Home स्टूडेंट कॉर्नर येलो थ्रोटेड मार्टिन जिसे हम पहाड़ में चुथरोल या चुथरोउ कहते हैं

येलो थ्रोटेड मार्टिन जिसे हम पहाड़ में चुथरोल या चुथरोउ कहते हैं

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हम लोग जो भी पहाड़ से संबंध रखते हैं, वो चुथरोल को अच्छी तरह से पहचानते हैं। यहाँ पहाड़ से मेरा मतलब उत्तराखंड से है। हालांकि यह जीव अन्य हिमालयी राज्यों में भी पाया जाता है। लेकिन इसका नाम वहां की स्थानीय भाषा में कुछ और होगा। चुथरोल को इंग्लिश में येलो थ्रोटेड मार्टिन कहते हैं। जिसे आप पीले गले वाला मार्टिन भी कह सकते हैं। एक अन्य भाषा में इसे खरजा भी कहते हैं। येलो थ्रोटेड मार्टिन का वैज्ञानिक नाम Martes  flavigula है। यह जीव मस्टेलिडे परिवार से सम्बंधित है। इस परिवार और छोटे मांसाहारी जैसे बेजर ,बीजल और ऊदबिलाव आते हैं। यह जीव अपने परिवार में आसानी से पहचाना जाता है , इसके गले के आसपास पीले -सुनहरे फर जो पीठ की तरफ को सुनहरे भूरे हो जाते हैं। और इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी लम्बी पूंछ ,जो इसके शरीर की लम्बाई की दो तिहाई लम्बी होती है। यह मूलतः एशियाई जीव है। एशिया में येलो थ्रोटेड मार्टिन की 9 प्रजातियां पायी जाती हैं। ये प्रजातियां हिमालयी क्षेत्रों , अफगानिस्तान ,म्यांमार ,दक्षिण पूर्व एशिया ,और मलेशिया इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। ये जीव चीन , ताइवान ,कोरिया तथा पूर्वी रूस आदि देशों में भी पाए जजते हैं। इनका निवास तराई दलदल और शंकुधारी वन क्षेत्रों में होता है। अल्पाइन घास के मैदान भी इनके निवास में शामिल है। उत्तराखंड में येलो थ्रोटेड मार्टिन हिमालयी चौड़े वनों में पाए जाते हैं। इसके साथ साथ ये अक्सर मानव बस्तियों के आस पास भी देखे जा सकते हैं।

येलो थ्रोटेड मार्टिन
चुथरोल

येलो थ्रोटेड मार्टिन एक सर्वाहारी जीव होता है। यह जीव फल घास से लेकर छोटे छोटे जानवरों तक शिकार करके कहते हैं। इन्हे एक निडर और चालाक शिकारी के रूप में  जाना जाता है। छोटे हिरन, कस्तूरी मृग ,आदि छोटे जानवरों का शिकार आसानी से कर लेते हैं। मानव बस्तियों के आस पास इन्हे मुर्गियों ,घरेलू बिल्लियों का शिकार करते हुए देखा जा सकता है। पीले गले वाला मार्टिन एक ऐसा खतरनाक मांसाहारी है जिसका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं हैं। बाघ तेंदुवा जैसे बड़े शिकारी भी इससे दुरी बनाकर रखते हैं।  यह कई बार  मौका पड़ने पर अपने से कई गुना खतरनाक शिकारी को पटखनी दे देते हैं। इन्होने बड़ी चील को भी नहीं छोड़ा है। ये अधिकतर समूह में शिकार करते हैं। ये आसानी से पेड़ो में चढ़ जाते हैं। और 8,10 मीटर की छलांग आसानी से लगा लेते हैं। चुथरोल अपने से 5 गुना भारी शिकार को मारने में भी नही हिचकते । ये बड़े निडर होते हैं। कई जैव वैज्ञानियों के अनुसार इनका अधिक शिकार होने के कारण यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई । जिस कारण अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ( IUCN) ने इसे अपनी लाल सूची में शामिल किया है।

साल 2020 में यह दुर्लभ निडर शिकारी रामनगर में देखा गया , जिसकी समाचार पत्रों में भी काफी चर्चा हुई थी । और इसका फिर दिखना जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत है।

पहले यह जीव पहाड़ों में भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता होगा ।तभी पहाड़ों में रहने वालों ने येलो थ्रोटेड मार्टिन का नाम चुथरोल को अपने सामाजिक जीवन में भी ढाल लिया होगा। क्योंकि हम सबने नोटिस किया है, पहाड़ी भाषा में अभी भी चुथरोल शब्द का काफी प्रयोग होता है।

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नोट : इस लेख में प्रयुक्त फोटोग्राफ गूगल के सहयोग से संकलित किए गए हैं।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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