नई दिल्ली: उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और जैविक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का एक प्रयास भी रही। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य की पहाड़ी संस्कृति और ग्रामीण जीवनशैली से जुड़े ऐसे उपहार भेंट किए, जो न केवल स्थानीय कृषि उत्पादों की विशिष्टता को दर्शाते हैं, बल्कि उनमें छिपे औषधीय एवं पारंपरिक महत्व को भी सामने लाते हैं।
स्थानीय उत्पादों की अनुपम भेंट
मुख्यमंत्री द्वारा भेंट किए गए उत्पादों में विशेष रूप से उत्तराखण्ड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली पारंपरिक औषधीय एवं मसालेदार वनस्पतियाँ शामिल थीं।
- काला जीरा (Carum carvi): यह सामान्य जीरे से स्वाद में कहीं अधिक मीठा और सुगंध में मिट्टी जैसा होता है। इसका उपयोग पहाड़ी व्यंजनों में गरम मसाले के रूप में किया जाता है और यह पाचन सुधार में लाभकारी माना जाता है।
- जम्बू (Allium stracheyi): एक सुगंधित पहाड़ी मसाला, जिसे न केवल स्वाद बढ़ाने के लिए बल्कि स्वास्थ्य लाभ जैसे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण और पाचन सुधार के लिए भी जाना जाता है।
- गन्धरेण (Angelica glauca): यह दुर्लभ हिमालयी वनस्पति औषधीय गुणों से भरपूर है और पारंपरिक मसाले के रूप में भी प्रयुक्त होती है।
- कनार घी: पिथौरागढ़ की कनार घाटी में उत्पादित यह विशेष घी अपने काले रंग और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसे हिमालयी जड़ी-बूटियों से पोषित गायों के दूध से तैयार किया जाता है।
आध्यात्मिक प्रतीक और साहित्यिक भेंट
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री को उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कार्तिक स्वामी मंदिर का प्रतिरूप भी भेंट किया, जो राज्य की आध्यात्मिक आस्था और मंदिर स्थापत्य की विशिष्टता का परिचायक है। इसके साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री को “आदि कैलाश यात्रा” पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक भी भेंट की, जो धार्मिक पर्यटन और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है।
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जैविक कृषि और खाद्य उपहार
संपर्क के दौरान प्रधानमंत्री को उत्तराखण्ड के जैविक कृषि उत्पादों – लाल चावल (पुरोला क्षेत्र से), बासमती चावल और स्थानीय जैविक शहद भी भेंट किए गए। ये उत्पाद उत्तराखण्ड की समृद्ध कृषि परंपरा और पर्यावरणीय संतुलन की मिसाल हैं।
राज्य की ब्रांडिंग का प्रयास
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल केवल एक औपचारिक भेंट नहीं थी, बल्कि इसके माध्यम से उन्होंने उत्तराखण्ड की संस्कृति, उत्पादों और परंपराओं को राष्ट्रीय फलक पर प्रस्तुत करने का संदेश भी दिया। यह राज्य की पहचान को सशक्त करने और ग्रामीण उत्पादों को नई पहचान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
यह मुलाकात उत्तराखण्ड की समृद्ध विरासत को देश के सर्वोच्च नेतृत्व तक पहुंचाने का प्रतीक बनी। मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए उपहार न केवल सौंदर्य और स्वाद में विशेष हैं, बल्कि वे राज्य के आर्थिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं।
