Friday, May 9, 2025
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चला फुलारी फूलों को | Chala Phulari Song Lyrics | Phooldei Festival Song

उत्तराखंड की समृद्ध लोकसंस्कृति में फूलदेई पर्व का विशेष स्थान है, और इस पर्व से जुड़ा चला फुलारी फूलों को गीत इस परंपरा का सुंदर प्रतीक है। यह गीत सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि पहाड़ों की खुशबू, बसंत के आगमन और लोक परंपराओं की मधुर झंकार है। आइए, इस लोकगीत के बोल, भावार्थ और इसकी गूंज को करीब से महसूस करें।

चला फुलारी फूलों को गीत के बोल | Chala Phulari Song Lyrics in Hindi –

चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी
मैं घौर छोड्यावा
हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालो बसंत
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां
म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ
ना उनु धरम्यालु आगास
ना उनि मयालू यखै धरती
अजाण औंखा छिन पैंडा
मनखी अणमील चौतर्फी
छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

फुल फुलदेई दाल चौंल दे
घोघा देवा फ्योंल्या फूल
घोघा फूलदेई की डोली सजली
गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल
अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा
होला चैती पसरू मांगना औजी खोला खोलो मा
ढक्यां मोर द्वार देखिकी फुलारी खौल्यां होला

चला फुलारी गीत का अर्थ | Chala Phulari Song Meaning in Hindi –

इस लोकगीत में पहाड़ों के जीवन और वहां की परंपराओं को खूबसूरती से पिरोया गया है। जब बसंत का मौसम आता है, तो बच्चे ‘फुलारी’ (फूल चढ़ाने वाले) बनकर घर-घर जाकर देहलीज पर फूल चढ़ाते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

गीत में बच्चे मासूमियत से कहते हैं:-

  • भौंरों का जूठा फूल ना तोड़ना, मधुमक्खियों के जूठे फूल ना लाना” — यह पंक्तियां प्रकृति के प्रति आदर और शुद्धता की भावना को दर्शाती हैं।
  • “फुल फुलदेई दाल चौंल दे, घोघा देवा फ्योंल्या फूल” — फूलदेई के इस पर्व में बच्चे फूल अर्पित करते हैं और बदले में घरवाले उन्हें दाल, चावल, गुड़ और दक्षिणा देते हैं।

यह गीत प्रकृति प्रेम, परंपराओं की खूबसूरती और उत्तराखंड के नववर्ष के स्वागत की भावना से भरा हुआ है।

चला फुलारी गीत का महत्व | Chala Phulari Song Significance –

  1. फूलदेई पर्व का हिस्सा : यह गीत फूलदेई पर्व का प्रमुख हिस्सा है, जिसमें बच्चे गांव के हर घर की दहलीज पर फूल चढ़ाते हैं।
  2. नववर्ष का स्वागत: उत्तराखंड में यह पर्व चैत्र माह में नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।
  3. लोकसंस्कृति की झलक: गीत में पहाड़ी जीवन, बसंत का आगमन और बच्चों की मासूम खुशी झलकती है।

Chala Phulari Song YouTube Link | चला फुलारी गीत वीडियो :

इस मधुर लोकगीत को सुनने के लिए यहां क्लिक करें:

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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