Tuesday, March 11, 2025
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फूलदेई 2025 (Phool Dei festival 2025) | फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश

फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध लोकपर्व है, जिसे हर साल चैत्र मास की संक्रांति पर मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति प्रेम, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में बच्चे सुबह-सुबह फूल चुनकर घरों की देहरी पर सजाते हैं और मंगलकामना गीत गाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे फूलदेई पर्व 2025 (Phool Dei 2025) का महत्व, उत्सव मनाने की परंपरा, शुभकामनाएं, और आकर्षक फूलदेई फोटो (Phooldei Photo)।

फूलदेई पर एक वीडियो देखें :

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फूलदेई 2025 (Phool Dei festival 2025) कब है ?

फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) इस वर्ष 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। चैत्र संक्रांति पर मनाए जाने वाले इस पर्व में घर-घर जाकर फूल चढ़ाने की परंपरा होती है।

फूलदेई पर्व का महत्व और परंपरा –

1. फूलों से घर सजाने की परंपरा –

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इस दिन बच्चे सुबह जल्दी उठकर जंगलों से बुरांस, प्योली, सेमल, आड़ू और अन्य ऋतुकालीन फूल लाते हैं । फिर वे घरों की देहरी पर फूल सजाकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

बच्चे समूह में घर-घर जाकर यह गीत गाते हैं: –

फूलदेई  छम्मा देई ,
दैणी द्वार भर भकार।
यो देली सो बारम्बार ।।
फूलदेई छम्मा देई
जातुके देला ,उतुके सई

इसके बदले में घर के बड़े उन्हें गुड़, चावल और कुछ पैसे देकर आशीर्वाद देते हैं। जिनका शाम या दूसरे दिन विशेष पकवान बनाये जाते हैं।

उत्तराखंड में फूलदेई एक प्रमुख पर्व है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यह त्योहार एक दिन तक सीमित रहता है, जबकि केदार घाटी में इसे पूरे आठ दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ यह त्योहार चैत्र संक्रांति से चैत्र अष्टमी तक मनाया जाता है। इस दौरान बच्चे प्रतिदिन ताजे फूलों को घरों की देहरी पर डालते हैं और मंगल कामनाएँ करते हुए जयकारा लगाते हैं –

जय घोघा माता, प्यूली फूल, जय पैंया पात!”

गढ़वाल मंडल में माहभर चलता है फूलदेई पर्व –

गढ़वाल मंडल के कुछ क्षेत्रों में यह पर्व केवल आठ दिनों तक ही नहीं बल्कि पूरे चैत्र मास तक मनाया जाता है। यहाँ बच्चे फाल्गुन माह के अंतिम दिन अपनी फूल कंडियों में विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूल जैसे युली, बुरांस, सरसों, लया, आड़ू, पैयां, सेमल, खुबानी आदि एकत्रित कर उनमें जल छिड़कते हैं और खुले स्थान पर रखते हैं।

अगले दिन सुबह होते ही बच्चे अपनी फूल कंडियों के साथ निकल पड़ते हैं और रास्ते में पारंपरिक गीत गाते हैं –

“ओ फुलारी घौर, झै माता का भौंर, क्यौलिदिदी फुलकंडी गौर। ”

देहरी सजाने और सुख-समृद्धि की कामना –

प्योंली और बुरांस के फूलों को इकट्ठा कर बच्चे इन्हें घरों की देहरी और दरवाजों पर सजाते हैं। फूल लगाने की यह प्रक्रिया पूरे चैत्र महीने चलती रहती है। बैसाखी के दिन विशेष रूप से अधिक मात्रा में फूल लाकर, बड़ों के सहयोग से डोली तैयार की जाती है।

इस दिन घर-घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें स्यावंले और पकोड़े** प्रमुख होते हैं। फूलों से सजी इस डोली की पूजा की जाती है और फिर इसे घुमाकर एक पवित्र स्थान पर विसर्जित कर दिया जाता है। उत्तराखंड के कुछ इलाकों में इसे फुलारी त्योहार के नाम से भी जाना जाता है।

