Uttarakhand LUCC Chit Fund Scam: उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में आर्थिक धोखाधड़ी की एक बड़ी खबर सामने आई है। LUCC (द लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी) चिट फंड घोटाले ने हजारों छोटे निवेशकों, खासकर महिलाओं, को अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धोने पर मजबूर कर दिया है। यह घोटाला, जिसे देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जा रहा है, 2016 से चल रहा था और 2024 में पूरी तरह से सामने आया, जब कंपनी के प्रमोटर निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गए।
ठगी का जाल: लालच का खेल
इस फर्जीवाड़े की शुरुआत मुंबई के निवासी समीर अग्रवाल ने 2016 में SAGA नामक एक संगठन के तहत की। LUCC के नाम से एक फर्जी को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई, जिसका कारोबार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार सहित आठ राज्यों में फैला हुआ था। उत्तराखंड में इसके लगभग 35 ब्रांच थे, जो कोटद्वार, देहरादून, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग जैसे शहरों में संचालित होते थे।
कंपनी ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बैंक से दोगुना, यानी 12 से 15 प्रतिशत तक का वार्षिक ब्याज देने का लालच दिया। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे व्यापारी, महिलाएँ और एजेंट इस आकर्षक स्कीम के झाँसे में आ गए और लाखों-करोड़ों रुपये जमा कर दिए। कंपनी ने इन पैसों को सोने के सिक्कों और विदेशी निवेश के नाम पर इकट्ठा किया, लेकिन असली मकसद निवेशकों को ठगना था। फर्जी दस्तावेजों और बिना वैध अनुमति के काम कर रही इस सोसाइटी ने जमा किए गए पैसों को हवाला के जरिए विदेश भेजा या निजी खातों में ट्रांसफर कर लिया।
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घोटाले की भनक तब लगी जब जून 2024 में कोटद्वार की तृप्ति नेगी ने पहली शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामले सामने आने लगे और हजारों निवेशकों के साथ हुई धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, अकेले उत्तराखंड में 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी हुई, जबकि कुल मिलाकर यह राशि 189 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक हो सकती है। इस घोटाले ने हजारों निवेशकों को प्रभावित किया है, जिनमें से कई एजेंट भी थीं और उन्होंने अपनी बचत के साथ-साथ दूसरों का पैसा भी इसमें लगाया था।
सड़क पर उतरे पीड़ित: न्याय के लिए संघर्ष
इस वित्तीय धोखाधड़ी के बाद उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में निवेशकों, खासकर महिलाओं ने, सड़कों पर उतरकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। ये प्रदर्शन न्याय, दोषियों की गिरफ्तारी और डूबे हुए पैसे की वसूली की माँग पर केंद्रित थे।
- देहरादून में भूख हड़ताल: सितंबर 2025 में पीड़ित महिलाओं ने देहरादून में अनशन शुरू कर दिया। एक महिला एजेंट, बबीता ने बताया कि उन्होंने खुद एक करोड़ से अधिक का पैसा इसमें लगाया था जो अब डूब चुका है।
- पौड़ी गढ़वाल में रैली: फरवरी 2025 में पौड़ी शहर में सैकड़ों लोगों ने रैली निकाली, जहाँ लोगों ने एजेंटों पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया, क्योंकि कंपनी के प्रमोटर तो भाग चुके थे।
- महिला कांग्रेस का विरोध: अप्रैल 2025 में महिला कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
पीड़ितों का संघर्ष यहीं नहीं रुका। जुलाई 2025 तक ये प्रदर्शनकारी एक साल से अधिक समय से न्याय की गुहार लगा रहे थे। इस दौरान सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर इंटरपोल की मदद से मुख्य आरोपियों को वापस लाने की माँग की।
प्रशासनिक कार्रवाई:
पुलिस और CB-CID की जाँच: उत्तराखंड में जून 2024 से 8 मामले दर्ज किए गए। पुलिस ने अब तक 12 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें उत्तराखंड राज्य प्रमुख गिरीश चंद्र बिष्ट भी शामिल हैं। इसके अलावा, मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल और अन्य के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए गए हैं। संपत्ति जब्त करने की तैयारी: पुलिस ने कंपनी की संपत्तियों की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है ताकि उन्हें जब्त कर नीलाम किया जा सके। हालाँकि, कंपनी के खातों में सिर्फ 2 लाख रुपये ही मिले हैं, जबकि 189 करोड़ रुपये गायब हैं।
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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अभियान लगातार जारी है। इसी कड़ी में, राज्य के अब तक के सबसे बड़े लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी (LUCC) चिटफंड घोटाले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अनुमति प्रदान कर दी है।
यह घोटाला उत्तराखंड के इतिहास में सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जा रहा है। इस चिटफंड योजना में हजारों निवेशकों ने अपनी गाढ़ी कमाई गंवाई है, और इस मामले ने प्रदेश में एक बड़े आर्थिक अपराध को उजागर किया है। CBI जांच से इस मामले की परतें खुलने और दोषियों को कानून के दायरे में लाने की उम्मीद है।
यह घोटाला ग्रामीण भारत में वित्तीय साक्षरता की कमी को भी उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह धोखाधड़ी उन लोगों के लिए एक सबक है जो अधिक रिटर्न के लालच में फर्जी योजनाओं में निवेश करते हैं।