देहरादून, 27 नवंबर: उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का फैसला लिया गया है। राज्य के हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी सभी 7,477 ग्राम पंचायतों में आज शाम से प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। यह कदम चुनावों में देरी के कारण उठाया गया है। पंचायती राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार ने जारी आदेश के अनुसार, ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी (ADO) को प्रशासक बनाया जाएगा। जबकि, क्षेत्र पंचायतों में 29 नवंबर से प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। इन पदों के लिए एसडीएम को नियुक्त किया जाएगा।
नए ग्राम पंचायतों के गठन या कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छह महीने के भीतर जो भी पहले हो प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। जिलों के विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी पंचायत को प्रशासक नियुक्त करने के लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया है। डीएम की ओर से नियुक्त प्रशासक निर्वाचित ग्राम पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति पर ग्रहण करेंगे और वे नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे, बल्कि केवल सामान्य रुटीन कार्यों को ही कर सकेंगे।
इस फैसले से राज्य में पंचायत चुनावों को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। अभी तक चुनावों की कोई तारीख तय नहीं की गई है। पंचायती राज विभाग के निदेशक निधि यादव ने बताया कि शासन ने जिलाधिकारियों को प्रशासकों की नियुक्ति के लिए अधिकार दे दिया है और बुधवार शाम से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों की क्षेत्र पंचायतों में 29 नवंबर से प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए भी जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया है।
इस फैसले का मतलब है कि आने वाले कुछ महीनों तक ग्राम पंचायतों का कामकाज प्रशासकों के हाथों में रहेगा। इससे ग्रामीण विकास के कार्यों में बाधा आ सकती है। साथ ही, चुनावों में देरी से लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंच सकता है। इस फैसले पर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली जुली हैं। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से ग्रामीण विकास के कार्यों में बाधा आ सकती है। साथ ही, चुनावों में देरी से लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंच सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इस मामले में क्या होता है। क्या चुनाव जल्द ही कराए जाएंगे या फिर प्रशासकों के शासन में ही लंबा समय लगेगा?
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