घोघा माता की पूजा और उत्सव का समापन –

फूलदेई के अंतिम दिन बच्चे घोघा माता की डोली को पूरी श्रद्धा से पूजते हैं और उनकी विदाई करते हैं। यहाँ फूलदेई खेलने वाले बच्चों को फुलारी कहा जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में बच्चों को इस त्योहार के दौरान गुड़ और चावल दिए जाते हैं, जिन्हें अंतिम दिन प्रसाद के रूप में घोघा माता को समर्पित किया जाता है।

घोघा माता को फूलों की देवी माना जाता है और उनकी पूजा केवल बच्चे ही कर सकते हैं। अंतिम दिन बच्चे विशेष रूप से घोघा माता की डोली सजाते हैं, उन्हें भोग अर्पित करते हैं और पूजा कर पर्व का समापन करते हैं।

फूलदेई शुभकामनाएं और संदेश | Phool Dei festival 2025 Wishes –

इस पर्व पर लोग अपने प्रियजनों को फूलदेई की शुभकामनाएं (Phool Dei Wishes) भेजते हैं। यहां कुछ सुंदर मैसेज दिए गए हैं:

फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) के मैसेज –

1. फूलों की तरह आपका जीवन खिले, सुख-समृद्धि से घर भरा रहे। Happy Phool Dei 2025!
2. देहरी पर फूलों की रंगत, जीवन में खुशियों की बरसात। शुभ फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025)!
3. फूलदेई पर्व का यह शुभ दिन, आपके जीवन में नई उमंग और खुशियां लाए। Happy Phool Dei!
4. फूलों की सुगंध से महकता रहे आपका जीवन, फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं (Phool Dei Wishes)!

फूलदेई फोटो (Phooldei Photo) | पर्व की सुंदर छवियां –

फूलदेई पर्व की सुंदरता को संजोने के लिए लोग फूलदेई फोटो (Phooldei Photo) की तलाश करते हैं। इस पर्व की खास तस्वीरों में बच्चे फूलों से सजी टोकरी लिए होते हैं और घर-घर जाकर फूल चढ़ाते हैं। यहाँ हमने फूलदेई से संबंधित कुछ फोटो यहाँ पोस्ट किये हैं। इस पोस्ट के अंत में हमने फूलदेई पर निबंध वाली पोस्ट का लिंक भी लगाया है ,जो जिसमे फूलदेई के बारे विस्तार से जानकारी दी है ,उम्मीद है फूलदेई पर्व से संबंधित यह जानकारी विद्यार्थी वर्ग के काम आएगी।

फूलदेई 2025 (Phool Dei festival 2025) | फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश

फूलदेई फोटो (Phooldei Photo) के उपयोग –

  • सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए
  • WhatsApp और Facebook स्टेटस के रूप में
  • Wallpaper और Greeting Cards में इस्तेमाल के लिए

अगर आप फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) की बेहतरीन तस्वीरें चाहते हैं, तो आप हमारे इस पोस्ट से फूलदेई त्यौहार की शुभकामनायें वाली तस्वीरें डाउनलोड करें और सोशल मीडिया पर #PhoolDei2025 टैग के साथ शेयर करें। पहाड़ के बच्चों की फूलदेई खेलती हुई तस्वीरें ज्यादा आकर्षक लगती है। ये ही वे तस्वीरें होती हैं जो प्रवासियों को अपने पहाड़ से जोड़ती है।

फूलदेई 2025

निष्कर्ष –

फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व हमें प्राकृतिक सौंदर्य को संजोने और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है। इस फूलदेई 2025 (Phool Dei 2025) पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दें और इस परंपरा को संजोएं।

इन्हे भी पढ़े :

फूलदेई पर निबंध लिखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इस लिंक के माध्यम से फूलदेई की फोटो हमें भेजें।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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