Thursday, May 15, 2025
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Nanda devi bhajan lyrics – नंदा देवी को समर्पित भजनों के बोल ।

नंदा देवी को पहाड़ की कुल देवी कहते हैं। पहाड़ वासी माँ नंदा को अपनी पुत्री के रूप में मानते हैं।प्रत्येक भाद्रपद में नंदा अष्टमी पर माँ की पूजा अर्चना होती है। गढ़वाल कुमाऊं में माँ नंदा देवी के देवालयों में मेले लगते हैं।प्रत्येक बारह वर्ष में माँ नंदा अपने मायके आती है। तब लोग उसे एक धार्मिक यात्रा के रूप में  ससुराल छोड़ने जाते हैं।  इस धार्मिक यात्रा को नंदा राजजात कहते हैं। यह एशिया की सबसे लम्बी और दुर्गम यात्रा है। प्रस्तुत पोस्ट में हम माँ नंदा के दो प्रसिद्ध गढ़वाली भजनों के बोल (Nanda devi bhajan lyrics) संकलित कर रहे हैं। उम्मीद है ये आपको पसंद आएंगे और इस पोस्ट से आपको मदद मिलेगी।

जय बोला जय भगोती नंदा | Nanda devi bhajan lyrics –

यह प्रसिद्ध भजन को  उत्तराखंड के प्रसिद्ध गायक ,संगीतकार गढ़रत्न श्री नरेंद्र नेगी और मीना राणा व् अनुराधा निराला जी ने गाया है। यह भजन माँ नंदा की धार्मिक यात्रा पर आधारित है। यहाँ देखिये इसके बोल –

जय जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलास की जय !
जय जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलास की जय !
जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू, तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय !
जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू, तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय!
जय जय बोला  …

काली कुलसारी की, देवी उफरांई की,
नंदा राज राजेश्वरी।
बगोली का लाटू की, हीत बिणेसर की
नंदा राज राजेश्वरी।
बीड़ा बधाण की, जमन सिंह जदोड़ा की, कांसुआ कुवंरुं की ,
नंदा राज राजेश्वरी।
जय जय बोला, माता मैणावती, तेरा पिताजी हेमंता की जय।
जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलासा की जय।
जय बोला….

नौटी का नौट्याळूं की, सेम का सेम्वाळूं की,
नंदा राज राजेश्वरी।
देवल का देवळ्यूं की, नूना का नवान्यूं की ,
नंदा राज राजेश्वरी।
देवी नंदकेसरी की, छैकुड़ा का सत्यूं की, बाराटोकी बमणूं की ,
नंदा राज राजेश्वरी।
जय जय बोला दशम द्वार डोली, डोली कुरुड़ हिंडोली की जय।
जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलासा की जय।
जय बोला।

डिमर का डिमर्यूं की, मलेथा मलेथ्यूं की ,
नंदा राज राजेश्वरी।
तोती का ड्यूंड्यूं की, खंडूड़ा खंडूड़्यूं की,
नंदा राज राजेश्वरी।
नैणी का नैन्वळ्यूं की, गैरोळा थपल्यळ्यूं की, चेपड़्यूं का थोकदारूं की,
नंदा राज राजेश्वरी।
जय जय बोला हीत घंड्याळ, तेरा न्योज्यां निसाण की जय।
जय बोला जय भगोती नंदा. नंदा उंचा कैलासा की जय।
जय बोला।।

लाता की मल्यारी की, शैलेसर बनोली की,
नंदा राज राजेश्वरी।
मनोड़ा मनोड्यूं की, देवराड़ा देवरड्यूं की ,
नंदा राज राजेश्वरी।
चमोळी कंड्वळूं की, चौदा सयाणों की, द्यो सिंह भौ सिंह की,
नंदा राज राजेश्वरी।
जय जय बोला तांबा का पतार, तेरा रिंगदा छतारा की जय।
जय बोला जय भगोती नंदा. नंदा उंचा कैलासा की जय।
जय बोला..

हे नंदा हे गौरा। नंदा देवी भजन लिरिक्स | Hey nanda hey gora lyrics

हे नंदा हे गौरा  …..हे नन्दा हे गौरा…
कैलाशों की जात्रा ….
हे नन्दा, हे गौरा….
कैलाशों की जात्रा….
आ. आ..
पटिनों भागिना, हे नन्दा भवानी ।
सौंण भादों का मैहणा, सोरासों की बारी।।
लागिगे नि बाटा, यो भगति त्यारा ।
यौ बाजा भंकौरा, सब त्यारा द्वारा।।
हे नन्दा, हे गौरा…
कैलाशों की जात्रा…
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जाते कि तैयारी।
हे देवी छाजिरौ चांदी को छतरा ,
भुज को पतला, हाथेकि पौजिया।
देवी आ……
चांदी को छतरा, पांव की पौलिया।
भोजि का पथरा, हाथों कि पौछिया।।
देवी …….
पावन करिदे, यो धरती सारी,
सुफल है जाया, मेरी नन्दा भवानी।।
हे नन्दा हे गौरा……
कैलाशों की जात्रा….
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जाते कि तैयारी।।
हे नन्दा, गौले की हसुली, मौनि को जुन्याला।
स्योनि का संगाला, पूजला भूमियाला।।
सोबनातु पाणि, पोनो का सुपाली,
देवि जात्रा आया, हे गौरा भवानी।।
हे नन्दा, हे गौरा….
कैलाशों की जात्रा….
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जाते कि तैयारी।।
देवी…..
भगतों की देवी, तुइमैं सकारी।
गायी माई मॉ तू, छाया माँ करी।
पैटण लागि ग्ये, कैलाशे की बारी।
आशीष दी जाया, विनती हमारी।
सौंण भादो को मैहणा,
सोरासों की बारी।।
हे नन्दा हे गौरा….
कैलाशों की जात्रा…
हे नन्दा, हे गौरा…
कैलाशों की जात्रा…
हे माता सुनन्दा, हे माता भवानी,
सौंण भादों का मैहणा, जाते कि तैयारी।।

इन्हें पढ़े- शकुनाखर | कुमाऊं मंडल के संस्कार गीतों की अन्यतम विधा।

गीत के बारे में –नंदा देवी को समर्पित हे नंदा हे गौरा भजन गढ़वाली लोक गायक दर्शन फर्स्वाण जी ने गाया है। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में यह भजन आजकल बहुत पसंद किया जा रहा है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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