Monday, December 2, 2024
Homeसंस्कृतिसूतक और नातक पहाड़ों में मृत्यु और जन्म से संबंधित परम्पराएं।

सूतक और नातक पहाड़ों में मृत्यु और जन्म से संबंधित परम्पराएं।

Table of Contents

सूतक :

उत्तराखंड की गढ़वाली और कुमाऊनी क्षेत्र में सूतक शब्द का प्रयोग मृतकशौच के लिए किया जाता है। प्रसिद्ध इतिहासकार डा राम सिंह जी के अनुसार ग्रहण लगने पर एक नियत समयावधी को ” सूतक काल ” माना जाता है। यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो इसका प्रभाव उसके पिछली पीढ़ी से संबंधित पारिवारिक लोग या स्वतंत्र परिवारों पर पड़ता है। मृतक के इन सपिण्डी लोगों को पहाड़ी भाषा में बिरादर कहते हैं।

प्रभावित समय की गणना मृतक के साथ बिरादरों की पीढ़ी के अनुसार निकटता और दूरी के आधार पर तय होता है। यह सूतक का समयकाल 3 दिन से 10 दिन तक का हो सकता है। स्थानीय भाषा में तीन दिन तक सूतक से प्रभावित होने वाले लोगों को तीनदिनियाँ बिरादर और दसदिन तक प्रभावित होने वाले लोगों को दसदिनियाँ बिरादर कहते हैं। 8 -10 पीढ़ी की दूरी के बिरादरों को सूतक तीन दिन का होता है। 8 पीढ़ी से कम दूरी के बिरादरों पर इसका प्रभाव दस दिन का होता है।

सूतक

कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर सभी पर उसकी मृत्यु अशौच का प्रभाव केवल तीन दिन का होता है। प्रो dd शर्मा जी बताते हैं कि मृतक अशौच के बारे में गरुड़ पुराण में बताया गया है कि चार पीढ़ी तक के संबंधियों का मृतक असौच दस रात्रि का ,पांचवी का छ रात्रि ,छठी पीढ़ी का चार रात्रि , सातवीं का तीन ,आठवीं का एक ,नौवीं पीढ़ी का दोपहर तक तथा दसवीं पीढ़ी केवल स्नान से शुद्धिकरण हो जाता है।

Best Taxi Services in haldwani

मृतक के अशौच के बारे में कहते हैं कि यदि किसी मृतक के सूतककाल के छह दिन के अंदर की और बिरादर की, मृत्यु हो जाती है तो दोनों का सूतक एक हो जाता है और पहले के साथ ही दूसरे का पीपल पानी होता है। यदि दूसरे बिरादर की मृत्यु छह दिन के बाद होती है तो दोनों का सूतक अलग अलग होता है। इसके अलावा किसी शुभकाम के दौरान या पहले यदि बिरादरी में कोई मृत्यु हो जाती है तो ,मृतक परिवार को बिरादरी से अलग होना पड़ता है। इसके अलवा मृतक शौच और जातक शौच से संबंधित कई और नियम है ,जो क्षेत्र और मान्यताओं के हिसाब से थोड़े अलग हो जाते हैं।

इन्हे पढ़े _

शौशकार देना या अंतिम हयोव देना ,कुमाउनी मृतक संस्कार से संबंधित परंपरा

हमारे व्हाट्सअप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments