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काली कमली वाले बाबा तीर्थ यात्रियों की मदद करने वाले बाबा

Kali kamli wale baba ke baare me

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काली कमली वाले बाबा-

काली कमली वाले बाबा को उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों के लिए सुगम रास्ते और धर्मशालाओं के निर्माण के लिए जाना जाता है। इन्हें स्वामी विशुद्धानंद के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान के गुजरांवाला जिले के जलालपुर किकना नामक स्थान में सन 1831 में हुवा था। ये  भिल्लङ्गन शैव सम्प्रदाय से संबंध रखने के कारण, ये और इनका परिवार भगवान भोलेनाथ की तरह काला कंबल धारण करते थे। मात्र 32 वर्ष की आयु में ये सन्यास लेकर बन गए श्री 1008 स्वमी विशुद्धानंद काली कमली वाले बाबा।

सन्यास के उपरांत ये जब हिमालय की तीर्थ यात्रा पर गए , तब इन्हें तीर्थयात्रियों की यात्रा में आने वाली परेशानियों का अहसास हुआ। बाबा को उत्तराखंड से विशेष लगाव था। इन्होंने उत्तराखंड के तीर्थों के महत्व को समझा और यह हिमालयी क्षेत्र में तीर्थ यात्रा में आने वाली कठिनाइयों को महसूस किया। बाबा ने तीर्थयात्रा में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया। तीर्थयात्रियों को सुविधा देने के लिए उन्होंने 1937 में बाबा काली कमली वाले पंचायती क्षेत्र की स्थापना की।
काली कमली वाले बाबा

तीर्थ यात्रियों के लिए धर्मशालाएं और प्याऊ बनवाये-

इनके पवित्र प्रयास से ऋषिकेश में रेल का निर्माण, लक्ष्मण झूला पुल का पुनः निर्णाण कराया। जगह जगह पर यात्रा मार्गों का प्रबंध किया  तीर्थ यात्रियों के लिए जगह जगह पर , धर्मशाला और प्याऊ बनवावे ।

स्वामी विशुद्धानंद जी काली कमली वाले बाबा जी ने लगभग 33 वर्षों तक तीर्थ यात्रियों की सेवा की। कहा जाता है कि 1953 में स्वामी विशुद्धानंद जी हिमालय की तीर्थ यात्रा पर निकले उसके बाद दिखाई नही दिए।

इनके बाद इस संस्था के उत्तराधिकारी बाबा रामनाथ हुए । बाबा रामनाथ जी के बाद इस संस्था के उत्तराधिकारी बाबा मनीराम को बनाया गया । उन्होंने इस संस्था को पंजीकृत करके इसका ट्रस्ट बना दिया।

वर्तमान में इस संस्था द्वारा निम्न परोपकारी कार्य अविलम्ब किये जा रहे हैं।

  • लगभग 40 स्थानों पर साधु महात्माओं के लिए एवं प्रतिदिन 2000 व्यक्तियों के लिए भोजन वस्त्र आदि का दान किया जाता है।
  • ऋषिकेश में दो कुष्ठ आश्रमों के लिए अन्नदान।
  • गोशालाओं की स्थापना,अपाहिज गायों की प्राण रक्षा।
  • ऋषिकेश में पुस्तकालय, वाचनालय, संस्कृत विद्यालय, सत्संग भवन,अनाथालय, आत्मविज्ञान भवन 85 धर्मशालाओं का निर्माण किया।
  • बाबा काली कमली वाला पंचायती क्षेत्र ऋषिकेश की सबसे बड़ी संस्था है।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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