गोविंदपुर – अल्मोड़ा में हवालबाग ब्लॉक में स्थित हमारा दौलाघट – गोविंदपुर क्षेत्र … यह नाम शायद उत्तराखंड के मानचित्र पर अभी तक किसी खास जगह नहीं रखता। लेकिन इस छोटे से क्षेत्र की कहानी, हर उस युवा की कहानी है जो अपनी जड़ों से दूर, किसी शहर की भीड़ में अपनी किस्मत तलाशता रहा है।
आपकी बात बिल्कुल सच है। यहां का जीवन सीमित ही रहा है। दुग्ध व्यवसाय और गाड़ी का काम… बस ये ही तो विकल्प थे हमारे पास। और जब जीविका के साधन सीमित हों, तो पलायन तो अनिवार्य हो जाता है। सदियों से बसा हमारा क्षेत्र , पिछले कुछ दशकों में खोखला होता जा रहा था। युवा लड़कों का एक के बाद एक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु की ओर पलायन… यह दृश्य कितना दर्दनाक था।
लेकिन अब, बहुत जल्द, इस क्षेत्र में कुछ अच्छा होने की खबर मिल रही है।
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अल्मोड़ा के गोविंदपुर में बनेगी झील : बदलाव की बयार
जैसे कि समाचार पत्रों के माध्यम से खबर मिल रही है कि , उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के गोविंदपुर क्षेत्र में झील बनेगी। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर, हमारे गांव में एक करोड़ 96 लाख रुपये की लागत से एक अद्भुत परियोजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। सिंचाई विभाग ने 75 मीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी एक झील का निर्माण प्रस्ताव तैयार किया है, जो शीघ्र ही शासन की मंजूरी के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
अगर यह खबर सही है और झील का निर्माण कार्य पूर्ण होता है तो यह खबर क्षेत्र के लिए एक अच्छी खबर साबित होगी। स्थानीय जानकारी के आधार पर यह झील दौलाघट – गोविंदपुर क्षेत्र के मध्य भातिनि नामक स्थान पर बनेगी। भातिनि हमारे क्षेत्र का मिनी बुग्याल है। यहाँ प्राकृतिक छटा अलग ही देखते ही बनती है।
कृषि से लेकर पर्यटन तक : सर्वांगीण विकास
इस झील का महत्व केवल पर्यटन तक सीमित नहीं है। यह परियोजना हमारे क्षेत्र के किसानों के लिए भी एक महाआशीर्वाद साबित होगी। अब तक, अनिश्चित वर्षा पर निर्भर रहकर हमारे किसान अपनी फसलों का संरक्षण करते आए हैं। लेकिन इस झील से पेयजल आपूर्ति और सिंचाई दोनों के लिए स्थिर जल संसाधन मिलेगा।
गर्मी के दिनों में जब पानी के श्रोत सूख जाते हैं, तब यह झील कृषि के लिए वरदान साबित होगी। अधिक वर्षा के समय बाढ़ नियंत्रण में भी यह कारगर होगी, और सूखे के दिनों में जल भंडारण से पानी की कमी दूर होगी।
युवाओं के लिए रोजगार की नई संभावनाएं –
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह झील हमारे युवाओं को रोजगार का रास्ता दिखाएगी। नौका विहार, तैराकी, और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से एक पूरा पर्यटन इकोसिस्टम विकसित होगा। रेस्तरां, होटल, गाइड, बोटिंग सेवाएं… सब कुछ। यह वह रोजगार है, जो केवल आजीविका नहीं देता, बल्कि गांव में ही रहकर सम्मानपूर्वक जीवन जीने का विकल्प देता है। हमारे युवा अब अपनी प्रतिभा को दिल्ली की सड़कों पर नहीं, बल्कि अपनी जन्मभूमि के विकास में लगा सकेंगे।
विस्तृत लाभ क्षेत्र –
यह परियोजना केवल गोविंदपुर तक सीमित नहीं है। मनाऊं, कोटुली, डांगीखोला, सिलानी, केस्ता, पठुरा, गली और बस्युरा समेत 40 हजार से अधिक आबादी को इसका सीधा लाभ मिलेगा। एक छोटा सा झील निर्माण, पूरे क्षेत्र की किस्मत बदलने का माध्यम बन गया है।
पहचान की वापसी –
हमें याद है, जब कोई यह पूछता था कि आप कहां से हो, तो हमें कोई गर्व की बात कहने के लिए नहीं होती। गोविंदपुर… बस एक नाम, जिसे किसी को पता ही न हो। लेकिन अब, जब यह झील अपने पूरे शबाब में होगी, तब पर्यटन मानचित्र पर हमारे क्षेत्र को विशेष पहचान मिलेगी।
परदेसी वापस आएंगे घर
और हां, शायद सबसे महत्वपूर्ण बात… वह परदेसी जो साल में एक-दो बार घर आता है, अब शायद ज्यादा बार आएगा। उनमे से कुछ तो आकर यहीं बस सकते हैं। अपने गांव में, अपनी जन्मभूमि में, रोजगार के साथ।
आशा की यह किरण
प्रमुख अभियंता कार्यालय को भेजा गया यह प्रस्ताव, सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। लेकिन हम विश्वास करते हैं, यह झील जरूर बनेगी। क्योंकि यह केवल एक निर्माण परियोजना नहीं है, यह हमारे क्षेत्र के पुनर्जन्म की योजना है।
लेख – बिक्रम सिंह भंडारी
संदर्भ :
- जागरण, 3 नवम्बर 2025 – उत्तराखंड के गोविंदपुर में दो करोड़ से बनेगी 75 मीटर लंबी झील
- जागरण, 4 नवम्बर 2025 – उत्तराखंड के इस जिले में बनेगी 75 मीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी झील
- Instagram पोस्ट, 4 नवम्बर 2025 – हवालबाग ब्लाक के दौलाघट स्थित गोविंदपुर गांव में झील निर्माण की खबर
- Facebook Pyara Uttarakhand, 4 नवम्बर 2025 – गोविंदपुर गांव में जलाशय निर्माण की सौगात
- दैनिक भास्कर न्यूज़
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