देहरादून: उत्तराखण्ड कैबिनेट ने आज राज्य के विकास और जनहित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इन निर्णयों में श्री बदरीनाथ धाम के सौंदर्यीकरण और आध्यात्मिक विकास पर विशेष जोर दिया गया है, जो प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसके साथ ही, प्रशासनिक सुधार, कर्मचारी कल्याण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई अहम प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली है।
बदरीनाथ धाम का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान
उत्तराखण्ड कैबिनेट ने श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान के तहत कई विशिष्ट कलाकृतियों के निर्माण को हरी झंडी दिखाई है, जिनका उद्देश्य श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव को बढ़ाना है:
- सुदर्शन चक्र स्कल्पचर: एराइवल प्लाजा में एक अद्वितीय ‘सुदर्शन चक्र स्कल्पचर’ का निर्माण किया जाएगा। यह कलाकृति श्री बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगी।
- शेषनेत्र लोटस वॉल: लेकफ्रंट क्षेत्र में ‘शेषनेत्र लोटस वॉल’ नामक एक अति विशिष्ट कलाकृति स्थापित की जाएगी। यह धार्मिक प्रतीकों के माध्यम से पर्यटन को एक नया आयाम देगी।
- सुदर्शन चौक कलाकृति: बदरीनाथ धाम के टूरिज्म मैनेजमेंट सेंटर बिल्डिंग, एराइवल प्लाजा में ‘सुदर्शन चौक कलाकृति’ की स्थापना की जाएगी, जो धार्मिकता और शिल्पकला का अद्भुत मेल होगी।
- ट्री एंड रिवर स्कल्पचर: बद्रीनारायण चौक पर ‘ट्री एंड रिवर स्कल्पचर’ की स्थापना का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। यह कलाकृति पर्यावरण और संस्कृति का एक सुंदर संगम होगी, जो तीर्थयात्रियों को प्रकृति के साथ जुड़ाव का अनुभव प्रदान करेगी।
ये सभी परियोजनाएं प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं और इनसे श्री बदरीनाथ धाम एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में उभरेगा।
प्रशासनिक एवं ढांचागत सुधार
कैबिनेट ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने और विभिन्न विभागों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं:
- विधि विज्ञान प्रयोगशाला गृह विभाग के अधीन: राज्य की विधि विज्ञान प्रयोगशाला को अब गृह विभाग के अधीन लाया गया है, और निदेशक, विधि विज्ञान प्रयोगशाला को विभागाध्यक्ष घोषित किया गया है। इससे विभाग के वित्तीय व प्रशासनिक कार्यों में सुदृढ़ता आएगी।
- उत्तराखण्ड मानव अधिकार आयोग का पुनर्गठन: उत्तराखण्ड मानव अधिकार आयोग के 2011 में स्थापित ढांचे में 12 नए पदों को जोड़ते हुए उसका पुनर्गठन किया गया है। इससे आयोग के दैनिक कार्यों में सुधार होगा और मानवाधिकारों के संरक्षण हेतु त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी।
- उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का पुनर्गठन: उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून की कार्यक्षमता बढ़ाने हेतु उसके संरचनात्मक ढांचे का पुनर्गठन किया गया है। 62 पूर्व सृजित पदों के अतिरिक्त 15 नए पद सृजित होंगे, जिनमें उप सचिव (1 नियमित) और 14 आउटसोर्स पद शामिल हैं। यह निर्णय आयोग की भर्ती प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
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कर्मचारी कल्याण और नई भर्ती प्रक्रियाएं
राज्य सरकार ने कर्मचारियों के कल्याण और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के लिए भी अहम कदम उठाए हैं:
- NPS कार्मिकों को ग्रैच्युटी लाभ: राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के अंतर्गत आने वाले कार्मिकों की सेवाओं को अब ग्रैच्युटी की देयता में जोड़ा जाएगा, जिससे कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा का लाभ मिलेगा।
- वर्दीधारी पदों पर सीधी भर्ती नियमावली 2025: उत्तराखण्ड में वर्दीधारी सिपाही और उप निरीक्षक के पदों पर सीधी भर्ती के लिए नई चयन प्रक्रिया नियमावली, 2025 को मंजूरी दी गई है। यह निर्णय सभी चयन प्रक्रियाओं को एकरूप, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाएगा, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अधिक स्पष्ट अवसर मिलेंगे।
- विनियमित पर्यावरण मित्रों के परिजनों को लाभ: विनियमित पर्यावरण मित्रों की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर अब उनके परिजनों को मृतक आश्रित नियमावली, 1974 के अंतर्गत लाभ मिलेगा। यह मानवीय निर्णय उनके आश्रितों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
पर्यावरण और स्वच्छ गतिशीलता को प्रोत्साहन
कैबिनेट ने पर्यावरण संरक्षण और हरित वाहनों को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं:
- स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति में संशोधन: उत्तराखण्ड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति, 2024 में संशोधन करते हुए अब एस्क्रो खाता खोलने की बजाय ‘उत्तराखण्ड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन फंड’ के लिए SNA खाता खोला जाएगा, जिसे IFMS से जोड़ा जाएगा। इससे वित्तीय संचालन अधिक पारदर्शी और नियंत्रित हो सकेगा।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को कर में छूट: उत्तराखण्ड मोटरयान कराधान अधिनियम, 2003 के तहत ‘प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक’ और ‘स्ट्रांग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक’ वाहनों को FY 2025-26 में एक बार कर से छूट दी गई है। इसका उद्देश्य हरित वाहन अपनाने को प्रोत्साहन देना और प्रदूषण में कमी लाना है।
उत्तराखण्ड कैबिनेट के ये निर्णय राज्य के चहुंमुखी विकास, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने, प्रशासनिक दक्षता में सुधार और कर्मचारियों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। ये कदम निश्चित रूप से उत्तराखण्ड को प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे ले जाएंगे।