिए सक्रीय थे। बिमारियों से जूझते जूझते श्री इंद्रमणि बडोनी जी 18 अगस्त 1999 को अपने ऋषिकेश स्थित विठ्ठल आश्रम में हमे सदा के लिए छोड़ कर चले गए।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी गढ़वाल में विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी गढ़वाल में विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया

पौड़ी गढ़वाल: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज जनपद पौड़ी गढ़वाल के सतपुली में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्वी नयार नदी में बनने वाली बहुउद्देशीय सतपुली झील का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने लगभग ₹172.65 करोड़ की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जिसमें ₹123.53 करोड़ की 04 योजनाओं का शिलान्यास और ₹49.12 करोड़ की 20 योजनाओं का लोकार्पण शामिल है।

मुख्यमंत्री ने विकासखण्ड बीरोंखाल के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज भरोली खाल और बीरोंखाल में नवीन भवन के निर्माण, विकासखण्ड एकेश्वर व कल्जीखाल के मध्य नयार पाटीसैण और असवालस्यूँ के मध्य पश्चिमी नयार नदी पर मोटर पुल के निर्माण, विकासखण्ड एकेश्वर मुख्यालय में मिनी स्टेडियम के निर्माण, रवांसा नदी पर निर्मित पीपलडोंगा पुल से 500 मीटर ऊपर बैराज के निर्माण, और ताड़केश्वर महादेव में पुलिस चौकी की स्थापना की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा, “आज लगभग ₹172 करोड़ से अधिक की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया है। यह योजनाएं क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होंगी। सतपुली झील का निर्माण पूरा होने से यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगी।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन का उल्लेख किया कि बाबा केदार की भूमि से 21वीं सदी का यह तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक है, और इस कार्य की शुरुआत हो चुकी है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस झील का शिलान्यास किया गया है, उसका लाभ आने वाली कई पीढ़ियों को होगा। उन्होंने प्रदेश में सड़क, हवाई कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के तेजी से विकास की बात की और कहा कि पर्यटन क्षेत्र में वृहद स्तर पर निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए संकल्पित होकर कार्य करने की बात कही और बताया कि 5000 एकड़ से अधिक भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 2025 के जनवरी माह में प्रदेश में यूसीसी लागू किया जाएगा और जल्द ही सख्त भू-कानून भी लाए जाएंगे।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज, विधायक पौड़ी श्री राजकुमार पोरी, विधायक लैंसडाउन महंत दिलीप रावत, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र अंथवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष कोटद्वार श्री वीरेंद्र रावत, जिलाध्यक्ष पौड़ी श्रीमती सुषमा रावत, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री लोकेश्वर सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री के इस प्रयास से क्षेत्र के विकास में नई गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “मेरी योजना-राज्य सरकार” पुस्तक का किया विमोचन

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने "मेरी योजना-राज्य सरकार" पुस्तक का किया विमोचन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने "मेरी योजना-राज्य सरकार" पुस्तक का विमोचन किया

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग द्वारा प्रकाशित “मेरी योजना-राज्य सरकार” पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल योजनाएं बनाना नहीं है, बल्कि उन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना भी है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस पुस्तक में राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं और सेवाओं को सरल और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा, “यह पुस्तक लाभार्थियों को योजनाओं की संपूर्ण जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ आवेदन प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेजों और पात्रता की जानकारी भी आम जनता तक पहुंचाएगी।”

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस पुस्तक के माध्यम से सरकार की जनकल्याणकारी, रोजगारपरक, कौशल विकास और निवेश संबंधी योजनाओं की जानकारी राज्य के प्रत्येक व्यक्ति तक आसानी से पहुंचेगी। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार अपने ‘विकल्प रहित संकल्प’ के मूलमंत्र के साथ उत्तराखंड को विकास के प्रत्येक मानक पर देश का अग्रणी राज्य बनाने के लक्ष्य को लेकर निरंतर कार्य कर रही है।”

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार के अधीन विभिन्न विभागों द्वारा संचालित जनकल्याण एवं आमजन के हित से जुड़ी योजनाओं की जानकारी लाभार्थियों तक पहुंचाना संबंधित विभागों का दायित्व है। उन्होंने कहा, “सरकारी योजनाओं की जानकारी धरातल तक पहुंचे, यह इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों की सफलता की सार्थकता है।”

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को जनहित से जुड़ी योजनाओं का लाभ समय पर मिले और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो, इसके लिए सरलीकरण, समाधान और निस्तारण पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मूलमंत्र को ध्येय मानकर आगे बढ़ने की बात कही।

इस अवसर पर विधायक श्री प्रमोद नैनवाल, सचिव श्री दीपेन्द्र चौधरी, सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन श्री दीपक गैरोला, महानिदेशक यूकॉस्ट दुर्गेश पंत, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री के इस प्रयास से उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगा और राज्य का विकास तेजी से होगा।

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