Thursday, December 26, 2024
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गणतंत्र दिवस परेड 2025: इस बार उत्तराखंड की झांकी होगी खास! दिखेंगे साहसिक खेल

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गणतंत्र दिवस परेड 2025
गणतंत्र दिवस परेड 2025 में उत्तराखंड की झांकी

गणतंत्र दिवस परेड 2025 के लिए नई दिल्ली में कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित की जाने वाली उत्तराखंड की झांकी का चयन अब तय हो चुका है। इस बार उत्तराखंड की झांकी में राज्य के साहसिक खेलों (एडवेंचर स्पोर्ट्स) को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसे भारत सरकार ने अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया है। यह चयन राज्य के लिए गर्व का विषय है, खासकर जब हम यह याद करते हैं कि 2023 में उत्तराखंड की “मानसखण्ड” झांकी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था।

मुख्यमंत्री का बयान :

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चयन पर खुशी जताते हुए कहा कि यह हमारे राज्य के लिए गर्व का विषय है कि गणतंत्र दिवस परेड 2025 में उत्तराखंड की झांकी को जगह मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस बार की झांकी में हम राज्य की पहचान, प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक खेलों के क्षेत्र में उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करेंगे। हमारा राज्य न केवल आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी अग्रणी है।”

उन्होंने झांकी के निर्माण में जुड़े सभी कलाकारों और अधिकारियों को बधाई दी और कहा कि यह झांकी उत्तराखंड को पर्यटन और साहसिक खेलों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

गणतंत्र दिवस परेड 2025 की झांकी का डिज़ाइन और निर्माण :

महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी ने बताया कि अक्टूबर 2024 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सामने 34 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपनी झांकी के प्रस्ताव भेजे थे। इस दौरान उत्तराखंड के नोडल अधिकारी और संयुक्त निदेशक, सूचना श्री के.एस. चौहान ने उत्तराखंड की झांकी के डिज़ाइन, मॉडल और संगीत का प्रस्तुतीकरण किया था।

श्री तिवारी ने यह भी बताया कि भारत सरकार ने 21 दिसम्बर, 2024 को एक पत्र के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की झांकी के डिज़ाइन, मॉडल और संगीत को उत्कृष्ट पाया और इसके बाद इस झांकी का अंतिम चयन किया गया। इस झांकी में उत्तराखंड के साहसिक खेलों को प्रमुखता दी गई है, जो न केवल राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को बल्कि एडवेंचर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में उसकी बढ़ती पहचान को भी प्रदर्शित करेगा।

गणतंत्र दिवस परेड 2025

गणतंत्र दिवस परेड 2025 में उत्तराखंड की झांकी में क्या होगा खास?

उत्तराखंड की झांकी में इस बार कई महत्वपूर्ण और साहसिक खेलों को दिखाया जाएगा। झांकी के अग्रभाग में राज्य की पारंपरिक कला “ऐपण” को प्रदर्शित करते हुए उत्तराखंडी परिधान में एक महिला को चित्रित किया जाएगा। इसके बाद, झांकी के मध्य और पिछला भाग विभिन्न साहसिक खेलों पर आधारित होगा, जो राज्य के एडवेंचर स्पोर्ट्स के प्रमोटर के रूप में उसकी वैश्विक पहचान को मजबूत करेगा।

गणतंत्र दिवस परेड 2025 में उत्तराखंड की झांकी में प्रदर्शित होने वाले साहसिक खेलों में शामिल होंगे:

  • रॉक क्लाइम्बिंग
  • पैराग्लाइडिंग
  • बन्जी जम्पिंग
  • हिल साइकलिंग
  • ट्रैकिंग
  • रिवर राफ्टिंग
  • स्कीइंग (औली)
  • जिप-लाइनिंग और रॉक क्लाइम्बिंग (ऋषिकेश)

यह झांकी उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य को साहसिक खेलों के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

निष्कर्ष :

गणतंत्र दिवस परेड 2025 में उत्तराखंड की झांकी का चयन राज्य के लिए एक ऐतिहासिक पल है। यह झांकी राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और साहसिक खेलों के क्षेत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करेगी। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की पहल और राज्य के अधिकारियों की मेहनत के परिणामस्वरूप यह झांकी देशभर में उत्तराखंड की नई पहचान को स्थापित करेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड की झांकी कैसे देशवासियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

