प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि उत्तराखंड UCC को सफलतापूर्वक लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना को साकार किया है।
अपने प्रस्तुतिकरण में मुख्यमंत्री धामी ने UCC के सफल क्रियान्वयन के लिए उठाए गए कदमों और इसके प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि UCC को लागू करने के लिए एक मजबूत सिस्टम का निर्माण किया गया है, जिसमें एक समर्पित पोर्टल और मोबाइल ऐप भी शामिल है, ताकि प्रक्रिया जनसामान्य के लिए अधिक सुलभ और सहज हो सके। उन्होंने बताया कि 14,000 से अधिक ग्राम स्तरीय कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को इससे जोड़ा गया है। पंजीकरण के समय आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने साझा किया कि व्यापक डिजिटल और भौतिक नेटवर्किंग के परिणामस्वरूप, केवल चार महीने की अवधि में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत राज्यभर से लगभग डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य के लगभग 98 प्रतिशत गांवों से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं, जो यह दर्शाता है कि UCC को जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने UCC को सफलतापूर्वक लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने दृष्टिपत्र के माध्यम से राज्य की जनता को यह वचन दिया गया था कि यदि जनादेश मिला, तो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी, और चुनावों में विजय के पश्चात पहले दिन से ही इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि UCC बिल का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति ने उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में व्यापक जन-परामर्श किया, जिसके माध्यम से लगभग 2 लाख 32 हजार सुझाव प्राप्त हुए। समिति ने न केवल आम नागरिकों से, बल्कि सभी राजनीतिक दलों और विभिन्न वैधानिक आयोगों के प्रमुखों से भी बातचीत की।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने 7 फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक को राज्य विधानसभा में पारित कर माननीय राष्ट्रपति महोदया को भेजा। माननीय राष्ट्रपति महोदया ने 11 मार्च, 2024 को इस ऐतिहासिक विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान की। आवश्यक नियमावली एवं प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए, 27 जनवरी, 2025 को पूरे उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को विधिवत रूप से लागू कर दिया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने UCC के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह जाति, धर्म, लिंग आदि में अंतर के आधार पर कानूनी मामलों में होने वाले भेदभाव को खत्म करने का एक संवैधानिक उपाय है। इसके द्वारा सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है, और इसके लागू होने से प्रदेश में सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने बताया कि अब हलाला, इद्दत, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक आदि कुप्रथाओं पर पूर्णतः रोक लगाई जा सकेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा गया है, ताकि उन जनजातियों का और उनके रीति-रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है, जिसकी परिकल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने भी की थी और राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में इसे सम्मिलित किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि UCC के माध्यम से किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है, केवल कुप्रथाओं को दूर किया गया है। UCC के अंतर्गत सभी धर्मों के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में एक समान विधिक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अब पति-पत्नी को विवाह विच्छेद के लिए निर्धारित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा तथा बहुविवाह की प्रथा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि इन कानूनों के अंतर्गत सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही, संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया गया है, अर्थात प्राकृतिक संबंधों के आधार पर, सहायक विधियों द्वारा या लिव-इन संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा। UCC के अंतर्गत बच्चों की संपत्ति में माता-पिता को भी अधिकार प्रदान किया गया है, जिससे बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन यापन का अधिकार प्राप्त हो।
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मुख्यमंत्री धामी ने वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए युवा पीढ़ी की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें संभावित सामाजिक जटिलताओं एवं अपराधों से बचाने के उद्देश्य से लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा, और यह जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएंगी।
अंत में, मुख्यमंत्री ने बताया कि UCC के माध्यम से जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के साथ ही इसके क्रियान्वयन हेतु एक प्रभावी एवं स्पष्ट नियमावली को भी लागू कर दिया गया है।