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सूर्यदेव जिस  को दिन  राशी परिवर्तन करते है। उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। और उत्सव मनाए जाते हैं। उत्तराखंड में  मासिक गणना के लिए सौर पंचांग का प्रयोग होता है। प्रत्येक संक्रांति उत्तराखंड में माह का पहला दिन होता है, और उत्तराखंड में पौराणिक रूप से और पारम्परिक रूप से प्रत्येक संक्रांति को लोक पर्व मनाया जाता है। इसीलिए उत्तराखंड में कहीं कही स्थानीय भाषा मे त्यौहार को सग्यान (संक्रांति ) कहते हैं।

प्राचीन काल मे संचार के साधन कम होने के कारण , अपनी संस्कृति अपने लोक त्यौहारों के लिए  जनजागृति नही थी। आजकल डिजिटल युग आने के बाद लोकपर्वों  के प्रति जनजागृति बढ़ गई है। लोग लोक पर्वों के स्टेटस अपने फोन में बड़े चाव से  लगाते हैं। लोकपर्वों की शुभकामनाएं भेजते हैं।नई और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के तहत बच्चो को लोक पर्वों  पर निबंध लिखने का गृहकार्य  मिलता है, या तो अध्यापक स्कूलों में उत्तराखंड के लोक पर्व पर निबंध या लेख लिखवाते हैं। इसी प्रकार हमें अपनी संस्कृति, अपने त्योहारों अपनी परंपरा को सहेजकर आदिकाल तक चलायमान रखना है।

इसी परम्परा को सहेजने के लिए देवभूमि दर्शन वेबसाइट के उत्तराखंड के लोकपर्व कैटेगिरी में ,उत्तराखंड के लोकपर्वों के बारें में लेखों का संकलन करेंगे।

घी संक्रांति ( ghee sankranti ) उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व है। घी संक्रांति, घी त्यार, ओलगिया या घ्यू त्यार  प्रत्येक…

घ्वीड़ संक्रांति या घोल्ड संक्रांति – उत्तराखंड परम्पराओं और त्योहारों का प्रदेश है। यहाँ हर  सकारात्मक ऊर्जा देने वाली या…