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उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया आचार संहिता पर हो रहा मंथन

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उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया आचार संहिता पर हो रहा मंथन

देहरादून: प्रदेश सरकार ने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए एक सोशल मीडिया आचार संहिता बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को इस दिशा में एक सोशल मीडिया पॉलिसी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने इस पॉलिसी के ड्राफ्ट को दो सप्ताह के भीतर पेश करने की पुष्टि की है।

पिछले कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के साथ, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सोशल मीडिया पर सक्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह सक्रियता सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के प्रमोशन के लिए तो लाभकारी है, लेकिन हाल के दिनों में कुछ विवादित पोस्टों ने सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है।

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शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षकों को विवादित पोस्ट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जबकि अल्मोड़ा स्याल्दे विकास खंड में एक सहायक अध्यापक को इसी कारण निलंबित कर दिया गया था। ऐसे उदाहरण अन्य महकमों में भी देखने को मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया पर की गई गतिविधियों का सरकारी कामकाज पर प्रभाव पड़ सकता है।

इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, शासन स्तर पर सोशल मीडिया पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया गया है। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और उन्हें हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई सोशल मीडिया पॉलिसी का अध्ययन करने की सलाह भी दी गई है।

इस नई पॉलिसी के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी सोशल मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी से करें, ताकि सरकारी छवि को नुकसान न पहुंचे और विवादों से बचा जा सके।

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प्रतिवर्ष नए साल पर मसूरी में होती है अनोखी प्राकृतिक घटना : साल 2025 का आगाज करें इस अनोखे अनुभव के साथ !

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नए साल पर मसूरी

प्रतिवर्ष नए साल पर मसूरी में होती है एक अनोखी प्राकृतिक घटना , जो सभी आगंतुकों और स्थानीय लोगो के नए साल के जश्न को दुगुना कर देती है। मसूरी में होने वाली इस प्राकृतिक घटना का नाम है विंटर लाइन कॉर्निवाल। यह प्राकृतिक घटना प्रतिवर्ष मसूरी के अलावा चकराता , कैप्टोन और स्विजरलैंड में भी होती है।

2024 में 26 दिसंबर से 30 दिसंबर 2024 के बीच आयोजित किया जाएगा विंटरलाइन कॉर्निवाल।

क्या है नए साल पर मसूरी में होने वाला विंटर लाइन कॉर्निवाल –

विंटर लाइन मंसूरी का एक प्रसिद्ध प्राकृतिक दृश्य है। यह लाइन जब सूर्योदय या सूर्यास्त के समय दिखती है, तो यह पर्वतों की कंटीली चोटियों पर बर्फ की परतों से सूर्य की किरणों के प्रभाव से एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न करती है। यही कारण है कि इस घटना को “विंटर लाइन” कहा जाता है, और यह घटना नए साल पर मसूरी में विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बनती है।

विंटर लाइन कार्निवाल मसूरी का आयोजन :

मसूरी, उत्तराखंड में साल विंटर लाइन कार्निवाल का आयोजन किया जाता है , जो पर्यटकों के लिए एक आकर्षक पर्व बन चुका है। यह कार्निवाल मसूरी की सर्दी में और खासकर दिसम्बर लास्ट और जनवरी महीने में होता है। विंटर लाइन कार्निवाल में उस अद्भुत प्राकृतिक दृश्य के दर्शन के साथ -साथ विभिन्न सांस्कृतिक, खेलकूद और मनोरंजन संबंधित गतिविधियाँ की जाती हैं जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करती हैं।

विंटर लाइन कार्निवाल आयोजन का उद्देश्य :

विंटर लाइन कार्निवाल का मुख्य उद्देश्य मसूरी में पर्यटकों को आकर्षित करना और क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करना है। इस आयोजन के दौरान, स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को मसूरी की शानदार सर्दी और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने का अवसर मिलता है।

नए साल पर मसूरी

विंटर लाइन कार्निवाल की प्रमुख गतिविधियाँ :

सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दौरान स्थानीय संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियाँ होती हैं, जो स्थानीय संस्कृति को दर्शाती हैं।

खेलकूद प्रतियोगिताएँ: यहाँ बर्फ से संबंधित खेलों का आयोजन भी किया जाता है, जैसे स्कीइंग, स्लेजिंग, और स्नो बॉल फाइट्स। ये खेल मसूरी की बर्फीली धूप में और रोमांचक अनुभव प्रदान करते हैं।

