Friday, April 11, 2025
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बगोरी गांव बनेगा उत्तराखंड का पहला मॉडल पर्यटन गांव।

bagori village

उत्तराखंड उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी की मनोरम वादियों में बसा बगोरी गांव बनने जा रहा है उत्तराखंड का पहला मॉडल पर्यटन गांव। उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने school of planning and architecture Delhi ( SPA ) को एक प्रस्ताव भेज दिया है। SPA इस गांव को पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में कार्य करेगा और इसे विशेष रूप से डिजाइन करेगा। उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष ध्यान दे रही है। इसी क्रम में सरकार प्रदेश के 51 सीमावर्ती गावों को विकसित करने के लिए विशेष योजनाएं चला रही है।

बगोरी गांव के बारे में –

प्राकृतिक सुंदरता –

हर्षिल से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर बसा ये मनोरम गांव मुख्यतः भोटिया जनजाति बहुल गांव है। हिमालय की गोद में बसा यह गांव रमणीय प्राकृतिक सुंदरता का धनी गांव है। गांव के चारो और बर्फ की ढकी चोटिया और गांव में देवदार के पेड़ों की अप्रतिम सुंदरता मन मोह लेती है। यहाँ के खूबसूरत नक्कासी किये हुवे लकड़ी के घरों की बनावट मन मोह लेती है। यहाँ की जड़ीबूटी वाली चाय और विभिन्न प्रकार के मशरूमों का स्वाद जिह्वा को  एक अलग लेवल का सुख देता है।बगोरी गांव के लोगो के आजीविका का मूल आधार यहाँ के सेव के बगीचे और जड़ीबूटियों का उत्पादन है।

बगोरी गांव

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बगोरी गांव का इतिहास –

बताते हैं कि जब 1962 में भारत और चीन का युद्ध हुवा था तो ,सीमा पर बसे जदुन्ग और नेलांग गांव को खाली करा दिया गया था। इन दोनों गांव के निवासियों बगोरी गांव में बसा दिया गया था। उस समय तिब्बत के साथ नमक का व्यपार इनका आजीविका का मुख्य साधन हुवा करता था। बाद में बदली हुईं परिस्थितियों में इन्हे अपना पारम्परिक कार्य छोड़ कर सेव की बागवानी और अन्य कार्यों से जुड़ना पड़ा।

कब और कैसे पहुंचे –

बगोरी गांव जाने लायक सबसे अच्छा समय अप्रेल के बाद होता है। इस गांव में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 220 किलोमीटर का सफर तय करके पंहुचा जा सकता है। प्राकृतिक सुंदरता का खजाना हर्षिल तक आप चौपहिया वहान में जा सकते हो ,उसके बाद बगोरी गांव तक दोपहिया वाहन से जा सकते हैं। हर्षिल से आगे जाने के लिए यदि पैदल जाएँ तो ज्यादा अच्छा रहेगा। प्रकृति के नजारो का पैदल यात्रा में आनंद दुगुना हो जाता है। वहां ठहरने के लिए हर्षिल में  होटल और गढ़वाल विकास निगम के गेस्ट हॉउस की व्यवस्था है।

इन्हे भी पढ़े –

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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