उत्तरकाशी: धराली (उत्तरकाशी) में हाल ही में आई आपदा ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था, जब लिमचीगाड पुल बह गया था और आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया था। अब, पुलिस दलों, एसडीआरएफ, इंजीनियरों, और अन्य बचाव दलों के अथक प्रयासों से, क्षेत्र में उम्मीद की एक नई किरण जगी है। उनके अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप, एक बेली ब्रिज का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है और कुछ ही घंटों में इसे आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा। यह पुल आपदा प्रभावित लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा, क्योंकि यह उन्हें फिर से बाहरी दुनिया से जोड़ेगा।
राहत और बचाव कार्य जारी
जहां एक ओर पुल के निर्माण से लोगों में आशा की संचार हुई है, वहीं दूसरी ओर धराली क्षेत्र में आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए राहत अभियान भी पूरी गति से जारी है। आज, खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर ऑपरेशन थोड़ी देर से, लगभग पौने दस बजे, शुरू हुआ। मातली हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से बड़ी मात्रा में खाद्य और राहत सामग्री हर्षिल हेलीपैड तक पहुंचाई जा रही है।
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इसके अलावा, हेलीकॉप्टर द्वारा जरूरतमंद लोगों को आपदा प्रभावित क्षेत्र से मातली पहुंचाने का काम भी नियमित रूप से किया जा रहा है। राहत और बचाव अभियान को गति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए हेली ऑपरेशन के तहत, अब तक 260 से अधिक उड़ानें भरी जा चुकी हैं।
इस विशाल राहत अभियान में मातली हेलीपैड से आठ हेलीकॉप्टर संचालित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, चिन्यालीसौड़ हवाईपट्टी से भी सेना के चिनूक, एमआई, एएलएच और चीता हेलीकॉप्टर हेली रेस्क्यू अभियान में महत्वपूर्ण सहयोग दे रहे हैं। यह सामूहिक प्रयास सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति सहायता से वंचित न रहे और आपदा से प्रभावित लोगों का जीवन जल्द से जल्द सामान्य हो सके। यह नया बेली ब्रिज इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो क्षेत्र में कनेक्टिविटी को फिर से बहाल करेगा।