मंचन और प्रदर्शनी: विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, फूड स्टॉल्स और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगती है, जहाँ पर्यटक स्थानीय चीजों का आनंद ले सकते हैं।

पर्यटन गतिविधियाँ: कार्निवाल के दौरान मसूरी में ट्रैकिंग, पर्वतारोहण और अन्य साहसिक खेलों की भी व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा, पर्यटकों को यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे कैंप्टी फॉल्स, गन हिल, और लेक विजिट का भी मौका मिलता है।

नए साल पर मसूरी विंटर लाइन कॉर्निवाल
नए साल पर मसूरी विंटर लाइन कॉर्निवाल

मसूरी के बारे में :

मसूरी, जो उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है,एक प्रसिद्ध पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ठंडी जलवायु, और ऐतिहासिक महत्व के कारण भारतीय और विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। आज के समय में, मसूरी एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ हर साल लाखों पर्यटक आते हैं, जो यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्थलों और ठंडी जलवायु का आनंद लेते हैं।

यह एक प्रमुख हिल स्टेशन है, जो उत्तर भारत के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों से जुड़ा हुआ है और देहरादून, हरिद्वार जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मसूरी का इतिहास इसके प्राकृतिक आकर्षण, ब्रिटिश काल के प्रभाव और स्वतंत्रता संग्राम के योगदान से समृद्ध है, और यह आज भी एक प्रमुख पर्यटन और सांस्कृतिक स्थल के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है।

निष्कर्ष :

विंटर लाइन कार्निवाल मसूरी में एक अद्भुत अनुभव है, जो हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह केवल एक पर्यटन महोत्सव नहीं बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का भी आदान-प्रदान करता है। यदि आप नए साल पर मसूरी जाने का प्लान बना रहे हैं, तो इस कार्निवाल का हिस्सा बनना न भूलें !

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38 वें राष्ट्रीय खेलों की मशाल रैली का हल्द्वानी से होगा आगाज, प्रदेश भर में घुमाई जाएगी मशाल

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38 वें राष्ट्रीय खेलों की मशाल रैली का हल्द्वानी से होगा आगाज, प्रदेश भर में घुमाई जाएगी मशाल

हल्द्वानी: आगामी 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए उत्तराखंड में मशाल रैली का शुभारंभ 26 दिसंबर से होने जा रहा है। हल्द्वानी से शुरू होकर यह मशाल रैली प्रदेश के सभी 13 जिलों के 99 स्थानों पर पहुंचेगी और लोगों को राष्ट्रीय खेलों के प्रति जागरूक करेगी। मशाल रैली के लिए 35 दिन का रूट प्लान तैयार किया गया है। यह मशाल रैली 26 दिसंबर से 27 जनवरी के बीच 3823 किलोमीटर का सफर तय करेगी। मशाल रैली की समाप्ति के अगले दिन यानी 28 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय खेलों का विधिवत शुभारंभ होगा।

मशाल रैली के रूट प्लान में सभी 13 जिलों को कवर किया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा 14-14 स्थान अल्मोड़ा और पौड़ी जिलों में चयनित किए गए हैं। कार्यक्रम के अनुसार मशाल रैली प्रत्येक जिले में दो से तीन दिन तक रहेगी।

मशाल रैली का विस्तृत रूट:

