देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश को कार्बन क्रेडिट के माध्यम से आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। हाल ही में मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने सचिवालय में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की, जिसमें उन्होंने प्रदेश के लिए कार्बन क्रेडिट को आय के एक नए और महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में विकसित करने पर जोर दिया। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ राज्य के किसानों और स्थानीय समुदायों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करना है।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य, जिसका एक बड़ा हिस्सा वनों से ढका हुआ है, के लिए कार्बन क्रेडिट अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक विकास के नए द्वार भी खोलेगा।
पर्यावरण विभाग होगा नोडल एजेंसी
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि राज्य में पर्यावरण विभाग कार्बन क्रेडिट के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह विभाग अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर इस दिशा में तेजी से काम करेगा।
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सहकारिता और वन विभागों पर विशेष ध्यान
बैठक में मुख्य सचिव ने वन, कृषि और सहकारिता विभाग में कार्बन क्रेडिट की असीम संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए कि वह अपने तहत आने वाली प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को इस प्रक्रिया में शामिल करे। इससे ग्रामीण स्तर पर कार्बन क्रेडिट के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह, उन्होंने वन विभाग को भी कार्बन क्रेडिट और ग्रीन क्रेडिट की दिशा में तेजी से काम करने के लिए कहा।
मुख्य सचिव ने कृषि विभाग और दुग्ध विकास विभाग को भी इस पहल में शामिल होने के निर्देश दिए। उनका मानना है कि स्थानीय समुदायों की भागीदारी से जैव विविधता की रक्षा होगी और एक स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल न सिर्फ युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, बल्कि किसानों को भी अतिरिक्त आय का साधन उपलब्ध कराएगी।
बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, श्री विनोद कुमार सुमन, श्री सी. रविशंकर, श्री श्रीधर बाबू अद्दांकी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित नाबार्ड के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।