नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देश की राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता और शुद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों (RUPPs) को अपनी सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत 2019 से निष्क्रिय पाए गए 345 राजनीतिक दलों को सूची से हटाया जाएगा।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब देश में राजनीतिक दलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनमें से कई जमीनी स्तर पर या तो निष्क्रिय हैं या उनका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है। ऐसे दलों की उपस्थिति न केवल निर्वाचन प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ डालती है, बल्कि कई बार चुनावी प्रणाली के दुरुपयोग का मार्ग भी प्रशस्त कर सकती है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई उन दलों पर केंद्रित है जिन्होंने पिछले छह वर्षों (2019 के बाद से) से कोई चुनावी गतिविधि में भाग नहीं लिया है, न ही उन्होंने आयोग को अपनी गतिविधियों या वित्तीय स्थिति के बारे में कोई अपडेट प्रदान किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह बनाना और उन संस्थाओं को हटाना है जो केवल कागजों पर मौजूद हैं।
राजनीतिक व्यवस्था के शुद्धिकरण के लिए ECI का संकल्प
यह ECI का एक महत्वपूर्ण कदम है जो राजनीतिक व्यवस्था के शुद्धिकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। निष्क्रिय दलों को सूची से हटाने से निम्नलिखित लाभ होंगे:
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- पारदर्शिता में वृद्धि: अमान्यता प्राप्त लेकिन निष्क्रिय दलों की संख्या कम होने से राजनीतिक दलों की वास्तविक स्थिति और उनकी संख्या स्पष्ट होगी।
- कुप्रबंधन पर लगाम: कई बार ऐसे निष्क्रिय दलों का उपयोग धन के कुप्रबंधन या अन्य अनैतिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। सूची से हटने से इन पर लगाम लगेगी।
- संसाधनों का कुशल उपयोग: निर्वाचन आयोग के लिए ऐसे हजारों दलों का रिकॉर्ड रखना और उनकी निगरानी करना एक बड़ा प्रशासनिक बोझ होता है। सूची के शुद्धीकरण से आयोग के संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
- चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता: केवल सक्रिय और जवाबदेह राजनीतिक दलों की उपस्थिति से चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और जनता का विश्वास बढ़ेगा।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन दलों को हटाया जा रहा है, उन्हें अपनी निष्क्रियता साबित करने और सूची में बने रहने का एक अवसर दिया गया था, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है।
यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीद है कि भविष्य में भी चुनाव आयोग ऐसे कदम उठाता रहेगा जिससे हमारी चुनावी प्रणाली की अखंडता बनी रहे।