26-27 दिसंबर: नैनीताल (हल्द्वानी, भीमताल, धारी, ओखलकांडा, बेतालघाट, भवाली, नैनीताल, कालाढूंगी, रामनगर)
28-29 दिसंबर: ऊधमसिंहनगर (काशीपुर, जसपुर, बाजपुर, गदरपुर, रूद्रपुर, सितारगंज, खटीमा)
30-31 दिसंबर: चंपावत (बनबसा, टनकपुर, चंपावत, लोहाघाट, पाटी, बाराकोट)
01-02 जनवरी: पिथौरागढ़ (पिथौरागढ़, मूनाकोेट, कनालीछीना, धारचूला, जौैलजीबी, मदकोट, मुनस्यारी, थल, डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट)
03-05 जनवरी: अल्मोड़ा (दन्या, लमगड़ा, अल्मोड़ा, ताकुला, हवालबाग, तारीखेत, तिपोला, भिकियासैंण, सल्ट, स्याल्दे, चैखुटिया, द्वाराहाट, सोमेश्वर, कौसानी)
06-08 जनवरी: बागेश्वर (गरुड़, बागेश्वर, कपकोट, ग्वालदम)
09-11 जनवरी: चमोली (देवाल, थराली, नारायणबगड़, गैरसैंण, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, ज्योर्तिमठ, गोपेश्वर, पोखरी)
12-14 जनवरी: रुद्रप्रयाग (पोखरी, ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि, जखोली)
15-16 जनवरी: टिहरी (घनसाली, नई टिहरी, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, चंबा)
17-19 जनवरी: उत्तरकाशी (चिन्यालीसौड़, डुंडा, उत्तरकाशी, भटवाड़ी, बड़कोट, पुरोला, मोरी, नौगांव)
20-21 जनवरी: हरिद्वार (हरिद्वार, भगवानपुर, रुड़की, खानपुर, लक्सर, हरिद्वार)
22-24 जनवरी: पौड़ी (पौड़ी, कोटद्वार, लैंसडौन, रिखणीखाल, बीरोंखाल, धुमाकोट, थलीसैंण, पाबौ, पौड़ी, कल्जीखाल, सतपुली, गुमखाल, यमकेेश्वर, लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश)
25-27 जनवरी: देहरादून

राष्ट्रीय खेल सचिवालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमित सिन्हा ने कहा कि मशाल रैली का उद्देश्य राष्ट्रीय खेलों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। पूरी तैयारी के साथ इस मशाल रैली को आयोजित किया जा रहा है। मशाल रैली के साथ-साथ प्रचार-प्रसार के लिए अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों की मशाल रैली का आयोजन प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है। यह मशाल रैली न केवल खेलों को बढ़ावा देगी बल्कि प्रदेश के लोगों को एकजुट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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भीमताल में दर्दनाक बस हादसा, 4 की मौत, 23 घायल

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भीमताल में दर्दनाक बस हादसा, 4 की मौत, 23 घायल
भीमताल बस हादसा

भीमताल: भीमताल में आज एक भीषण सड़क हादसा हुआ है। अल्मोड़ा से हल्द्वानी जा रही एक रोडवेज बस भीमताल-रानीबाग मोटर मार्ग के आमडाली के पास 1500 फीट गहरी खाई में जा गिरी। मिली जानकारी के अनुसार इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि 23 लोग घायल हुए हैं।

मृतकों की पहचान:

  1. गंगा धामी (48) पत्नी खडक़ सिंह निवासी खेला धारचूला।
  2. खडक़ सिंह (55) पुत्र जय सिंह निवासी खेला धारचूला।
  3. सुरेंद्र सिंह धर्मसत्तू (58) पुत्र ललित सिंह धर्मसत्तू निवासी ग्राम टिमटिया तेजम पिथौरागढ़।
  4. दक्ष पंत (6) पुत्र विनोद पंत निवासी ग्राम सिमाइल बेरीनाग हाल निवासी पिथौरागढ़।

भीमताल में दर्दनाक बस हादसा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह राशि उत्तराखंड परिवहन निगम, सड़क सुरक्षा निधि और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाएगी। इसके अलावा, गंभीर रूप से घायलों को तीन लाख रुपये और सामान्य रूप से घायलों को 15 से 25 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी जी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं और जरूरत पड़ने पर उन्हें हायर सेंटर रेफर किया जाए। सरकार मृतकों के परिजनों और घायलों को हर संभव मदद प्रदान करेगी। हादसे के कारणों की जांच के आदेश दिए गए हैं। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।

यह हादसा उत्तराखंड के लिए एक बड़ी क्षति है। हम सभी मृतकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

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रानीखेत: कक्षा नौ की छात्रा बनी एक दिन की संयुक्त मजिस्ट्रेट

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रानीखेत: कक्षा नौ की छात्रा बनी एक दिन की संयुक्त मजिस्ट्रेट

रानीखेत: कक्षा नौ की छात्रा बबीता परिहार ने एक अनोखी उपलब्धि हासिल की है। ताड़ीखेत के राजकीय इंटर कॉलेज की इस होशियार छात्रा ने सरकारी वाहन में सवार होकर सीधे संयुक्त मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंची, जहां उसका भव्य स्वागत किया गया। बबीता को संयुक्त मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठने का अवसर मिला, जहां उसने जनसमस्याएं भी सुनीं। यह खास मौका बबीता को रानीखेत के संयुक्त मजिस्ट्रेट आइएएस राहुल आनंद द्वारा प्रदान किया गया। दरअसल, 14 दिसंबर को आयोजित एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में बबीता ने पहला स्थान प्राप्त किया था। इस प्रतियोगिता में ताड़ीखेत ब्लॉक के कई विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया था।

संयुक्त मजिस्ट्रेट बनने का उद्देश्य छात्रों को प्रशासनिक कार्यों के प्रति जागरूक करना और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना था। बबीता ने एक दिन की संयुक्त मजिस्ट्रेट बनने के साथ ही कार्यालय में विभिन्न समस्याओं पर ज्ञापन भी प्राप्त किए। भाजपा कार्यकर्ताओं और कांग्रेस जनों ने भी अपनी समस्याएं साझा कीं।

इस अवसर पर ताड़ीखेत विकासखंड के प्रशासक हीरा सिंह रावत ने बबीता को पुष्प गुच्छ भेंट कर बधाई दी। इसके अलावा, बबीता को नैनीताल में बोटिंग, चिड़ियाघर भ्रमण और एरीज का नि:शुल्क शैक्षिक भ्रमण भी कराया जाएगा।

बबीता की इस उपलब्धि ने न केवल उसके लिए बल्कि अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा का काम किया है, जिससे वे प्रशासनिक कार्यों में रुचि लेने के लिए प्रेरित होंगे।

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उत्तराखंड में बर्फबारी और बारिश से ठिठुरन बढ़ी

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उत्तराखंड में बर्फबारी और बारिश से ठिठुरन बढ़ी
उत्तराखंड में बर्फबारी

देहरादून: उत्तराखंड में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। सोमवार को पर्वतीय जिलों में हुई भारी बर्फबारी और मैदानी इलाकों में हुई बारिश ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खूब बर्फबारी हुई है। देहरादून जनपद के चकराता और मसूरी में भी सीजन का दूसरा हिमपात हुआ है। इस बर्फबारी से पहाड़ों की खूबसूरती तो बढ़ गई है, लेकिन मैदानी इलाकों में शीतलहर चलने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

तापमान में भारी गिरावट

बर्फबारी के कारण प्रदेश के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बदरीनाथ में न्यूनतम तापमान -8 और अधिकतम -3 डिग्री रहा। नीति घाटी में अधिकतम -11 और न्यूनतम -6 डिग्री, गंगोत्री में -19 तो केदारनाथ में -11 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।

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आज भी जारी रहेगा बर्फबारी का दौर

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, प्रदेश के पर्वतीय जिलों में आज भी बारिश और बर्फबारी की संभावना है। देहरादून के पर्वतीय इलाकों समेत उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल में हल्की बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है।

मौसम विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे घर से निकलते समय गर्म कपड़े पहनें और सावधानी बरतें। पहाड़ी क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

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मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी की NCORD बैठक: नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता

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मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी की NCORD बैठक
मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी

देहरादून: उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने आज सचिवालय में स्टेट लेवल Narco Coordination Center (NCORD) के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे NCORD की जिला स्तरीय बैठक हर महीने अनिवार्य रूप से आयोजित करें। मुख्य सचिव ने इस वर्ष देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, चमोली और चम्पावत जनपदों द्वारा एक भी जिला स्तरीय NCORD बैठक आयोजित न किए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने संबंधित जिलाधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए सचिव गृह को इस संबंध में तत्काल पत्र भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही के लिए उत्तरदायी अधिकारियों की एसीआर में प्रतिकूल प्रविष्टि की जाएगी।

बैठक में मुख्य सचिव ने मेडिकल स्टोर पर दवाइयों के नशे के रूप में दुरुपयोग की रोकथाम के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य को सभी मेडिकल स्टोर पर अनिवार्यतः सीसीटीवी कैमरे लगाने और रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, उन्होंने नशा मुक्ति केन्द्रों के लिए अलग से बजट मद सृजित करने और प्रत्येक जिले में एक-एक नशा मुक्ति केन्द्र स्थापित करने के निर्देश भी दिए।

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शिक्षा के क्षेत्र में भी मुख्य सचिव ने निजी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एंटी ड्रग्स कमेटी गठित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एंटी ड्रग्स ई प्लेज (Anti Drug E pledge) को जन जागरण अभियान के रूप में चलाने के निर्देश दिए, जिसमें अब तक 2,20,754 ई प्लेज ली जा चुकी हैं। इस मामले में उत्तराखंड देश में 6ठे स्थान पर है।

मुख्य सचिव ने शैक्षणिक संस्थानों के कैम्पस को ड्रग्स फ्री सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न एनजीओ और सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ एमओयू करने की संभावनाओं पर कार्य करने के निर्देश दिए। बैठक में जानकारी दी गई कि इस वर्ष राज्य में एनडीपीएस एक्ट के तहत 1020 केस रजिस्टर्ड हुए हैं और 1298 दोषियों को सजा हुई है।

इस बैठक में सचिव श्री शैलेश बगौली सहित पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, गृह विभाग के अधिकारी और सभी जिलाधिकारी वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे। मुख्य सचिव की इस बैठक ने नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है, जिससे राज्य में नशे की समस्या को नियंत्रित किया जा सके।

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उत्तराखंड: निकाय चुनाव की तिथि घोषित, 25 जनवरी को होगी मतगणना

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उत्तराखंड: निकाय चुनाव की तिथि घोषित, 25 जनवरी को होगी मतगणना

देहरादून: उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तैयारियां अब तेजी से आगे बढ़ रही हैं। सीटों के आरक्षण से जुड़ी जटिलताओं को सुलझाने के बाद, राज्य सरकार ने नगर निकायों में महापौर और अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी कर दी है। यह जानकारी सोमवार को शासन द्वारा दी गई, जिसमें देर रात तक आपत्तियों का निस्तारण किया गया।

निकाय चुनाव की तिथियों की घोषणा भी कर दी गई है। राज्य में मतदान 23 जनवरी 2025 को होगा, जबकि मतगणना 25 जनवरी 2025 को की जाएगी। इस बार हल्द्वानी, अल्मोड़ा और श्रीनगर नगर निगम में आरक्षण में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। हल्द्वानी नगर निगम में महापौर की सीट सामान्य श्रेणी में रखी गई है, जबकि अल्मोड़ा नगर निगम में ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया है। श्रीनगर में महापौर की सीट महिला के लिए आरक्षित की गई है।

चुनाव की प्रक्रिया के तहत, नाम निर्देशन पत्रों को प्राप्त करने की तिथि 27 दिसंबर से 30 दिसंबर 2024 तक निर्धारित की गई है। इसके बाद, नाम निर्देशन पत्रों की जांच 31 दिसंबर 2024 और 1 जनवरी 2025 को की जाएगी। उम्मीदवार 2 जनवरी 2025 को अपने नामांकन पत्र वापस ले सकते हैं।

चुनाव की तारीखें:

नामांकन पत्रों की प्राप्ति: 27 दिसंबर से 30 दिसंबर 2024
नामांकन पत्रों की जांच: 31 दिसंबर 2024 और 1 जनवरी 2025
नाम वापसी की अंतिम तिथि: 2 जनवरी 2025
मतदान की तिथि: 23 जनवरी 2025
मतगणना की तिथि: 25 जनवरी 2025

आरक्षण की जानकारी:

आरक्षित श्रेणी

  • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): सेलाकुई, लण्ढौरा, इमलीखेडा, पाडली गुज्जर, रामपुर, सुल्तानपुर-आदमपुर, थराली,तिलवाड़ा, कपकोट, गरूड़, लालकुंआ, केलाखेड़ा, दिनेशपुर, नानकमत्ता, लालपुर
  • अनुसूचित जाति (SC): नौगांव, पोखरी, स्वर्गाश्रम, बनबसा, महुआडाबरा, गुलरभोज
  • महिला: पिरान कलियर, पाडली गुज्जर (OBC महिला), पीपलकोटी, नन्दानगर, तपोवन, ऊखीमठ, सतपुली, चौखुटिया, गुप्तकाशी, भिकियासैंण, सुल्तानपुर पट्टी
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) महिला: थराली, , लम्बगांव, चमियाला, अगत्स्यमुनि, द्वाराहाट, मुनस्यारी, शक्तिगढ़

