Friday, October 18, 2024
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दो बार फल देने वाला आम का पेड़ मिला है,उत्तराखंड के अल्मोड़ा में।

उत्तराखंड के स्नेही मित्रों के लिए खुश खबरी है। खुश खबरी यह है कि उत्तराखंड में साल में दो बार फल देने वाला आम का पेड़ मिला है।दगडियों आम के शौकीन तो सभी हैं, किसे अच्छा नही लगता आम! और आम का व्यसाय भी खूब होता है। मगर विडम्बना ये होती है,कि आम की फसल एक ही बार होती है। हमे रसीले आमों का आनंद लेने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ता है।

मगर इन सभी समस्याओं का समाधान मिला है,उत्तराखंड  अल्मोडा के नौला गांव में। कलमी (फजरी) प्रजाति का यह आम का पेड़ मिला है,विकासखंड ताड़ीखेत के नौला गांव निवासी, श्रीमान देवकी नंदन चौधरी जी के बागवान से। देेवकी नंदन चौधरी जी बागवानी का शौक रखते हैैं।

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श्रीमान देवकी नंदन चौधरी जी ने बताया कि, वो इस दो बार फल देने वाला पेड़ को 2004 में रामनगर के हिम्मतपुर डोटीयाल नर्सरी से लाये थे। उनका यह प्रयोग सफल रहा और चार साल बाद पेड़ ने फल देने शुरू कर दिए।

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इस पेड़ की पहली फसल  जून जुलाई में होती है। और इसकी दूसरी फसल अक्टूबर नवंबर में तैयार हो जाती है। जून जुलाई में होने वाली आम की फसल में,प्रति आम का वजन लगभग 175 से 200 ग्राम होता है।

दो बार फल देने वाला,
दो बार फल देने वाला,  फ़ोटो साभार -अमर उजाला

अक्टूबर और नवंबर वाली फसल में प्रति आम का वजन लगभग 160 से 175 ग्राम तक  होता है। साल में दो बार फल देने वाले आम के पेड़ की लंबाई लगभग 10 फुट की होती है। इसका आम काफी मीठा होता है। उत्तराखंड उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गांव में एक प्रशिक्षण के दौरान इसका पता चला। उत्तराखंड उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि वे इस पेड़ पर और खोज करेंगे। कुल मिलाकर निष्कर्ष ये हुवा कि अब जल्द ही हम सर्दियों में भी आम का स्वाद ले सकेंगें।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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