नई दिल्ली: शिक्षा विभाग के कक्षा एक में दाखिले की समय सीमा पांच वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष करने के फैसले से निजी स्कूलों में UKG में पढ़ने वाले हजारों बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है। उम्र सीमा में छूट नहीं दिए जाने के कारण इन बच्चों को UKG की पढ़ाई दोबारा करनी पड़ सकती है।
यह फैसला उन बच्चों के लिए नुकसानदायक है जो पहले ही UKG में एक साल बिता चुके हैं और अगले साल कक्षा एक में प्रवेश लेने की तैयारी कर रहे थे। शिक्षा विभाग के इस फैसले से इन बच्चों के एक साल का समय बर्बाद हो जाएगा और उन्हें दोबारा वही पढ़ाई करनी पड़ेगी।
नई उम्र सीमा के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 को छह साल पूरे करने वाले बच्चे ही कक्षा एक में प्रवेश लेने के योग्य होंगे। इसका मतलब है कि 1 अप्रैल 2024 को पांच साल पूरे करने वाले बच्चे कक्षा एक में प्रवेश नहीं ले पाएंगे।
इस फैसले से निजी स्कूलों के अभिभावकों में भारी रोष है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग ने यह फैसला बिना किसी विचार-विमर्श के लिया है। अभिभावकों ने मांग की है कि शिक्षा विभाग को उम्र सीमा में छूट देनी चाहिए ताकि उनके बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला बच्चों के हित में लिया गया है। उनका तर्क है कि छह साल की उम्र में बच्चे कक्षा एक में पढ़ाई शुरू करने के लिए तैयार होते हैं।
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हालांकि, कई शिक्षाविदों का मानना है कि यह फैसला गलत है। उनका कहना है कि सभी बच्चों की विकास दर समान नहीं होती है और कुछ बच्चे पांच साल की उम्र में ही कक्षा एक में पढ़ाई शुरू करने के लिए तैयार होते हैं।
यह फैसला निश्चित रूप से उन बच्चों के लिए नुकसानदायक है जो पहले ही UKG में एक साल बिता चुके हैं। शिक्षा विभाग को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और उम्र सीमा में छूट देनी चाहिए ताकि इन बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो।