Friday, May 9, 2025
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पहाड़ की एक प्रेणादायक कहानी – दूध बेचकर बेटे को बना दिया डॉक्टर

A motivational story of Uttarakhand

पहाड़ की एक प्रेणादायक कहानी
पहाड़ में दूध बेचकर बेटे को बना दिया डॉक्टर। जी हां ! आज उत्तराखंड के एक ऐसे माता-पिता की एक प्रेणादायक कहानी बताने जा रहे हैं,जिन्होंने पहाड़ में साधारण नौकरी और डेयरी में दूध बेचकर अपने होनहार पुत्र को डॉक्टर बनाया। अगर मन में सच्ची लगन हो और अंतिम स्तर तक बेइंतिहा मेहनत हो तो बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में ताड़ीखेत ब्लॉक के ग्राम -बगुना के निवासी कमल सिंह बिष्ट ने यह सिद्ध करके दिखाया है। उन्होंने सफलता पूर्वक राजकीय दून मेडिकल कालेज से पांच वर्षीय MBBS ( बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरीका कोर्स सफलता पूर्वक पास करके उत्तराखंड के पहाड़ी जिले में राजकीय चिकित्सक (state doctor) के रूप में नियुक्ति प्राप्त कर ली है।

कमल सिंह बिष्ट की यह उपलब्धि बहुत ही खास है ,क्योंकि वे एक सामान्य निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके माता-पिता पहाड़ में रहकर अपनी आजीविका चलाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि MBBS जैसे कठिन और महंगे कोर्स में अच्छी आर्थिकी वाले परिवारों के बच्चे भाग लेते हैं। आर्थिकी की कमी से निम्नमध्यवर्गीय या गरीब परिवार के बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना बस सपना रह जाता है।

श्री रमेश सिंह बिष्ट और श्रीमती हरिप्रिया बिष्ट उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के बगुना गावं के मूल निवासी हैं। श्री रमेश सिंह बिष्ट जिला मुख्यालय में एक साधारण सी गैर सरकारी नौकरी करते है। जबकि श्रीमती हरिप्रिया बिष्ट एक सफल गृहणी के रूप में गावं में रहकर खेती और पशुपालन से दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाती हैं। बताते हैं कि एक बार बाल्यावस्था में कमल बिष्ट ने यू ही बोल दिया की ,वे बड़े होकर डॉक्टर बनेंगे। उनकी इस बात को उनके माता – पिता ने अपना सपना बना लिया। और इस सपने को पूरा करने के लिए सबसे पहले अपने जिगर के टुकड़े को अच्छे स्तर की शिक्षा के लिए बचपन से ही खुद से दूर कर दिया। उन्होंने उसे बाल्यावस्था में ही लखनऊ चाचा -चाची के पास भेज दिया।

एक माँ के लिए अपने जिगर के टुकड़े को बचपन में ही अपने से अलग करना बहुत ही मुश्किल होता है। लेकिन अपने और अपने पुत्र के सपने को साकार करने के लिए श्रीमती हरिप्रिया बिष्ट यह कड़वा घूंट पी गई। इस स्वप्न को सफल करने में श्री कमल बिष्ट के चाचा -चाचियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने श्रीमती हरिप्रिया बिष्ट जी के निर्णय को सार्थक करते हुए ,कमल के लालन पालन और शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी ,जिसके फलस्वरूप कमल एक मेधावी बच्चे के रूप में अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर होता गया। दसवीं और बारहवीं में टॉप थ्री टॉपर्स की सूची में पास होकर उन्होंने अपने माता -पिता की उम्मीदों पर पंख लगा दिए। बारहवीं तक आते आते कमल को भी अपने लक्ष्य और माता -पिता के सपने का अहसास हो गया था।

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उन्होंने डॉक्टरी की प्रवेश परीक्षा NEET (National Eligibility cum Entrance Test) के लिए जी तोड़ मेहनत शुरू कर दी। और अच्छी रैंक से यह परीक्षा पास करके राजकीय दून मेडिकल कालेज में प्रवेश प्राप्त कर लिया। यहाँ तक सब ठीक चल रहा था ,लेकिन अब कमल बिष्ट की MBBS की पढाई के लिए काफी पैसे की आवश्यकता थी। कमल बिष्ट के माता पिता ने हार नहीं मानी। श्रीमती हरिप्रिया बिष्ट ने अपनी मेहनत दुगुनी कर दी। दुगुना दूध का उत्पादन शुरू कर दिया और घर में ही कपडे सिलाई का काम शुरू कर दिया। इधर पुत्र के सपने को पूरा करने के लिए माता -पिता जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे ,उधर पुत्र भी लगन से पढाई कर रहा था। पुरे परिवार के सामूहिक प्रयास की बदौलत अप्रैल 2023 में MBBS की पढाई के पांच वर्ष सफलता पूर्वक पूर्ण हुए और श्री कमल बिष्ट को उत्तराखंड सरकार की तरफ से सरकारी चिकित्सक के रूप में नियुक्ति प्राप्त हुई।

तो इस प्रकार एक साधारण परिवार ने अपनी  मेहनत और लगन के बल पर असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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