Friday, April 11, 2025
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शेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

शेषनाग देवता मंदिर – श्रवण मास की पंचमी को समस्त देश में सनातन धर्म के लोग नागपंचमी योहार के रूप में मानते हैं। उत्तराखंड में नागों को विशेष महत्व दिया जाता है। उत्तराखंड के सभी मंडलों में नागदेवता को लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। यहाँ शेषनाग देवता से लेकर कालियानाग और उसके समस्त परिवार की पूजा होती है। सावन की पंचमी के दिन पड़ने वाली नागपंचमी को भी उत्तराखंड बड़े उत्त्साह और श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है। उत्तराखंड के शेषनाग देवता मंदिर में नागपंचमी के दिन भव्य मेला लगता है।

उत्तराखंड में कहाँ है शेषनाग देवता मंदिर-

उत्तराखंड में शेषनाग देवता मंदिर उत्तरकाशी बड़कोट तहसील के कुपड़ा गांव में स्थित है। यह गांव यमुनोत्री धाम के निकट यमुना घाटी में स्थित है। स्यानचट्टी से 6 किमी वाहन द्वारा और लगभग ३ किलोमीटर पैदल चलने के बाद आप इस भव्य मंदिर में पहुंच जायेंगे। यह मंदिर बहुत भव्य और अद्भुद कलाकारी का नमूना है। बताया जाता है कि 2008  इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया गया। देवदार की लकड़ी और सूंदर पत्थरों को तराश कर बनाया गया यह मंदिर रमणीय है।

शेषनाग देवता पर कुपड़ा गावं के साथ साथ बाहरी लोगों की भी अगाध आस्था है। यहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी को भक्ति और श्रद्धा का अगाध सैलाब उमड़ता है। कुपड़ा गावं के बारे में कहा जाता है कि  यहाँ लगभग ६०० की जन आबादी है। और इस गांव के लोगों ने 30 साल पहले नागदेवता को साक्षी मानकर शराब न पीने की कसम खा ली।  गांव के लोगों का मानना है कि यदि वे शराब को हाथ लगाएंगे तो शेषनाग देवता नाराज हो जायेंगे।

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और तब से आज तक लोग इस कसम का पालन कर रहें हैं। इसके अलावा कुंसला ,त्रिखाली , ओजली आदि आसपास के गावों में इस परम्परा का निर्वाहन किया जाता है। कुपड़ा गांव और आस पास के गावों में शराब पीने के साथ साथ पिलाना भी बंद है। मेहमाननवाजी या दावत में यहाँ के लोग , घी  .दूध दही ,छास परोसी जाती है।

शेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

शेषनाग देवता मंदिर में नागपंचमी के दिन लगता है भव्य मेला –

अगस्त माह में हिन्दू धर्म के पवित्र सावन माह की पंचमी के दिन नागपंचमी पर्व के उपलक्ष में भव्य मेले का आयोजन होता है। देवडोलियों के साथ लोकनृत्य तांदी की धूम रहती है। गावं के साथ साथ बाहर के लोग भी यहाँ मेले में हर्षोउल्लास से भाग लेते हैं। मेले में दूध दही की होली खेली जाती है।

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शेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

अपने गांव ,परिजनों और पशुओं की खुशहाली की कामना के साथ ,गांव के लोग अपनी  गाय और भैसों का दूध ,दही ,मख्खन और छास ,नाग देवता को चढ़ाते हैं। यहाँ मेले के दिन पारम्परिक लोक नृत्यों और लोकगीतों का आयोजन भी किया जाता है। इस अवसर पर भक्त  देवता के साथ साथ जाखेश्वेर महादेव और शमेंश्वेर देवता का आशीर्वाद भी लेते हैं।

शेषनाग देवता मंदिर का मेला  जैसे उत्तराखंड के मेले और परम्पराएं उत्तराखंड की अमूल्य धरोहर है। हमे इन्हे सहेजकर अपनी आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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