देहरादून: 16 सितंबर 2025 को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, बादल फटने से भारी तबाही हुई। इसने विशेष रूप से सहस्त्रधारा क्षेत्र को प्रभावित किया। यह आपदा रात के समय हुई, जिससे जनहानि कम रही, लेकिन फिर भी कुछ लोगों की जान गई और संपत्ति को काफी नुकसान हुआ।
भीषण बारिश और बादल फटने का प्रकोप
मिली जानकारी के अनुसार 15 सितंबर की रात से 16 सितंबर की सुबह तक देहरादून में मूसलाधार बारिश हुई। सहस्त्रधारा के करलीगाड़ इलाके में बादल फटने से अचानक पानी और मलबा पहाड़ों से बहकर नीचे आ गया, जिसने मुख्य बाज़ार को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना से टोंस, तमसा (रिस्पना) और सौंग जैसी नदियाँ उफान पर आ गईं। देहरादून में पिछले 24 घंटों में 264 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसने 1924 का 101 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस भारी बारिश से मालदेवता, प्रेमनगर, डोईवाला और टपकेश्वर महादेव मंदिर जैसे क्षेत्र भी प्रभावित हुए।
तबाही का मंज़र: जान और माल का नुकसान
इस आपदा में, अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार 10 से 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 2 से 15 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। पौंधा में देवभूमि संस्थान में फंसे 200 बच्चों सहित 500 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित बचाया गया।
संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है, जिसमें कई दुकानें, होटल और मकान बह गए। टपकेश्वर महादेव मंदिर जलमग्न हो गया, और IT पार्क में खड़ी गाड़ियाँ डूब गईं। सड़कों को भी भारी नुकसान पहुँचा है, जिसमें मोहिनी रोड पर एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया और सौंग नदी का पुल भी बह गया। देहरादून-पांवटा राजमार्ग भी टोंस नदी के पुल के पास सड़क बहने से बंद हो गया।
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राहत और बचाव कार्य जारी
आपदा के तुरंत बाद, SDRF, NDRF, पुलिस और फायर सर्विस की टीमें बचाव कार्य में जुट गईं। रात में ही 100 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायज़ा लिया और राहत कार्यों की समीक्षा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।
क्यों हुई यह आपदा?
विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएँ आम हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण से ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि वनों की कटाई और बढ़ता शहरीकरण मिट्टी के कटाव को बढ़ा रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पहले ही इस क्षेत्र के लिए ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किया था। उन्होंने 21 सितंबर तक येलो अलर्ट जारी रखा है और 19-20 सितंबर को भी भारी बारिश की संभावना जताई है। लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
यह घटना एक बार फिर से इस बात की चेतावनी देती है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है।
