Friday, January 17, 2025
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उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों की निगरानी और अध्ययन के लिए व्यापक कार्ययोजना

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने प्रदेश में ग्लेशियर झीलों के अध्ययन और निगरानी के लिए एक व्यापक और समन्वित कार्ययोजना तैयार की है। सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस महत्वपूर्ण परियोजना पर गहन विचार-विमर्श किया गया। बैठक में विभिन्न केंद्रीय वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया।

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सचिव श्री सुमन ने जानकारी दी कि प्रदेश में 13 ग्लेशियर झीलें चिन्हित की गई हैं, जिनमें से पांच को उच्च जोखिम वाली श्रेणी-ए में रखा गया है। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष एक विशेषज्ञ दल ने चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में स्थित वसुधारा झील का सर्वेक्षण किया। इस दल में यूएसडीएमए, आईआईआरएस, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के प्रतिनिधि शामिल थे। पिथौरागढ़ जिले की शेष चार श्रेणी-ए झीलों का सर्वेक्षण वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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ग्लेशियर झीलों के आकार, गहराई, जल निकासी मार्ग और जल मात्रा का अध्ययन करने के लिए वाटर लेवल सेंसर, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और थर्मल इमेजिंग जैसे अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किए जाएंगे। यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रशासन) श्री आनंद स्वरूप ने कहा कि पहले चरण में झीलों के मूलभूत स्वरूप और विशेषताओं का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद, इन झीलों पर आधारित एक अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने पर कार्य होगा।

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पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. डोभाल ने बताया कि ग्लेशियर झीलों के स्वरूप और प्रकृति का गहन अध्ययन संभावित आपदाओं के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि नियमित निगरानी और वैज्ञानिक रूप से तैयार सुरक्षात्मक उपायों से इन झीलों से जुड़े खतरों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

यूएसडीएमए विभिन्न वैज्ञानिक और शोध संस्थानों को एक मंच पर लाने की दिशा में कार्य कर रहा है। सचिव श्री सुमन ने आश्वासन दिया कि इन संस्थानों को हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा। साथ ही, ग्लेशियर झीलों के विस्तृत अध्ययन और निगरानी के लिए एक फुलप्रूफ सिस्टम विकसित किया जाएगा।

बैठक में आईजी एसडीआरएफ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, वित्त नियंत्रक श्री अभिषेक आनंद, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, यू-प्रीपेयर के परियोजना निदेशक श्री एसके बिरला और अन्य प्रमुख अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे।

उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों की सतत निगरानी और अध्ययन प्रदेश की आपदा प्रबंधन क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा। इस पहल से न केवल संभावित आपदाओं के जोखिम को कम किया जा सकेगा, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार होगा।

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Pramod Bhakuni
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इस साइट के लेखक प्रमोद भाकुनी उत्तराखंड के निवासी है । इनको आसपास हो रही घटनाओ के बारे में और नवीनतम जानकारी को आप तक पहुंचना पसंद हैं।
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