Thursday, September 21, 2023
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लोक विश्वास में इसे तारे का गु समझकर प्रकृति का बहुत बड़ा नुकसान देते हैं हम।

क्या है ये ? जिसे पहाड़ी लोक विश्वास में तारे का गु ( तारे का मल ) कहते हैं –

अक्सर पहाड़ों मे हम देखते हैं, कि जमीन पर, झाड़ियों में, फसलों के बीच, या घास में एक मुलायम स्पंजी अंडे के आकार का थैला जैसी चीज मिलती है। जिसे छूने हमे से ऐसा प्रतीत होता है, कि यह प्लाटिक या उससे मिलते-जुलते तत्वों से बनी होगी । जब हम उत्सुक्तावश घर वालों से इस विचित्र  चीज के बारे में पूछते तो, वे ये बताते कि, यह तारे का गु है। अर्थात आसमान में से तारों ने मल  पखाना किया है। और इसका मिलना शुभ होता है। इसको घर में जमा करने से सुख – समृद्धि  आती है। और हम खुशी-खुशी खूब सारे तारे का गु जमा कर लेते हैं। मगर हम इस बात से अन्जान थे, कि अपनी सुख-सम्रद्धि के चक्कर में प्रकृति का बड़ा नुकसान कर देते हैं।

असल में जिसे हम तारे का गु समझते हैं, वो प्रेइंग मैन्टिस (Praying mantic) नामक कीट की अंडो की थैली होती है। इसे अंडे की बोरी या उथेका (ootheca) कहते हैं। जब मादा मैंन्टिस ऊथेका पैदा करती है, तो यह नरम होता है। और जल्दी सुखकर और संख्त हो जाता है। उथेका अंडो को तब तक सुरक्षित रखता है, जब तक कि उसमे से बच्चे न निकल जाएँ। अधिकतर प्रेइंग मेन्टिस था मैन्टिस की अन्य प्रजातियां पतझड़ के मौसम में अंडे देती हैं। अन्डे देने के बाद यह कीट मर जाता है। ऊथेका (जिसे हम तारा गु कहते हैं) के अन्दर बसन्त तक आराम करते हैं। उसके उनके दुनिया मे आने की प्रक्रिया शुरू होती है ।

तारे का गु
तारे का गु पैदा करने वाला कीट प्रेइंग

प्रेइंग मैन्टिस (praying mantic) क्या है –

प्रेइंग मैन्टिस, मेन्टिस प्रजाती का एक कीट होता है। इस कीट को हिन्दी में बद्धहस्त कहते हैं। और उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में मैंटिस को ‘ गवाई ‘ या ग्वाली  कहते हैं।  इसे कीट जाती का बगुला भी कहते हैं। यह अपने शिकार (कीड़े, मच्छर, मकोड़ो, मक्खियों ) को दबोचने के लिए ऐसी पोजिशन बनाए रखता है, मानो प्रार्थना कर रहा हो। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है ,यह अपने सर को चारों तरफ घुमा सकता है। पहाड़ों के लोक विश्वास में ग्वाली या गवाई को पवित्र कीट माना जाता है। इसे मारने से पाप लगता है। और हम इसके अंडे उजाड़ देते है।

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अन्त में   इस कीट का जीवन केवल बसन्त से पतझड़ तक का होता है। यह अपने बच्चो (अंडो) को जन्म देते ही मर जाती है। अपने बच्चों को एक प्राकृतिक आवरण देकर प्रकृति के भरोसे छोड़ जाती है। हम अपने अन्धविशवास के कारण इन्हे जमा करके, जाने-अनजोन में बड़ा पाप कर बैठते हैं। और प्रकृति का नुकसान भी कर देते है। क्योंकि ये कीट,अनचाहे कीड़ो, मच्छर मक्खी को खा कर वातावरण की सफाई करते हैं। आज से यदि आपके इस प्रकार की संरचना मिले तो उसे तोड़े नहीं और बच्चों को भी इसके बारे में बताएं।

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