Browsing: उत्तराखंड की लोककथाएँ

लोक कथाएँ वर्ग में हमने ,उत्तराखंड तथा अन्य राज्यों  लोक कथाओं का परिचय और संकलन किया है। इस कैटिगरी में देवभूमी दर्शन टीम की कोशिश है कि, प्राचीन समय मे दादा दादी  द्वारा सुनाई जाने वाली लोककथाओं को यथार्थ रूप में आधुनिक डिजिटल माध्य्म द्वारा प्रसिद्ध लोक  कथाओं को आपके बीच मे लाने का पुण्य प्रयास है।

इस कैटिगरी में अभी तक बहुत सी उत्तराखंड की लोक कथाओं का संकलन हो गया है। देवभूमी दर्शन से कुमाउनी लोक कथा और गढ़वाली लोक कथा  सुनाने का उद्देश्य मात्र यही है कि । लोगो को अपने बचपन की याद ताजा हो और अपने पहाड़ प्रेम का अहसास हो। तो मित्रों उत्तराखंड की लोक कथाएँ पढ़े और शेयर अवश्य करे। कथाएं पढ़ने के लिए इसी कालम में आगे बढ़े। इसके साथ साथ हम इस कॉलम में देश की अन्य राज्यों की लोक कथाओं व् बच्चों  की शिक्षाप्रद कहानियों का संकलन कर रहें हैं।

जिमदार देवता : जिमदार फारसी के जमीदार शब्द का अभ्रंश कुमाऊनी शब्द है। इसका अर्थ हिंदी के जमीदार की तरह,…

चंपावत कुमाऊं के लोक देवता जागुली-भागुली की कहानी :- उत्तराखंड को देवभूमी कहा जाता है। यहाँ कण कण में देवताओं…

यह लोक कथा धुमाकोट और गड़ी चम्पावती (चंपावत) की लोक कथा है। इस प्रसिद्व लोक कथा के अनुसार भगवान गोरिया ने…

उत्तराखंड वीर भड़ों का राज्य है। जितना यह प्राकृतिक रूप से सुंदर है, उतने ही वीर, मेहनती, साहसी यहाँ के…

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में बिलौनासेरा में एक बहुत बड़ा खेत है। जिसका नाम सासु बुवारी खेत या सास बहु…

एक प्रसिद्ध कुमाउनी किस्सा आप लोगों ने भी सुना होगा, “जैक बाप रिखेल खाय ,उ काऊ खुन देखि डरु “…