Friday, October 18, 2024
Homeसंस्कृतिउत्तराखंड की लोककथाएँहरज्यू और सैम देवता, उत्तराखंड कुमाऊँ क्षेत्र के लोक देवता की जन्म...

हरज्यू और सैम देवता, उत्तराखंड कुमाऊँ क्षेत्र के लोक देवता की जन्म कथा।

हरज्यूँ और सैम देवता की जन्मकथा । लोककथाओं के आधार पर ।

हरज्यू और सैम देवता  कुमाऊ के सुख समृद्धि के देवता माने जाते हैं। हरू देवता  सबका कल्याण करने वाले शांत स्वभाव के देवता माने जाते हैं।एक लोक कहावत में कहा जाता है,कि जहॉ हरज्यूँ ( हरू ) का वास होता है, वहा सुख समृद्धि रहती है। और ये जहॉ नाराज हो जाते हैं , वहाँ सब विनाश हो जाता है। आन हरज्यूँ हरिपट । जान हरज्यूँ खड़पट।

प्रस्तुत लेख हम आपको उत्तराखंड के लोक देवता हरज्यू और सैम देवता की जन्मकथा सुनाएंगे। तो आप इस लेख में अंत तक बने रहिए।

 हरज्यू और सैम देवता की जन्म कथा –

हरज्यू और सैम देवता दोनो को भाई मन जाता है। उनके मंदिर भी साथ साथ होते हैं। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में उनकी जागरों में उनकी जन्म गाथा गया कर उनको अवतरित कराया जाता है। हरू राजा हरिश्चन्द्र को कहा जाता है, जो चंपावत के राजा,और मन से एक सात्विक आत्मा थे । वो सबका कल्याण करते थे। उन्होंने राजपाट का त्याग कर अपने भाई सैम, सेवको लटुवा,भनारी और अन्य सेवको के साथ सन्यास ले लिया। और लोगो का कल्याण करने लगे। उनकी मृत्यु के पश्चात वो देवरूप में पूजे जाने लगे । ( हरज्यू और सैम देवता)

बहुत समय पहले की बात है, उत्तराखंड कुमाऊ क्षेत्र में ,निकन्दर नामक एक प्रतापी राजा हुवे थे। उनकी बेटी का नाम था,कालानीरा । एक वर्ष इस वर्ष की भांति हरिद्वार में कुंभ चल रहा था। तब राजकुमारी कालानीरा का मन भी हरिद्वार कुंभ में जाने को हुवा, तो उसने अपने पिता जी से आज्ञा मांगी।

Best Taxi Services in haldwani

तब पिता ने कुंभ में अकेली बेटी को भेजने से मना कर दिया। मगर कालानीरा नही मानी वो जिद पर अड़ गई। तब पुत्री के जिद के आगे विवश पिता ने पुत्री को कुंभ मेले में जाने की आज्ञा दे दी । लेकिन पुत्री को सावधान करते हुए कहा कि हरिद्वार में केवल घुटनो तक नहाना , डुबकी मत लगाना। कालानीरा पिता की आज्ञा मानकर हरिद्वार कुंभ में चली गई। (हरज्यू और सैम देवता)

हरिद्वार में लाखों साधु सन्यासी आये थे, स्नान कर रहे थे। कालानीरा ने भी अपनी कुटिया एक किनारे पर बनाई और स्न्नान करने नदी में उतर गई। पहले उसको अपने पिता की बात याद थी,कि घुटनो तक ही नहाना है। बाद में सभी साधु सन्यासियों को डुबकी लगाते देख,कालानीरा का मन भी डुबकी लगाने को हुवा ,उसने पिता की कही बात भूल कर डुबकी लगा दी। जैसे ही कालानीरा ने डुबकी लगाई, उसी समय सूर्य की किरणें भी गंगा में पड़ी। और जब कालानीरा डुबकी लगा कर बाहर निकली तो, उसको अहसास हुआ, कि वो गर्भवती हो गई है।

गढ़वाल की फूलों की देवी , गोगा माता की कहानी। जानने के लिए क्लिक करें।

लोक लाज के डर से, कालानीरा अपने राज्य की तरफ नही गई, जंगलो की तरफ चली गई। जंगल मे एक स्थान पर उसे गुरु गोरखनाथ तपस्या करते हुए दिखे, उनकी धूनी बुझ चुकी थी,पेड़ पौधे सुख गए थे। कालानीरा वही रुक गई, और सुखी लकड़ीयां इकठ्ठा करके गुरु गोरखनाथ की धूनी,दुबारा जला दी। पेड़ पौधों को पानी दे कर उनको हरा भरा कर दिया। (हरज्यू और सैम देवता)

जब गुरु गोरखनाथ की तपस्या पूरी हुई तो वो बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कालानीरा को वर देना चाहा,लेकिन कालानीरा ने वरदान में मृत्यु मांग ली,इस अजीब वर को सुनकर गुरु गोरखनाथ ने उनके दुख का कारण पूछा। कालानीरा ने सारा वृतान्त बता दिया। तब गुरु गोरखनाथ ने कालानीरा को वरदान दिया कि,पुत्री चिंता मत करो तुम्हारे सारे पुत्र पराक्रमी होंगे और देवताओं की तरह पूजे जाएंगे।

हरज्यू और सैम देवता
उत्तराखंड अल्मोड़ा के बगुन गाँव मे स्थिति लोक देवता हरज्यूँ की धूनी ( मंदिर )

हरज्यू और सैम देवता

कालानीरा गुरु गोरखनाथ जी के आश्रय में ही रहने लगी। कुछ दिनों के बाद कालानीरा कि बाई कोहनी से एक पुत्र हुवा ,जिसका नाम गुरु गोरखनाथ जी ने हरू रखा। एक दिन कालानीरा स्नान के लिए नदी को गई ,और बालक हरू आश्रम में गुरु जी के पास बैठा गई। किन्तु बालक हरू चुपचाप माँ के पीछे पीछे चल दिये। उस नदी के किनारे एक भयंकर मासण रहता था, जिसका नाम था लटुवा माशाण, जैसे ही कालानीरा नदी पर पहुची  उनपे लटुवा मशान ने हमला कर दिया।

अपनी माँ पर हमला होते देख बालक हरू एकदम बिजली की फुर्ती से लटुवा माशाण पर चिपट गए, दोनो की भयंकर लड़ाई हो गई। बालक हरू ने फुर्ती और बहादुरी का परिचय देते हुए ,लटुवा मसान की गर्दन में बैठ कर उसे परास्त कर दिया और अपना दास बना लिया। ( हरज्यू और सैम देवता )

उधर गुरु गोरखनाथ ने हरू को आश्रम में नही देखा तो उनको लगा, बालक को कुछ हो गया या कोई जंगली जानवर ले गया। उन्होंने कुसा का तिनका लेकर ,उसमे अपने तपोबल प्राण फूंक दिए । और हरू के जैसे  एक बालक को जन्म दे दिया। जब कालानीरा पुत्र हरू के साथ आश्रम पहुची ,तो वहाँ हरू के जैसे दूसरे पुत्र को देख कर चकित हो गई। तब गुरु गोरखनाथ जी ने कालानीरा को सारा वृत्तांत बताया ।

हरज्यू और सैम देवता, उत्तराखंड कुमाऊँ क्षेत्र के लोक देवता की जन्म कथा।

गुरु गोरखनाथ जी ने कालानीरा को वरदान दिया ,जो पुत्र जन्म में श्रेष्ठ है,उसका नाम हरू,और जो कर्म में श्रेष्ठ उसका नाम सैम होगा। तुम्हारे दोनो पुत्र चमत्कारी और पूजनीय होंगे। (हरज्यू और सैम देवता)

तो मित्रों यह थी , उत्तराखंड कुमाऊ के लोक देवता हरज्यू और सैम देवता की जन्म कथा। उपरोक्त लेख का स्रोत , हरज्यूँ  सैम देवता जागर, और डॉ त्रिलोचन पांडे जी की किताब कुमाउनी भाषा और उसका साहित्य है। यदि आपको इसमे कुछ त्रुटि हो,तो आप हमे कमेंट्स के माध्य्म या हमारे फेसबुक पेज देवभूमिदर्शन में हमको कमेंट या मैसेज माध्यम से बता सकते हैं। हम उचित संसोधन करंगे।

यहां भी देखें –  हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप में जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments