देश की प्रसिद्ध होलियों में से एक है कुमाउनी होली। डेढ़ से दो महीने तक चलने वाला यह त्यौहार को उत्तराखंड कुमाऊं निवासी बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। पौष माह से बैठकी होलिया और रंग एकादशी से खड़ी होलिया गायी जाती हैं। कुमाउनी खड़ी होली ब्रज और कुमाउनी मिश्रित भाषा में गाई जाती है। जबकि बैठक होलियों में उर्दू का प्रभाव दिखाई देता है। कुमाउनी होली के बारे में विस्तार से हमने एक पोस्ट पहले ही पोस्ट की है। और कुमाउनी होली गीतों (kumaoni holi geet ) का भी एक विस्तृत संकलन तैयार किया है। इन दोनों पोस्टों का लिंक हम इस पोस्ट के अंत में दे रहे हैं। आप वहां से कुमाउनी होली के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कुछ कुमाउनी होली गीतों के बोल (kumaoni holi geet ) यहाँ संकलित कर रहें हैं। उम्मीद है आप इन कुमाउनी होली लिरिक्स की मदद से आपकी होली और भी रंगीन हो जाएगी।
Table of Contents
दधि लूटे नन्द को लाल –
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो-2
कहाँ के तुम ग्वाल गुजरिया (एक बोल)
कहाँ दधि बेचन जाय, बेचन ना जहियो – 2
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो-2
मथुरा के हम ग्वाल गुजरिया (एक बोल),
गोकुल बेचन जाय, बेचन ना जहियो – 2
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो – 2
कौन राजा के ग्वाल गुजरिया (एक बोल)
कौन लला दधि खाय, बेचन ना जहियो – 2
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो – 2
कंस राजा के ग्वाल गुजरिया (एक बोल)
कृष्ण लला दधि खाय, बेचन ना जहियो – 2
दधि लूटे नन्द को लाल,बेचन ना जहियो-2
दूध पियो है नन्द को लाला (एक बोल)
माखन लेह चुराय, बेचन ना जहियो – 2
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो – 2
दहि दीनी खाई, मटक दीनी फोड़ी (एक बोल)
नाहक रार मचाय, बेचन ना जहियो
दधि लूटे नन्द को लाल, बेचन ना जहियो – 2
Kumauni holi geet – जय बोलो यशोदा नन्दन की
जय बोलो यशोदा नंदन की,
जय बोलो यशोदा नंदन की-2
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
माला बिराजे चंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की-2
मधुर-मधुर स्वर बाजे मुरलिया,
हाथ बिराजत यशोदानंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की-2
जमुना के तट पर धेनु चरावे,
हाथ लकुटिया चंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की – 2
नाग कालिया के सर पर नाचे,
बंशी बजी मन रंजन की जय बोलो यशोदा नंदन की-2
दुष्ट दलन कंसासुर मार्यो,
रक्षा करी सब संतन की, जय बोलो यशोदा नंदन की-2
नारद शेष- महेश बिधाता,
सुर-नर-मुनि के बंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की-2
जय बोलो यशोदा नंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की-2
रंग में होली कैसे खेलूं कुमाऊनी होली गीत
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ॥
घर घर से ब्रज बनिता आई,
लिए किशोरी संग, लाला लिए किशोरी संग,
चन्द्र सखी हसि यों उठ बोली, लगा श्याम के अंग,
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ॥
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंग ।
भर पिचकारी सनमुख मारी, अंखियां हो गई तंग ।।
साड़ी सरस सभी मेरो भीजो,
भिज गयो सब अंग, लाला, भिज गियो सब अंग,
बज मारे को कहाँ भिगौउ, कारी कामर अंग,
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ||
चुनरी भिगोये, लहँगा भिगोये छूटौ किनारी रंग
सूरदास को कहा भिगोये, कारी कामर अंग
नैनन सुरमा, दाँतन मिस्सी, रंग होत भदरंग ।
मसक गुलाल मले मुख ऊपर, बुरौ कृष्ण को संग
रंग में होली कैसे खेलूँ री, मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री, मैं साँवरिया के संग ।
तबला बाजे सरंगी बाजे, अरू बाजे मिरदंग ।
कान्हा जी की वांसुरी बाजे, राधा जी के संग ॥
रंग में होली कैसे खेलूँ री, मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग ॥
रंग में होली कैसे खेलूँ री,मैं साँवरिया के संग।
कोरे कोरे कलश मंगाये, तापर घोलो रंग ।
भर पिचकारी सन्मुख मारी, चोली हो गई तंग
खसम तुम्हारों बड़ों निखट्टू, चलो हमारे संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री, मैं साँवरिया के संग ।
रंग में होली कैसे खेलूँ री, मैं साँवरिया के संग ॥
कुमाउनी महिला होली गीत – मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
सासु हु लड्डू, ननद हु पेड़ा.
मैं हु बरफी ल्यारोछो..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो ..
सासु हु नथिया, ननद हुं कुण्डल .
मैं हु माला ल्यारोछो..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
सासु हुं बिन्दी,ननद हु पोडर .
मैं हु लाली ल्यारोछो..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
सासु हु लहंगा, ननद हु चुनरी .
मैं हु अंगिया लारोछो..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो ..
नानो-नानो देवर ऐरोछो ..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो
छम छम छम छम घुन्गरू लयरोछो
सासु हु धोती, ननद हु झम्फर.
मैं हु साड़ी लयरोछो..
मेरो रंगीलो देवर घर ऐरोछो ..
kumauni holi geet lyrics – होली खेलत हैं कैलाशपती
होली खेलत हैं कैलाशपती होली खेलत हैं..
शिव की जटा में गंगा बिराजे.
गंगा लाए भगीरथी, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं..
“बूढे नदिया, शिव जी बिराजे,
संग में लाये पारवती, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं..
हाथ त्रिशूल गले रूद्रमाला,
खाक रमाये लाख पती, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं…
भारी दान दियो शिव शंकर,
भस्मासुर चाहे पारवती, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं…
तीनों लोक फिरे शिव शंकर,
कहिं न मिले त्रिलोक पती, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं..
ध्यान करो जब शिव शंकर को,
नाचन लागे कैलाशपती, होली खेलत हैं, होली खेलत हैं…
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नोट- इस पोस्ट में प्रयुक्त फोटो सोशल मीडिया के सहयोग से संकलित किए हैं।