Thursday, April 10, 2025
Homeराज्यदशहरे के शुभ अवसर पर, चार धाम कपाट बंद होने की तिथि...

दशहरे के शुभ अवसर पर, चार धाम कपाट बंद होने की तिथि घोषित हुई

2022  में चार धाम कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा पुरे हर्षोउल्लास और उत्साह के साथ शुरू हो गई थी। कोरोना महामारी के बाद ,दो साल बाद  इस साल 2022  में चार धाम यात्रा निर्विघ्न रूप से शुरू  हुई। इस साल  लोगों में चार धाम यात्रा का ऐसा उत्साह जगा कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही बीस हजार से अधिक यात्री दर्शन के लिए पहुंच गए। सरकार के इंतजाम भी कम पड़ गए थे। बाद में भीड़ देखते हुए सरकार ने प्रतिदिन दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या नियंत्रित की।

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा आजकल अपने चरमोत्कर्ष पर है। अब नियत विधि विधान के अनुसार दशहरे के दिन चारों धामों के बंद होने की तिथि घोषित की जाती है। इसी आधार पर 2022 में चार धाम कपाट बंद होने की तिथि भी इस दशहरे को घोषित की जा चुकी है।  इस घोषणा के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवम्बर को दिन में 3 बजकर 35 मिनट के शुभ मुहूर्त पर बंद होंगे। गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर 12 बजकर 1 मिनट पर बंद होंगे। यमुनोत्री धाम के पुरोहित महासभा के अध्यक्ष जी के अनुसार , यमुनोत्री धाम के कपाट 27 अक्टूबर भैया दूज पर 12 :09 मिनट पर सर्वसिद्धि योग और अभिजीत मुहूर्त पर बंद किये जायेंगे।

भगवान् भोलेनाथ के धाम केदारनाथ के कपाट भी 27 अक्टूबर को भैयादूज पर बंद किये जायेंगे। बद्रीनाथ धाम के बारे में प्राप्त सुचना के अनुसार इस साल 2022 में बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर दोपहर 3:35 बजे बंद किये जायेंगे।

Hosting sale

इसे भी पढ़े –

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी का व्यक्तित्व देश, समाज तथा विश्व कल्याण के लिए अर्पित रहा- प्रो. वरखेड़ी
Lumpy Virus : लम्पी वायरस की रोकथाम के लिए उत्तराखंड सरकार ने जारी की है ये गाइडलाइन्स
येलो थ्रोटेड मार्टिन जिसे हम पहाड़ में चुथरोल या चुथरोउ कहते हैं।
“ऊचेण” एक ऐसी भेंट जो कामना पूरी होने के लिए देवताओं के निमित्त रखी जाती है।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments