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हर्षिल का फिरंगी राजा फेड्रिक ई विल्सन जिसे हर्षिल की राजमा लाने का श्रेय दिया जाता है। जाने पूरी कहानी।

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उत्तराखंड की एक सुन्दर घाटी हर्षिल घाटी जो प्राकृतिक सुंदरता के मामले में विश्व प्रसिद्ध है। उतना ही प्रसिद्ध इस घाटी का इतिहास है। इस घाटी के राजमा और सेव के बारे में सबको पता है कि वे विश्व प्रसिद्ध हैं। लेकिन अधिकतर लोग हर्षिल घाटी को राजमा और सेव की सौगात देने वाले फेड्रिक विल्सन या हुलसन साहब के बारे में नहीं जानते हैं। फेड्रिक ई विल्सन को कोई राजा कहता है तो कोई डाकू और कोई ठेकेदार कहता है।

कौन था हर्षिल का राजा फेड्रिक विल्सन –

फेड्रिक ई विल्सन के बारे में कहते हैं कि वह ब्रिटिश आर्मी में काम करने वाला एक अंग्रेज सैनिक था। वह अंग्रेज सैन्य टुकड़ी के साथ अफगानिस्तान में तैनात था। कहते हैं उसका मन सैन्य सेवा में नहीं लगा और वह वहां से भाग गया। और भागते भागते उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र के मुखवा में पहुंच गया। धीरे -धीरे फेड्रिक इ विल्सन यहाँ पूरी तरह से रच बस गए। वे वहां की स्थानीय पहाड़ी भाषा भी सीख गए।

उनका रहन सहन भी पहाड़ियों की तरह बन गया। जल्द ही टिहरी के राजा से लकड़ियों का ठेका प्राप्त कर हुलशन साहिब बड़े ठेकेदार बन गए। उन्होंने नदी द्वारा लकड़ियों का पहुंचाने की पहल सबसे पहले शुरू की। इसके अलावा ये फिरंगी राजा पहाड़ के कीमती और दुर्लभ जीवों का शिकार करके उनके अंग देहरादून हरिद्वार में बेचता था।

फेड्रिक विल्सन के बारे में कहा जाता है कि हर्षिल में राजमा की खेती लाने वाले सर्वप्रथम हुलसन साहिब यानि फेड्रिक ई विल्सन थे। विल्सन ने जाड़गंगा में 350 फ़ीट लम्बे झूला पुल का निर्माण करवाया था। कोई इन्हे राजा कहता था तो कोई इन्हे अंग्रेजों का जासूस भी मानता था। खुद को राजा साबित करने के लिए इन्होने हर्षिल में अपने सिक्के भी चलवाये। लेकिन इतनी अच्छाइयों के बावजूद इनके अंदर कई बुराइयाँ भी थी इन्होने वनसम्पदा का अंधाधुंध कटान करवाया और स्थानीय जंगली जीवों की भी खूब हत्या करवाई।

हर्षिल का फिरंगी राजा फेड्रिक ई विल्सन जिसे हर्षिल की राजमा लाने का श्रेय दिया जाता है। जाने पूरी कहानी।

 

विल्सन साहिब ने दो शादियां की पहली शादी उसने अपने खासम खास मंगीतु की बहन संग्रामी ( सुखदा ) से की पहली शादी से बच्चे न होने के कारण उसने मंगीतु की बेटी रायमता से गंधर्व विवाह किया था। दूसरी शादी से उसे तीन पुत्र प्राप्त हुए थे। लेकिन उसने वसीयत में अपनी पहली पत्नी को अपने बच्चों की माँ बताया है। हर्षिल में विल्सन के तीन पुत्र हुए चार्ली ,ऐन्द्री और नत्थू विल्सन। चार्ली ने देहरादून क्षेत्र में अपना निवास बनाया। और ऐन्द्री और नत्थू हर्षिल में ही रहते थे। एक जानकारी के अनुसार धराली के जीतमल की बेटियों की शादी विल्सन के दोनों बेटों से हुई। इनकी इस प्रेम कहानी पर कई लोक गीत भी बने हैं।

एक अन्य जानकारी के अनुसार विल्सन ई फेड्रिक का बेटा नत्थू ,बदमाशी अपहरण आदि के लिए बदनाम था। कहते हैं उसने रुदा और गोदावरी का अपहरण किया था और उन्हें हर्षिल ले आया था। कहते हैं नत्थू पागल किस्म का इंसान था। एक बार तो उसने तीर्थयात्रियों पर गोली चला दी थी। वह यू ही किसी पर गोली चला देता था। बाद में उसे टिहरी जेल में डाल दिया गया। और वहीँ उसकी मृत्यु हो गई थी।

सोमेश्वर देवता का दोष लगा था हुलशन साहिब को –

कहते हैं विल्सन या पहाड़ का फिरंगी राजा ने पहाड़ की अत्याधिक दोहन किया और पहाड़ी जानवरों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। कस्तूरी बेचने के लिए कस्तूरी मृग और मोनाल आदि हिमालयी जीवों का खूब शिकार किया। और कहते हैं उसने स्थानीय लोक देवी देवताओं का भी अपमान किया था। हुलशन साहब की इन्ही हरकतों से क्रुद्ध होकर ,स्थानीय देवता सोमेश्वर महाराज ने उसे समूल नाश का श्राप दिया था। कहते हैं सोमेश्वर देवता के श्राप के कारण विल्सन ई फैड्रिक और उनका परिवार एक एक करके असमायिक मृत्यु के आगोश में समा गया।

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