UKSSSC पेपर लीक: उत्तराखंड में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा (वीपीडीओ) के पेपर लीक मामले में प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले के मुख्य आरोपी खालिद मलिक की गिरफ्तारी के बाद प्रशासन ने उसके अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया है। भारी पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी में खालिद और उसके परिवार द्वारा किए गए अवैध कब्जों को ध्वस्त कर दिया गया।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब पेपर लीक से नाराज़ युवा सड़कों पर उतरकर सीबीआई जांच और परीक्षा को फिर से आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। युवाओं के विरोध-प्रदर्शन के बीच, पेपर लीक के आरोपियों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है।
STF ने छह आरोपियों को किया गिरफ्तार, 37.10 लाख रुपये कैश बरामद
इस मामले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने रविवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से ₹37.10 लाख की नकद राशि भी बरामद की गई है। STF के अनुसार, पेपर लीक की यह घटना चयन आयोग को तकनीकी सेवाएं देने वाली फर्म के माध्यम से हुई।
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STF के डीआईजी डी. सेंथिल अबुदेई और एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आयोग से जुड़ी तकनीकी फर्म आरएमएस टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस के एक कर्मचारी जयजीत दास ने इस पेपर को लीक किया था। गिरफ्तार किए गए लोगों में फर्म के कर्मचारी, कोचिंग सेंटर के संचालक और परीक्षा देने वाले दो युवक भी शामिल हैं। इनमें से एक आरोपी ने खुद भी परीक्षा दी थी और उसकी रैंक 42वीं आई थी, जबकि दूसरे की रैंक 53वीं थी।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:
- जयजीत दास: पंडितवाड़ी निवासी, कंप्यूटर प्रोग्रामर और पेपर लीक करने वाला।
- मनोज जोशी: अल्मोड़ा निवासी, आयोग का पूर्व आउटसोर्स कर्मचारी।
- मनोज जोशी: चंपावत निवासी, सितारगंज कोर्ट में लिपिक।
- कुलवीर सिंह चौहान: बिजनौर निवासी, दून में कोचिंग संस्थान का निदेशक।
- शूरवीर सिंह चौहान: देहरादून निवासी, मध्यस्थ (मीडिएटर)।
- गौरव नेगी: किच्छा निवासी, निजी स्कूल का शिक्षक।
1.60 लाख परीक्षार्थियों पर असर
यह पेपर लीक आयोग की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक था, जो 4 और 5 दिसंबर को आयोजित की गई थी। 854 पदों के लिए हुई इस परीक्षा में लगभग 1.60 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें 13 अलग-अलग विभागों के पद भरे जाने थे। इस मामले में थाना रायपुर में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद से ही STF की टीमें अलग-अलग जगहों पर जांच कर रही थीं।
यह कार्रवाई उत्तराखंड सरकार की ओर से पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संकेत देती है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
