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परिचय –
कोटगाड़ी देवी मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर देवी भगवती को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग न्याय की देवी के रूप में पूजते हैं। यह मंदिर पिथौरागढ़ मुख्यालय से 55 किमी और डीडीहाट से 23 किमी की दूरी पर थल के निकट पांखू गांव में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए थल से 2 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि मध्यकालीन व्यवसायिक कस्बे के रूप में भी जाना जाता है।
कोटगाड़ी देवी की मान्यताएं –
कोटगाड़ी देवी को क्षेत्र में न्याय की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति वही श्रद्धा और विश्वास है, जो चितई और घोड़ाखाल के गोलू देवता के लिए पाया जाता है।
- न्याय की गुहार: अन्याय और अत्याचार से पीड़ित लोग इस मंदिर में आकर न्याय की मांग करते हैं। वे अपने पक्ष में प्राप्त न्यायालय के निर्णयों को स्टाम्प पेपर पर लिखकर मंदिर में जमा करते हैं और देवी से न्याय की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि यहां पांच पीढ़ियों पहले के अन्यायपूर्ण निर्णयों की भी सुनवाई होती है और भक्तों को न्याय प्राप्त होता है।
- संतान प्राप्ति की मनोकामना: संतानहीन महिलाएं चैत्र और आश्विन नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में रात्रि जागरण करती हैं। वे प्रज्वलित दीपक को हाथ में लेकर पूरी रात जागती हैं और संतान प्राप्ति के लिए मनौती मांगती हैं। लोगों का विश्वास है कि उनकी यह मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
मंदिर की विशेषताएं –
देवी की मूर्ति: कोटगाड़ी देवी की मूर्ति को प्रच्छद पट (पर्दे) से ढका जाता है, और सामान्य भक्त इसका अनावृत रूप नहीं देख सकते। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति में देवी के गुप्तांग का स्पष्ट उत्कीर्णन किया गया है, जिसके कारण इसे ढककर रखा जाता है।
स्थापना की कथा: मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि कोटगाड़ा जाति के एक व्यक्ति को स्वप्न में देवी ने दर्शन देकर मंदिर स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की थी। उसी के परिणामस्वरूप इस मंदिर का निर्माण हुआ।
अन्य मंदिर: कोटगाड़ी देवी मंदिर के साथ-साथ, इसके निकट सुरमल और छुरमल देवता के मंदिर भी हैं, जिन्हें देवी के भाई माना जाता है। इसके अतिरिक्त, 200 मीटर की दूरी पर पांखू गोलू और भैरव का मंदिर भी स्थित है।
उत्सव और पूजा-अर्चना –
कोटगाड़ी देवी मंदिर में साल भर विभिन्न अवसरों पर श्रद्धालु आते हैं। कुछ प्रमुख उत्सव और पूजा निम्नलिखित हैं:
- नवरात्रि उत्सव: चैत्र और आश्विन नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर यहां विशेष लोकोत्सव का आयोजन होता है। इस दौरान भक्त बड़ी संख्या में मंदिर में एकत्रित होते हैं।
- बलिपूजा: बलिपूजा का आयोजन पांखू ग्वल्ल और भैरव मंदिर में किया जाता है, जो मुख्य मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है।
- अन्य अवसर: भाद्रपद में ऋषिपंचमी, कार्तिक पूर्णिमा, और वैशाखी के अवसर पर भी श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
कोटगाड़ी देवी मंदिर तक कैसे पहुंचें?
- स्थान: पांखू गांव, थल, पिथौरागढ़, उत्तराखंड
- दूरी: पिथौरागढ़ से 55 किमी, डीडीहाट से 23 किमी
- यात्रा: थल तक वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है। इसके बाद 2 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
- निकटतम रेलवे स्टेशन: टनकपुर (लगभग 150 किमी)
- निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर हवाई अड्डा (लगभग 200 किमी), पिथौरागढ़
क्यों है कोटगाड़ी देवी मंदिर खास?
कोटगाड़ी देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। यह मंदिर उन लोगों के लिए आशा का केंद्र है जो न्याय और संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
निष्कर्ष –
कोटगाड़ी देवी मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यदि आप आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने की योजना बना रहे हैं, तो कोटगाड़ी देवी मंदिर अवश्य जाएं। यह स्थान न केवल आपकी श्रद्धा को बढ़ाएगा, बल्कि आपको स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से भी जोड़ेगा।
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