सामान्य श्रेणी (Unreserved)

  • झबरेडा, भगवानपुर, ढण्डेरा, नन्दप्रयाग, गैरसैंण, कीर्तिनगर, घनसाली, गजा, थलीसैंण

निकाय चुनाव लिस्ट

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इन चुनावों को लेकर राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, और सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही हैं। निकाय चुनावों का यह दौर उत्तराखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, और सभी की नजरें चुनाव परिणामों पर टिकी रहेंगी।

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वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का जीवन परिचय

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चंद्र सिंह गढ़वाली
चंद्र सिंह गढ़वाली

देवभूमी उत्तराखंड में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जैसे वीर सपूत ने जन्म लिया। जिनके अंदर देशप्रेम ,मानवता कूट कूट कर भरी हुई थी। इसी मानवता के कारण उनका नाम पेशावर कांड से जुड़ा। और देशभक्ति के जज्बे को देख गाँधी जी बोलते थे ,”मुझे एक और चंद्र सिंह मिल जाता तो देश कबका आजाद हो जाता।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का प्रारंभिक जीवन :-

उत्तराखंड के वीर सपूत वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी का जन्म 25 दिसम्बर 1891 को पौड़ी जिले के चौथान पट्टी के गावं रोनौसेरा में हुवा था। उनके पिता जाथली सिंह एक किसान और वैद्य थे। बचपन में उन्हें स्कूल जाने का मौका तो नहीं मिला लेकिन एक ईसाई अध्यापक से प्राथमिक शिक्षा प्राप्ति की।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का असली नाम  चंद्र सिंह भंडारी था। 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया। एक वर्ष के अंतराल में उनकी पत्नी श्रीमती कलूली देवी चल बसी। फिर 16 वर्ष की आयु में उनका दूसरा विवाह हुवा। वर्ष भर में उनकी दूसरी पत्नी भी चल बसी। उसके बाद उनका तीसरा और चौथा विवाह भी हुवा।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का सामजिक जीवन –

18 वर्ष की आयु में चंद्र सिंह गढ़वाल राइफल के 2 /39  बटालियन में भर्ती हो गए। अंग्रेज सैनिक के रूप में 1915 में मित्र राष्ट्रों की तरफ लड़ने के लिए फ़्रांस गए। वहां फ्राँसियों पर अंग्रेजो के अत्याचारों से उनकी अंग्रेज सरकार के लिए सहानुभूति कम हो गई। 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने यहाँ की कई पलटने तोड़ दी। अनेक गढ़वाली सैनिको  निकाल दिया।

कई पदाधिकारियों को सैनिक बना दिया। अंग्रेजो के इस भेदभाव निति से चंद्र सिंह भी हवलदार से सैनिक बन गए। इस दौरान देश और विश्व के घटनाक्रम को उन्होंने नजदीक से देखा। इस दौरान गाँधी जी के संपर्क में आये उनके अंदर देशप्रेम की इच्छा बलवती हो गई। उत्तराखंड में गांधी जी के कई सभाओं में उन्होंने अपनी छुटियों के दौरान भाग लिया। चंद्र सिंह सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर प्रभावित हुए। इसके बाद वे पक्के आर्यसमाजी बन गए। इस दौरान भारत में अंग्रेजों के खिलाफ घटित घटनाओं ने उन पर व्यापक असर किया। इन घटनाओं से उनके अंदर आजादी की ज्वाला बढ़ती ही चली गई।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली

पेशावर कांड –

1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान 2 /8  गढ़वाल राइफल को पेशावर भेज दिया गया। वहां चंद्र सिंह गढ़वाली और उसके साथी छिपकर समाचारपत्रों में छपी घटनाओं को पढ़ते थे। 22 अप्रैल को को पेशवार आ रहे कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल को रोके जाने के विरोध में ,पेशवर में जुलुस निकाला गया और आम सभा हुई। अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में काफी रोष था।

उनपर पत्थर फेंके गए ,फ़ौज की गाड़ी को आग लगा दी गई। 23 अप्रेल को आंदोलन कर रही जंग कमेटी के 11 नेता गिरफ्तार कर लिए गए। इसके विरोध में किसी ने अंग्रेज के ऊपर टायर डाल कर आग लगा दी। इस बीच किसी ने क़िस्साखनी बाजार में तिरंगा फहराकर हजारों पठान इकट्ठा हो गए थे। कप्तान रिकेट 72 गढ़वाली सैनिकों के साथ वहां पंहुचा। चंद्र सिंह गढ़वाली को नहीं लेकर गया। बाद में चंद्र सिंह पानी देने के बहाने वहां पहुच गए।

