Table of Contents
परिचय:
कुमाऊं मंडल में स्थित चम्पावत जनपद के टनकपुर से 18 किमी दूर, पूर्णागिरी पर्वत के शिखर के पास स्थित एक अनोखा देवालय है, जिसे ‘झूठा मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह एक छोटा ताम्र देवालय है, जो अपनी रहस्यमयी कहानी और असामान्य स्थिति के लिए प्रसिद्ध है। आज हम इस मंदिर की दिलचस्प और रहस्यमयी कथा पर एक नज़र डालेंगे।
झूठा मंदिर का इतिहास:
झूठा मंदिर के बारे में एक प्रचलित कथा है, जो इसके नामकरण की वजह बताती है। कहते हैं कि एक समय किसी सेठ ने मां पूर्णागिरी के मंदिर में एक मनौती की थी। उसने वचन लिया था कि यदि उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह यहां एक सुवर्ण (सोने) का मंदिर बनवाकर देवी को समर्पित करेगा। मां पूर्णागिरी की कृपा से सेठ की मनोकामना पूरी हुई।
सेठ का धोखा और मंदिर का निर्माण:
लेकिन, जैसे ही उसकी इच्छा पूरी हुई, सेठ के मन में खोट आ गया। उसने सोचा कि सोने का मंदिर बनवाने के लिए बहुत धन का खर्च होगा, इसलिए क्यों न तांबे का मंदिर बनवा कर उस पर सोने का पानी चढ़वाया जाए। सेठ ने ठीक वैसा ही किया और तांबे का एक छोटा मंदिर बनवा दिया, जिसे सोने की परत चढ़ाई गई।
मंदिर का रहस्य :
जब सेठ ने पूरा मंदिर देवी के चरणों में अर्पित करने के लिए उठाया, तो वह मंदिर इतना भारी हो गया कि सेठ उसे उठा नहीं सका। यह घटना देवी की अस्वीकृति के रूप में मानी गई। सेठ ने मंदिर को यहीं पर छोड़ दिया और लौटते हुए यह मान लिया कि देवी की इच्छा पूरी नहीं हुई। तभी से यह मंदिर वहीं पड़ा हुआ है।
झूठा मंदिर का नामकरण :
क्योंकि यह मंदिर सुवर्ण का नहीं था और न ही इसमें कोई मूर्ति थी, इसे ‘झूठा मंदिर’ के नाम से पुकारा गया। यह नाम समय के साथ प्रसिद्ध हुआ और अब यह स्थान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक दिलचस्प और रहस्यमयी स्थल बन चुका है।
मंदिर का महत्व और वर्तमान स्थिति:
आज के समय में यह मंदिर बिना किसी पूजा-पाठ के खाली पड़ा है, लेकिन इसके इतिहास और कथाओं ने इसे एक सांस्कृतिक धरोहर बना दिया है। यहां न कोई मूर्ति है और न कोई विशेष पूजा होती है, फिर भी यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल है।
उपसंहार :
झूठा मंदिर की कहानी हमें यह सिखाती है कि मानव इच्छाएं और खोटे विचार कभी भी किसी महान उद्देश्य के विरुद्ध जा सकते हैं। चाहे वह किसी देवता की कृपा हो या उसके प्रति अकीदत, यह मंदिर आज भी एक प्रेरणा है, जो हमें सच्चाई और ईमानदारी की अहमियत समझाता है।
आह्वान :
अगर आप भी इस रहस्यमयी और ऐतिहासिक मंदिर के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो टनकपुर और पूर्णागिरी पर्वत की यात्रा जरूर करें और खुद इस रहस्य को महसूस करें। पूर्णागिरि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।