उत्तराखंड की बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट जारी हो चुकी है,आपको बता दें कि 16 मार्च 2023 से ये परीक्षाएं शुरू होनी हैं। इस बार उत्तराखंड सरकार ने इन बोर्ड परीक्षाओं के लिए 1253 परीक्षा केंद्र बनाए हैं जहां पर 2 लाख 60 हजार के आसपास बच्चे परीक्षा देंगे। परीक्षा केंद्र में नकल न हो सके इसके पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं, इसके लिए शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि परीक्षा केंद्रों में मोबाइल फोन पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा।

उत्तराखंड की इन बोर्ड परीक्षाओं में हाईस्कूल में 1लाख 32हजार तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा में 1लाख 27 हजार के आसपास छात्र परीक्षा देकर अपना भविष्य निर्धारित करेंगे। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 16 मार्च से होने वाली उत्तराखंड बोर्ड की इन परीक्षाओं का परिणाम किसी भी हाल में 25 मई तक सामने आ जाने चाहिए।

उत्तराखंड की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होंगी 16 मार्च 2023 से

परीक्षा केंद्रों की अगर बात करें तो इस बार सबसे अधिक परीक्षा केंद्र पौड़ी जिले में हैं जिनकी संख्या है 136 तथा सबसे कम परीक्षा केंद्र हैं चंपावत जिले में जिनकी संख्या 39 है। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा  कि प्रदेश भर में 1253 परीक्षा केंद्रों पर बोर्ड परीक्षा होगी, जिसमें से संवेदनशील हैं 195 परीक्षा केंद्र तथा 14 परीक्षा केंद्रों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है।

हम उत्तराखंड बोर्ड की इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले सभी छात्र छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। साथ ही हम उन्हें  यही कहेंगे कि ज्यादा तनाव में न रहते हुए शांत मन से परीक्षा दें व उनके परिवारजनों से भी कहेंगे कि बच्चों पर अनावश्यक रूप से दबाव न बनाएं।

क्योंकि ये परीक्षाएं सिर्फ खुद को आंकने के लिए होती हैं इसलिए इसे मुस्कुराते हुए शांत मन से निभाएं।

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाओं का टाइम टेबल यहाँ डाउनलोड करें।

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Bikram Singh Bhandari
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।