Thursday, May 15, 2025
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उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को मिला सारे देश में प्रथम स्थान

26 जनवरी 2023 की परेड में शामिल उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को सम्पूर्ण देश की झाकियों में प्रथम स्थान मिला है। मानसखंड झांकी में उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के मंदिर ,उद्यान, लोककला, लोक नृत्य का प्रदर्शन किया गया था।

उत्तराखंड की  झांकी में जागेश्वर धाम, उद्यान में नेशनल कार्बेट पार्क, लोककला ऐपण बेलों और विशेष सरस्वती चौकी का अंकन किया गया था। लोक नृत्य के रूप में छोलिया नृत्य करते हुए छोलिया दल ने सभी को आकर्षित किया।

आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने ट्वीट करके ख़ुशी उत्तराखंड की जनता साँझा की….

गौरवशाली क्षण!
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर कर्तव्य पथ पर निकाली गई झांकियों में देवभूमि के वैभवशाली सांस्कृतिक गौरव को परिलक्षित करती ‘मानसखण्ड’ पर आधारित उत्तराखण्ड की झांकी को प्रथम स्थान प्राप्त होने पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई।

उत्तराखंड की मानसखंड झांकी में सूचना विभाग के निर्देशक  K S चौहान के साथ कुल अट्ठारह कलाकार शामिल हुए थे। उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति से सुसज्जित झांकी को समस्त देश में प्रथम स्थान आने पर ,उत्तराखंड में एक नया आत्मविश्वास जागृत हो गया है। उम्मीद है यह आत्मविश्वास उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा।

उत्तराखंड की मानसखंड झांकी
उत्तराखंड की मानसखंड झांकी राष्ट्रपति जी के साथ सामूहिक चित्र , फोटो साभार ट्विटर

इसे भी पढ़े: यहाँ पढ़े उत्तराखंड के लोक नृत्य छोलिया नृत्य के बारे में विस्तृत जानकारी

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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