वहां अंग्रेजी सेना और जन समूह आमने सामने था। रीकेट ने लोगो से कहा यहाँ से भाग जाओ नहीं तो गोली चलवा दूंगा। इसका लोगों पर कोई असर नहीं हुवा।  अंग्रेज अफसर बौखला गया उसने आदेश दिया ,” गढ़वाली तीन राउंड फायर !! उसके बाएं ओर खड़े चंद्र सिंह ने तुरंत कहा ,” गढ़वाली सीज फायर !!” इसके बाद भी अंग्रेज सैनिकों ने निहत्ते पठानों पर गोलियां चलायी। जिसमे 30 लोग मारे गए और 33 घायल हो गए

पठानों पर गोलिया न चलाने और अफसर की आज्ञा की अवहेलना करने के जुर्म में गढ़वाली।सैनिको पर मुकदमा चला बैरिस्टर मुकंदी लाल ने गढ़वाली सैनिको तरफ से पैरवी की। 12 जून 1930 को 43 जवानों और 17 पदाधिकारियों को एक से पंद्रह वर्ष तक की सजा सुनाई गई। चंद्र सिंह गढ़वाली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जो बाद में 11 वर्ष की हुई। अन्य सैनिक भी सजावधि से पहले छूट गए। सभी सैनिकों को फ़ौज से निकाल दिया गया।

चंद्र सिंह गढ़वाली को बटालियन के सामने अपमानित कर उसके वर्दी तमगे सब उतारे गए। पेशावर कांड के सैनिकों को म्रत्यु दंड न देने के पीछे अंग्रेजों की यह सोच थी की दुनिया को पता न चले कि भारतीय सेना उनके खिलाप हो गई है। पेशावर कांड के पीछे मुख्य कारन था। अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की निती। गढ़वाली सैनिको को भी अंग्रेज हिन्दू मुस्लिम का पाठ पढ़ाकर पेशावर का विद्रोह दमन करने के लिए लाये थे।  किन्तु चंद्र सिंह और अन्य गढ़वाली सैनिक इनकी यह चाल समझ गए। उन्होंने निहत्ते पठानों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया।

जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने भारत छोडो आंदोलन में भी भाग लिया। गाँधी जी चन्द्रसिंह गढ़वाली से काफी प्रभावित थे। गाँधी जी कहते थे , ”मुझे एक और चंद्र सिंह मिल जाता तो भारत कब का आजाद हो जाता। ”

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का अंतिम समय बड़े आर्थिक संघर्षो में बीता। 01 अक्टूबर 1979 को भारत माँ का यह वीर सपूत अनंत यात्रा पर प्रस्थान कर गया।

चंद्र सिंह गढ़वाली से जुड़ा लोकप्रिय किस्सा :

1929 में चंद्रसिंह छुट्टियों में घर आए थे । गांधी जी के बागेश्वर आने की खबर पाकर वहां चले गए। सादे कपड़ों में सिर में फौजी टोपी पहने कर वे श्रोताओं की पहली पंक्ति में बैठ गए । गांधी जी ने मंच पर आते ही उनकी तरफ इशारा करते हुए बोले ,” क्या ये यहां मुझे डराने के लिए बैठें हैं ? ” सभी लोग हंस पड़े!

तब चंद्रसिंह बोले,”अगर कोई मुझे दूसरी टोपी दे दे तो मैं इसे उतार कर उसे पहनने के लिए तैयार हूं ” तब भीड़ में से किसी ने गांधी टोपी उछाल कर उनकी तरफ फेंक दी। तब उन्होंने गांधी जी की तरफ वह टोपी फेंकते हुवे बोला ,” मैं बूढ़े के हाथ से टोपी लूंगा “!

तब गांधी जी ने वही टोपी चंद्र सिंह को दे दी ….और चंद्र सिंह गढ़वाली ने वह टोपी पहनते हुए प्रतिज्ञा ली ,”मैं इसकी कीमत चुकाऊंगा ! ”

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