Thursday, April 17, 2025
Homeदार्शनिक स्थलखैट पर्वत : उत्तराखंड के हिमालय का रहस्यमयी परिदेश

खैट पर्वत : उत्तराखंड के हिमालय का रहस्यमयी परिदेश

खैट पर्वत : परियों की कहानिया, परियों के किस्से सब को अच्छे लगते हैं। बच्चों को परियों की कहानियां सुनाई जाती हैं। लेकिन अधिकतर लोग इन्हे काल्पनिक मानते हैं। आज इस लेख में हम एक ऐसी जगह के बारे में बात करेंगे ,जहाँ इनको मानते हैं ,पूजते है। और उनका विश्वास है कि परियां होती है। और उनका एक निवास भी है। यह स्थान है ,उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल जिले का खैट पर्वत। यह पर्वत प्रतापनगर ब्लॉक में स्थित है।

वीडियो देखें :

Hosting sale

खैट पर्वत समुद्र तल  से 7500 फ़ीट की उचाई पर स्थित है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यह एक रहस्य्मयी पर्वत है। यहाँ परियों का निवास है ,जिन्हे स्थानीय भाषा में आछरियां बोलते हैं। स्थानीय लोग खेट पर्वत को  परियों का देश कहते है। यहाँ प्रतापनगर ब्लॉक के थात गावं से किलोमीटर पैदल चलकर पंहुचा जा सकता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार यहाँ माँ दुर्गा ने मधु कैटव नामक असुर का संहार किया था। कैटव का अभ्रंश खैट हो गया ,ऐसी लोगो की मान्यता है। यहां पर माता का एक मंदिर भी है। जिसमे प्रतिवर्ष पूजा पाठ और भंडारों का आयोजन होता है।

खैत पर्वत का रहस्य –

खैट पर्वत के स्थानीय लोगों के अनुसार यह एक रहस्य्मयी पर्वत है। यहाँ परियां आती है। अगर रात्रि  में कोई इंसान वहाँ गलती से छूट जाए या वहां चला जाय तो परियां उसे अपने साथ ले जा लेती हैं।  लोग इनकी वनदेवियों के रूप में भी पूजा करते है। खैट पर्वत पर स्थित मंदिर है ,मुख्य रहस्यों का केंद्र। जैसा कि हमने उपरोक्त में बताया कि यहाँ एक मंदिर है। स्थानीय लोग इसे परियों या आछरियों के मंदिर के रूप में भी पूजते है। प्रतिवर्ष जून माह में यहाँ मेला लगता है। यह मंदिर का नाम खैटखाल  मंदिर कहते हैं।

Best Taxi Services in haldwani

परियों को तेज आवाज चटकीला रंग और संगीत पसंद नहीं है। यहाँ एक गुफा  है, जिसे एक रहस्यमई  गुफा माना  जाता है। कहा जाता है कि इस गुफा का कोई अंत नहीं है। समाचार पत्रों और शोध पत्रिकाओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार ,इस पर्वत पर अमेरिका की मैसासयुसेट्स विश्वविद्यालय ने यहाँ एक शोध किया। और  इस शोध में उन्होंने पाया कि ,यहाँ कुछ ऐसी शक्ति है , जो अपनी ओर आकर्षित करती है।

मान्यता है कि ,इस पर्वत पर 9 परियां रहती हैं। जिन्हे स्थानीय भाषा में आछरियां कहते हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात या है कि ,यहाँ अनाज कूटने वाली ओखलियाँ जो समतल पर बनी होती है , खैट पर्वत पर ये ओखलियाँ दीवारों पर बनी हैं। और यहाँ अपने आप लहसुन और अखरोट की खेती होती है।

खैट पर्वत

खैट पर्वत की परियों से जुडी कई लोक कथाएं स्थानीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं। जिनमे से एक कथा इस प्रकार है। एक जीतू नामक व्यक्ति था। जो नित खैट पर्वत पर गाय बछियाँ चराने जाता था। वह बहुत मधुर बासुरी बजाता था। एक बार खेट पर्वत की परियां उसकी मुरली की धुन से आकर्षित होकर आ गई और जीतू को अपने साथ ले गई।

इसे भी पढ़े: उत्तराखंड का एक ऐसा ताल जहाँ परियां स्नानं करने आती हैं।

खैट पर्वत कैसे पहुचें –

खैट पर्वत भौतिक रूप में भी अपने आप में एक रोमांचकारी पर्वत है। ट्रैकिंग ,घूमने और रोमांचकारी यात्रा के लिए यह पर्वत काफी उपयुक्त है। सरकार  की उदासीनता के कारण यह एक अच्छा पर्यटन स्थल में विकसित नहीं हो पाया।  इसलिए यहाँ रहने की व्यवस्था नहीं है।

वैसे भी यह निर्जन वन रात्रि निवास के लिए उपयुक्त नहीं है। दिन में यहाँ प्रकृति के नजारों का आनंद ले सकते है। इस रोमांचकारी यात्रा का अनुभव लेने के लिए ,आपको सर्वप्रथम देहरादून आना होगा।  नजदीकी हवाई अड्डा और नजदीकी रेलवे स्टेशन  देहरादून है, जो कि ,देश के सभी रूटों से अच्छी तरह जुड़ा है।

वैसे ऋषिकेश का रेलवे स्टेशन भी ,खैट पर्वत जाने के लिए उपयुक्त रहेगा। देहरादून या ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा ,टिहरी प्रताप नगर ब्लॉक पहुंच कर वहां थात गांव से 6 किलोमीटर की पैदल ट्रैकिंग करनी पड़ती है।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप में जुड़ने के  लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments