Table of Contents
गणनाथ का अर्थ और धार्मिक महत्व –
गणनाथ शब्द का अर्थ है गणों के स्वामी, अर्थात स्वयं भगवान भोलेनाथ। भगवान शिव को समर्पित यह पवित्र स्थल गणनाथ मंदिर अल्मोड़ा जिले के मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर मल्ला स्युनरा गांव में स्थित है। यह पर्वतीय मंदिर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊँचाई पर एक प्राचीन गुफा में विराजमान है।
गणनाथ मंदिर तक पहुँचने के दो प्रमुख मार्ग हैं —
- अल्मोड़ा–सोमेश्वर मार्ग पर रनबन से लगभग सात किलोमीटर की सीधी चढ़ाई द्वारा
- अल्मोड़ा–बागेश्वर मार्ग पर ताकुला से चार किलोमीटर पैदल चलकर
- दोनों मार्ग श्रद्धालुओं को प्राकृतिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।
गुफा के भीतर का दिव्य दृश्य –
मंदिर की सबसे खास बात यह है कि गुफा में स्थित शिवलिंग पर ऊपर से वटवृक्ष की जड़ से चूने का दूधिया जल लगातार टपकता है। श्रद्धालु इस चमत्कारी जल को अमृत की बूंदें टपकना कहते हैं। मंदिर में स्थित विष्णु प्रतिमा के बारे में भी एक रोचक किंवदंती प्रचलित है ,मान्यता है कि यह मूर्ति पहले बैजनाथ मंदिर में थी, जिसे बाद में यहाँ स्थापित किया गया।
गणनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व –
कुमाऊँ क्षेत्र के इतिहास में गणनाथ मंदिर का धार्मिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है। गोरखा शासन काल (1790–1815 ई.) में यहाँ उनकी सैन्य छावनी हुआ करती थी। 1815 ई. में ब्रिटिश सेना के साथ युद्ध के दौरान गोरखा सेनापति हस्तिदल चौतरिया ने यहीं मारा गया था । इसी वर्ष कुमाऊँ के प्रसिद्ध राजनेता और नीति-निर्माता हर्षदेव जोशी का भी इसी स्थान पर देहावसान हुआ। इसलिए यह स्थल शौर्य और बलिदान की स्मृतियों से जुड़ा हुआ है।
कार्तिक पूर्णिमा मेला और धार्मिक परंपराएँ –
गणनाथ मंदिर में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा और होली के शुभ अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है। पहले के दशकों में यह मेला जुआरियों की अपील कोर्ट के रूप में भी प्रसिद्ध था। दीपावली में हारे हुए जुआरी यहाँ आकर अपना भाग्य दोबारा आज़माते थे, किंतु प्रशासनिक सख्ती के बाद यह परंपरा अब समाप्त हो चुकी है।
कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर (गढ़वाल) और जागेश्वर धाम की तरह ही यहाँ भी बैकुंठ चतुर्दशी पर महिलाएँ और निसंतान दंपत्तियाँ संतान प्राप्ति की कामना से दीप जागरण व खड़ दिया पूजा करती थीं। सामाजिक परिवर्तनों और आधुनिक चिंतन के चलते अब यह पूजा-पद्धति धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।
पर्यटन और आस्था का संगम-
गणनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक तीर्थ है बल्कि अल्मोड़ा की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का भी श्रेष्ठ स्थल है। यहाँ से हिमालय की चोटियाँ, हरे-भरे जंगल, और कुमाऊँ की लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम दिखाई देता है। इसलिए यह स्थान आस्था, इतिहास, और प्रकृति तीनों के अद्वितीय मेल का प्रतीक है।
संदर्भ: उत्तराखंड ज्ञानकोष
फोटो साभार: भगवत नगरकोटी
इन्हें भी पढ़ें:
हमारे व्हाट्सअप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
