उत्तराखंड में कैंपिंग – दुनियाभर में लोग की पहाड़ों में घूमने और पहाड़ों की शांत और सुकून भरी वादियों में अपने जीवन के कीमती पलों को गुजार कर कुछ अलग अनुभव लेना चाहते हैं। कई घुमक्क्ड़ प्रवृति के लोग होते हैं जो पहाड़ों पर ट्रैकिंग ,कैम्पिंग और अन्य साहसिक गतिविधियों में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं। ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड भारत में पहाड़ी पर्यटन के लिए अपना अग्रणीय स्थान रखता है। भारत भर के लोग उत्तराखंड की ऊँची -ऊँची पहाड़ियों में ट्रैकिंग, कैंपिंग आदि साहसिक गतिविधियां करने के लिए यहाँ बढ़ चढ़ आते हैं। सभी पहाड़ी साहसिक खेलों के साथ…
Author: Pramod Bhakuni
उत्तराखंड अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के साथ स्वादिष्ट भोजन के लिए प्रसिद्ध है। आज इस लेख में कुछ ऐसे उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन की चर्चा करेंगे ,जिनका स्वाद आप कभी नहीं भूल सकते हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन की सूची कुछ इस प्रकार है – मडुए की रोटी झंगोरा की खीर कंडाली का साग लिंगुड़ा की सब्जी गहत के फाणू चैंस या चैसुवा भट्ट के डुबुक भट्ट की चुरकानी कुमाऊँनी रायता छंछ्या मंडुए की रोटी – रागी अनाज को उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में मडुवा कहते हैं। और गढ़वाल मंडल में कोदा कहा जाता है। उत्तराखंड में यह अनाज…
केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है।जो कीसमुद्र तल से 11,746 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम मंदिर तीनो तरफ पहाड़ियों से घिरा है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड है। केदारनाथ धाम का इतिहास यह मंदाकिनी नदी के उद्गगम स्थल के समीप है। यमुनोत्री से केदारनाथ के ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। वायु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु मानव जाति के कल्याण के लिए पृथ्वी…
मित्रों मसूरी, नैनीताल उत्तराखंड में घूमने लायक पुराने और ज्यादा भीड़ भाड़ वाले हिल स्टेशन बन गए हैं। गर्मी बड़े या ठंड सभी लोग मसूरी और नैनीताल का रुख करते हैं। जिस कारण वहां भीड़ अधिक बढ़ जाती है। और आदमी एक शांति और सुकून की तलाश में हिल स्टेशन की तरफ आता है, लेकिन इन हिल स्टेशनों में और भी ट्रैफिक जाम परेशानी आदि झेलनी पड़ती है। मित्रों उत्तराखंड का मतलब केवल नैनीताल या मसूरी ही नही है । बल्कि इनके अलावा उत्तराखंड और भी सुंदर और मनोहर हिल स्टेशन हैं। जहां आप सुकून और शांति के साथ मनमोहक…
उत्तराखंड के पंच प्रयाग – भारत में दो नदियों के संगम पर कई तीर्थस्थल है और इनके नाम से प्रयाग जुड़ा हुआ है। भारत में इस तरह के 14 प्रयाग हैं और इनमें पांच प्रयाग उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हैं। उत्तराखंड के पंच प्रयाग हैं विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग। उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच प्रयाग देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नन्दप्रयाग, तथा विष्णुप्रयाग मुख्य नदियों के संगम पर स्थित हैं। नदियों का संगम भारत में बहुत ही पवित्र माना जाता है विशेषत: इसलिए कि नदियां देवी का रूप मानी जाती हैं। प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के…
उत्तराखंड के पंच बद्री – पंच केदार की तरह है पंच बद्री भी है जहाँ भगवान विष्णु अलग -अलग रूप मे विराजते हैं ।और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। पंचबद्री उत्तराखंड में स्थित, पंच बद्री बद्रीनाथ धाम की तरह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। बद्रीनाथ धाम पंच बद्री में से ही एक है पंच बद्री मंदिरों की यह विशेषता है कि, इनमें विष्णु भगवान के अलग-अलग रूपों की मूर्ति स्थापित है।यह पांचो मंदिर बद्रीनाथ धाम के क्षेत्र से लेकर नंदप्रयाग के बीच में स्थित है पंच बद्री में बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य…
उत्तराखंड के पंच केदार – केदारनाथ की जानकारी विस्तार से पढ़ने के बाद आइए अब जानते है भगवान शिव के पंच केदार के बारे में – 1 . केदारनाथ 2. मध्यमेश्वर 3. तुंगनाथ 4. रुद्रनाथ 5. कल्पेश्वर केदारनाथ – यह मुख्य केदारपीठ है। इसे पंच केदार में से प्रथम कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने पर अपने ही कुल के लोगों का वध करने के पापों का प्रायश्चित करने के लिए वेदव्यास जी की आज्ञा से पांडवों ने यहीं पर भगवान शिव की उपासना की थी। तब भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर…
यमुनोत्री में देखने लायक जगह – यमुनोत्री में हर तरह के पर्यटकों के लिए अलग अलग देखने लायक जगह है। जहां पर तीर्थयात्रियों के लिए सप्तऋषि कुंड, यमुनोत्री मंदिर, सूर्य कुंड, दिव्य शिला, हनुमान चट्टी, है तो वहीं चंबा, बड़कोट, खरसाली में साहसिक प्रेमियों के लिए ट्रेकिंग ट्रेक भी हैं। यमुनोत्री मंदिर – यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना को समर्पित मंदिर और जानकी चट्टी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पवित्र थर्मल सल्फर स्प्रिंग्स हैं। हनुमान चट्टी से लेकर यमुनोत्री तक की छटा बहुत ही मनमोहक है। सप्तऋषि कुंड- सप्तऋषि कुंड को यमुना नदी का उद्गम स्थल…
यमुनोत्री धाम – उत्तराखंड की पावन यात्रा यमुनोत्री से ही प्रारंभ होती है। यमुनोत्री धाम से पूर्व यात्रा-मार्ग में नरेंद्रनगर, चंबा, टिहरी, धरासू, ब्रह्मखाल, सयाना चट्टी, हनुमान् चट्टी, जान की चट्टी और खरसाली आदि महत्त्वपूर्ण तीर्थ-स्थल पड़ते हैं, तब तीर्थ-यात्री यमुनोत्री पहुँचता है। उत्तराखंड में केदारखंड के चारों धामों में से यमुनोत्री धाम हिमालय की बंदरपूँछ महाशृंग के पश्चिम की ओर से समुद्रतल से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पतित-पावनी यमुना का उद्गम स्रोत यमुनोत्री से लगभग 6 किलोमीटर ऊपर कालिंदी पर्वत पर है। यह स्थान यमुनोत्री धाम से 1098 मीटर अधिक ऊँचाई पर है, यहाँ तक पहुँचना…
गंगोत्री धाम – जहाँ स्वर्ग से धरती पर उतरती हैं माँ गंगा – केदारखंड के चारों धामों में यमुनोत्री की यात्रा के पश्चात् गंगोत्री धाम की यात्रा करने का विधान है। परमपावनी गंगा का स्वर्ग से अवतरण इसी पुण्यभूमि पर हुआ था। सर्वप्रथम गंगा का अवतरण होने के कारण यह स्थान गंगोत्री कहलाया। यह धाम हरिद्वार से 282 किमी. और ऋषिकेश से 257 किमी दूर स्थित है। प्राचीनकाल में गंगोत्री धाम की यात्रा बहुत कठिन समझी जाती थी। ऊँचे पर्वत-शिखरों, दुर्गम घाटियों और उच्छृंखल सरिताओं कारण पार करना सामान्य मनुष्य के लिए दुष्कर था परंतु अब यातायात की सुविधा होने…