Sunday, November 17, 2024
Homeकुछ खासकहानियाँबासुलीसेरा में जब हरज्यू ने साधा बेताल और स्थापना की फुलकेश्वर महादेव...

बासुलीसेरा में जब हरज्यू ने साधा बेताल और स्थापना की फुलकेश्वर महादेव की ! पढ़िए ये लोक कथा

बासुलीसेरा अल्मोड़ा  – उत्तराखंड के पहाड़ों में अनेक मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। कुछ बड़े धार्मिक स्थल हैं और उनके अलावा कई छोटे -छोटे मंदिर हैं। हालाँकि धार्मिक महत्व के मामले में सभी स्थल लगभग बराबर हैं ,लेकिन कुछ मंदिरो के साथ इतिहास के महत्वपूर्ण चरित्रों कथानकों का जुड़ाव होने के कारण उन्हें अधिक प्रसिद्धि मिली और कुछ छोटे छोटे मंदिर अपने स्थानीय स्तर पर प्रसिद्ध होकर रह गए। लेकिन पहाड़ो के मंदिर छोटे हों या बड़े उनके पीछे कुछ न कुछ लोककथाएं या जनश्रुतियां अथवा पौराणिक कहानियां अवश्य जुडी होती है।

आज इस पोस्ट में कुमाऊं क्षेत्र के एक शिव मंदिर फुलकेश्वर महादेव बसूलीसेरा से जुडी एक लोककथा का संकलन करने जा रहे हैं। यह लोक कथा पूर्णतः जनश्रुतियों पर आधारित है।

बासूलिसेरा –

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में बग्वालीपोखर के पास गगास नदी के किनारे एक उर्वरा घाटी है जिसे बासुलीसेरा घाटी कहते हैं। यह उर्वरा घाटी अल्मोड़ा द्वाराहाट रोड पर पड़ती है। यह घाटी जितनी उपजाऊ है उतना ही समृद्ध यहाँ का इतिहास है। यह घाटी अंग्रेजो के बनाये झूलापुल के लिए प्रसिद्ध है। और इसी घाटी में एक शिवमंदिर है जिसे फुलकेश्वर महादेव कहते हैं। इस मंदिर की ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार यह मंदिर कत्यूरकालीन विष्णु प्रतिमा इसके महत्व को बढाती है।

बासुलीसेरा

Best Taxi Services in haldwani

सेरा उत्तराखंड में उस वर्गीकृत भूमि को कहते हैं ,जो मैदानी या घाटी वाला भाग होता है तथा जिसमे जलसिंचन की सुविधा होती है या उसके किनारे नदी होती है। कहीं इसको तलाऊ और तलार भी कहा जाता है।

लोकदेवता हरज्यू ने साधा यहाँ बेताल और स्थापित किये फुलकेश्वर महादेव –

बासुलीसेरा के फुलकेश्वर महादेव के बारे में पुरातत्वविद बताते हैं कि यहाँ एक 10 वी शताब्दी की कत्यूर कालीन भगवान् विष्णु की मूर्ति है और गणेश भगवान् की तथा द्वारपाल और नंदी की सोलहवीं शताब्दी की मुर्तिया सत्यापित करती हैं कि यह धार्मिक स्थान लगभग दसवीं शताब्दी से यहाँ है और इसका पुनर्निर्माण या मूर्ति स्थापना सोलहवीं शताब्दी में चंद शासन काल में भी हुई है।

इस मंदिर के बारे में एक जनश्रुति भी बताई जाती है ,इस जनश्रुति के अनुसार पहले यहाँ झाड़ियों में भगवान् शिव का शिवलिंग था ,जिसके बारे में कहते हैं कि उस शिव लिंग पर किसी ग्रामीण की गाय दूध स्नान करवाती थी ,तो उसने अज्ञानवश शिवलिंग में चोट कर दी। या इस कहानी को इस प्रकार भी कहते हैं कि उस क्षेत्र के ग्रामीण ने शिवलिंग को मामूली पत्थर समझकर चोट कर दी। शिवलिंग में चोट की वजह से उस क्षेत्र में नकारात्मक ऊर्जा का अंश बेताल सक्रीय हो गया।

बेताल उस क्षेत्र के ग्रामीणों को परेशान करने लगा ,लोगो को मारना शुरू कर दिया था ,बेताल ने बासुलीसेरा क्षेत्र में त्राहिमाम मचा दिया था। इस संकट के बीच उस समय वहां भगवान शिव की प्रेरणा से कहीं से एक नगरकोटी परिवार पहुँचा ! उस परिवार का पुरुष वीर में लोकदेवता हरज्यू देवता का अवतरण था। हरज्यू देवता के तपोबल की शक्ति से उसे अहसास हो गया कि यह क्षेत्र नकारात्मक शक्ति की गिरफ्त में है।

उसके अपने इष्ट हरजू को स्मरण किया और बेताल को साधने चला गया ,कहते हैं जब बेताल से उसका सामना हुवा तब उसके शरीर में लोकदेवता हरजू का अवतरण हो गया ! तब हरज्यू देवता और बेताल के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया। एक लम्बी लड़ाई के बाद हरज्यू देवता ने उस बेताल को नियंत्रित कर लिया। तब यह तय हुवा की बासुलीसेरा के संगम पर भगवान् शिव का मंदिर बसाया जायेगा। और पेटशाल गांव के बीचों बीच हरज्यू को उनकी पैरोणी के साथ स्थापित किया जायेगा और गांव के सबसे टॉप में लोहार परिवार को बसाया जायेगा। तब से लोग इस सूंदर और शांत घाटी में सुकून का जीवन बिताते हैं।

बासुलीसेरा में जब हरज्यू ने साधा बेताल और स्थापना की फुलकेश्वर महादेव की ! पढ़िए ये लोक कथा

 

मंदिर का धार्मिक महत्व –

यह मंदिर ऐतिहासिक मंदिर होने के कारण इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। यह त्रिवेणी क्षेत्र का प्रसिद्ध अंतिम संस्कार स्थल भी है। और इस मंदिर में समय समय पर धार्मिक कार्य ,भागवत इत्यादि होते रहते हैं। इसके अतिरिक्त पेटशाल गांव और बासुलीसेरा का समस्त क्षेत्र ग्राम पर्यटन के लिए सबसे उम्दा स्थान है। इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक चीजे जैसे अंग्रेजो के ज़माने का झूलापुल अभी भी है। इसके अलावा यह कभी बद्रीनाथ यात्रा का पड़ाव भी हुवा करता था।

इन्हे भी पढ़े _

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments