कुमाऊं मण्डल के चम्पावत जनपद में स्थित क्रान्तेश्वर मंदिर /किरातेश्वर (कानादेव) एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यह देवालय चम्पावत मुख्यालय से लगभग 5-6 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में कूर्म पर्वत की ऊँचाई पर स्थित है, जो 7248 फीट की ऊंचाई पर एक मनोरम स्थल है। चारों ओर हरी-भरी वनावली से घिरा यह स्थान शांति और भव्यता का प्रतीक है।
इस स्थान पर स्थित शिव मंदिर में विशेष रूप से श्रावण मास के दौरान पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। आसपास के गांवों के निवासी, जैसे कांडा और सिमल्टा, यहां शिव की पूजा करते हैं, जो एक धार्मिक परंपरा बन चुकी है। मंदिर के शिखर से नैनीताल और चम्पावत जनपदों का दृश्य अत्यंत सुंदर और हरे-भरे पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ दिखाई देता है।
कूर्म पर्वत का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत गहरा है। इसे प्राचीन काल में ‘कूर्म ऋषि’ की तपस्थली माना जाता था, और यह क्षेत्र कालांतर में ‘कूर्मांचल’ या ‘कूर्मप्रस्थ’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान विष्णु का कूर्मावतार इसी क्षेत्र में हुआ था। इस कारण यहां एक शिला पर भगवान विष्णु के पदचिह्न की पूजा भी की जाती है।
स्कन्दपुराण के मानसखण्ड में भी कूर्म पर्वत का उल्लेख किया गया है, जो इस स्थल की धार्मिक अहमियत को और बढ़ाता है। स्थानीय लोग इस स्थान को ‘कानादेव’ के नाम से ज्यादा जानते हैं, और यह क्षेत्र उनकी धार्मिक आस्था और विश्वास का केंद्र है।
यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसलिए यदि आप प्रकृति और धार्मिकता का संगम देखना चाहते हैं, तो क्रान्तेश्वर/किरातेश्वर (कानादेव) एक आदर्श स्थल है।
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