चमोली: चमोली जिले के सीमांत गांव माणा स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्षों के अंतराल के बाद विधि-विधान के साथ पुष्कर कुंभ का भव्य आयोजन शुरू हो गया है। इस धार्मिक समागम को लेकर बदरीनाथ धाम और माणा गांव में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। जिलाधिकारी श्री संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ के लिए पैदल मार्ग को दुरुस्त किया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए पैदल मार्ग पर पुलिस कर्मियों और संगम तट पर एसडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया है। उन्होंने तहसील प्रशासन को नियमित रूप से व्यवस्थाओं की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में 12 साल बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब 12 वर्ष में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तब माणा गांव में अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है। इस विशेष आयोजन में मुख्य रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी हिस्सा लेते हैं।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, माणा गांव के पास केशव प्रयाग में ही महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी। यह भी माना जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी पवित्र स्थान पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। इसी कारण, अपनी प्राचीन परंपराओं को संजोए रखने के लिए बदरीनाथ धाम के निकट स्थित माणा गांव पहुंचकर श्रद्धालु केशव प्रयाग में स्नान और पूजा-अर्चना करते हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि तीर्थ स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक एकजुटता के भी प्रतीक हैं। विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालु इन स्थलों पर एकत्रित होकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करते हैं। इसी क्रम में माणा गांव में आयोजित पुष्कर कुंभ, उत्तर और दक्षिण भारत को आपस में जोड़ रहा है।
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पुष्कर कुंभ के शुरू होने से माणा गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्साह का माहौल है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।