Friday, April 11, 2025
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मसाण को जब मिला उसका गुरु! पहाड़ की रोचक लोक कथा

पहाड़ के एक गावँ में एक भयानक मसाण लग गया था। शाम ढलते ही, मशाण का गावँ में आगमन हो जाता था। और जो भी बाहर मिलता उसे उठा कर ले जाता लेता था। ऐसा करते करते उसने गावँ के बहुत सारे लोग गायब कर दिए थे। किसी को नही पता था, वो उन लोगों को कहाँ गायब करता था ? और उनके साथ क्या होता था ? धीरे धीरे उस गावँ में भय का माहौल बन गया ! सूरज ढलते ही लोग दरवाजे बंद करके अंदर दुबक जाते थे। फिर भी उस मसाण के हत्थे कोई न कोई चढ़ ही जाता था।

गांव वाले बहुत भयभीत होने लगे, उनको कोई उपाय नही सूझ रहा था। सभी परेशान थे कि इस बला से कैसे पीछा छुड़ाएं! तभी एक दिन एक साधु महात्मा उस गावँ में आये। सारे गावँ वालों ने मिलकर अपनी समस्या साधु महात्मा को बताई और इस समस्या का निदान करने की विनीत की। साधु महात्मा मान गए। साधु गावँ के एक घर को पूर्ण रूप से खाली करा कर उसमे ठहर गए। शाम होते ही उन्होंने घर के दरवाजे बंद कर अंदर उजाला कर लिया।

अब रात को गांव में मसाण आ गया । वह सोच रहा था आज कौन मिलेगा किसकी दवात उड़ाऊंगा, तभी उसकी नजर, उजाले वाले घर पर पड़ गई। वह जल्दी से उस घर की तरफ लपका ! और मन ही मन खुश हो गया, कि आज तो किस्मत अच्छी है, शिकार खुद मेरा इंतजार कर रहा है।

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घर के नजदीक पहुँच कर , ओहो – ओहो मैसेन -मैसेन बास ( अहा इंसानी खुश्बू आ रही है )

मसाण
फ़ोटो साभार – Printset

उस घर के आंगन में पहुच कर, मसाण ने जोर से दहाड़ा, जो भी अंदर है, चुप चाप बाहर आ जा, नहीं तो द्वार तोड़ दूंगा।
अंदर से जोगी बाबा, उससे भी भयंकर आवाज में दहाड़ कर बोले, “कौन है आधी रात में अकड़ रहा है ? ( कौन है ,जो आधी रात में परेशान करने की धृष्टता कर रहा है ?)
मसाण को आशा नही थी कि अंदर से उससे भी भयंकर आवाज में जवाब मिलेगा। वह थोड़ा सा सहम गया।
फिर वह सम्हलकर बोला, “लगता है तेरी मौत आ रखी है आज तभी मेरे जैसे ताकतवर मसान से  ऐसे अकड़ कर बात कर रहा है।”
साधु बाबा ने अंदर से भयंकर अट्टहास की आवाज निकाली, फिर बोला , “तू कहाँ का ताकतवर ठैरा, तू तो मेरी उंगली के नाखून के बराबर भी नही होगा, बड़ा आया ताकत वाला, हुऊ (जोर से हुंकार छोड़ी ) ”
मशान को घच्चेक सी लगी! अंदर से थोड़ा हिल गया वो।
उसने सोचा , “लगता है गावँ में कोई तगड़ा मसाण आ गया है। बिना देखे और बिना सोचे समझे उससे भिड़ना बेवकूफी होगी, नही तो किसकी हिम्मत जो एक मसान से ऐसी हिम्मत भरी बात करें, यहाँ तो लोग शाम होते ही डर से दुबक जा रहे हैं। ”

मसान ने अंदर को आवाज लगाकर बोला, “अच्छया जब तू इतना ताकतवर है,तो खिड़की से अपनी उंगली दिखा !”
साधु बाबा ने खिड़की से बाहर को मूसल दिखा दिया !  मसान बेचारा सत्र हो गया ।
इतनी मोटी उंगली उसने किसी की न देखी थी, और न सुनी थी ! फिर मसान ने डरते डरते बोला, ” जरा अपने बाल दिखा तो !!!”
अंदर से साधु बाबा ने बाबिल के दो मोटे झाड़ू को एक साथ मिला कर बाहर को लहरा दिया !
मसान को घच्च हुई ! उसने सोचा अंदर कोई भयंकर ही बैठा है । जो मेरा भी गुरु है ।
फिर मसान ने अपना आखिरी दाव फैंका ! मसान बोला, ” अपनी थूक बाहर फेक कर दिखा तो जरा !”

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अगर से साधु बाबा ने , दो बार  जोर से आकथू बोल कर , दो ठेकी दही बाहर फेंक दिया । ठेकी दही रखने के बर्तन को बोलते हैं। इतना सारा ठंडा दही जब मसान के चेहरे पर पड़ा तो , उसके होश फाख्ता हो गए !!! वो डर के मारे सत्र हो गया ! मसान ने सोचा, इतनी मोटी उंगली , इतने बड़े बाल, और इतना गाढ़ा ,ठंडा थूक किसी भयंकर शैतान के हो सकते हैं ! लगता है यहां कोई मेरा भी गुरु बैठा है !!

इतने में अंदर से साधु बाबा ने फिर मोटी आवाज में बोला,” वो तो मेरा उसूल है, कि मैं एक दिन में एक ही आदमी को खाता हूं, अभी अभी इस घर के मालिक को खा के बैठा था, कि इतने में तू आ गया ! कल रात को आना तू, कल तुझे कहूंगा ! बहुत मजा आएगा तुझे खाने में! खासकर तेरा खून पीने में, बहुत अकड़ रहा तू ! लगता है खूब गर्मी है तेरे खून में ! चल अभी मुझे सोने दे, कल तेरी बारी, तेरे खून की गर्मी कल निकालूंगा !!!!!!

साधु बाबा का इतना कहना, मसान ने बोला ,”बाबाहो यहाँ तो मेरा भी गुरु है! यहाँ से अपनी जान बचाने में भलाई है ! ” उसके बाद उसने ऐसी दौड़ लगाई , कि वह उस गावँ से बहुत दूर चला गया ! फिर कभी लौट कर नहीं आया !!

गावँ को मसाण के दोष से मुक्ति मिलने पर ग्रामवासी बहुत खुश हुए, उन्होंने साधुबाबा का नतमस्तक होकर धन्यवाद किया !और बहुत दिनों तक अपने गावँ में ,साधु बाबा की खूब सेवा की ।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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