उत्तराखंड के पहाड़ों में हर गांव, हर घाटी की अपनी लोककथाएं और देव कथाएं हैं। इन्हीं में से एक हैं एजेंडी बूबू। अपनी-अपनी बोली के हिसाब से कोई उन्हें एजेंटी बूबू कहता है तो कोई अजेंडी बूबू । सफेद कपड़े, सफेद पगड़ी, लंबी दाढ़ी और हाथ में अपने से भी लंबी लाठी लिए बूढ़े से दिखने वाले एजेंडी बूबू, रात के समय जंगलों में भटके लोगों को रास्ता दिखाते हैं। पहाड़ की लोकबोली में वे भटके हुए से कहते हैं – “बाटा बाट हिटो, बाट छाड़ि राखो। (रास्ते पर चलो, रास्ता मत छोड़ो।) पश्चिमी रामगंगा और उसकी सहायक नदियों के…
Author: Bikram Singh Bhandari
उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व घी संक्रांति 2025 – उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक पर्व साल 2025 में 17 अगस्त 2025 को रविवार के दिन मनाया जायेगा। उत्तराखंड में संक्रांति उत्सव बड़े धूम धाम से मनाये जाते हैं। संक्रांति उत्सवों की शृंखला में आता है भाद्रपद की पहली तिथि को मनाया जाने वाला लोक पर्व घी संक्रांति ( ghee Sankranti ) जिसे घ्यू सज्ञान , ओलगिया त्यार आदि नामों से जानते हैं। प्रस्तुत लेख में हम घी संक्रांति पर निबंध ( एक संक्षिप्त लेख के रूप में ) और घी संक्रांति पर्व की शुभकामनायें वाले पोस्टर आदि का…
हरेला 2025 की शुभकामना संदेश | हरेला की हार्दिक शुभकामनायें :- जी रया, जागि रया, यो दिन बार भेटने रया! हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, आपका जीवन हरियाली और समृद्धि से भरा रहे। प्रकृति की गोद में बसा हरेला पर्व आपके जीवन में खुशहाली लाए। हरेला की हार्दिक शुभकामनाएं! हरी-भरी फुलवारी, खुशियों की बहार, हरेला पर्व लाए आपके जीवन में अपार प्यार। जी रया, जागि रया! हरेला का पर्व लाए नई उमंग, सियार जैसी बुद्धि और गंगा जैसी पवित्रता और शेर जैसा बल हो , हरेला पर्व की शुभकामनाएं! इस हरेला, प्रकृति के प्रति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प…
भूमिका :- हरेला पर कविता : उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का प्रतीक हरेला पर्व, कर्क संक्रांति पर श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति के प्रति प्रेम, कृषि विज्ञान और सामाजिक एकता को दर्शाता है। सात या पांच अनाजों का मिश्रण बोकर अंकुरण के माध्यम से समृद्धि का संदेश दिया जाता है। मातृशक्ति की देखरेख में तैयार हरेला, पकवानों और पौधरोपण के साथ पर्यावरण संरक्षण का प्रण लेता है। यह कविता हरेला पर्व की भावना को उजागर करती है, जो देवभूमि की परंपराओं और प्रकृति के प्रति उत्तराखंडवासियों के अटूट प्रेम को व्यक्त करती…
पिछले दो हफ्तों से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक गीत तहलका मचा रहा है— पंचाचूली देश ! यह गाना सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है, और लोग इसके ऊपर रील्स बनाकर इसे वायरल कर रहे हैं। लेकिन इस गीत के पीछे छिपे दर्द और गहराई को शायद ही हर किसी ने समझा हो। यह गाना न सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रस्तुति है, बल्कि उत्तराखंड के वासियों के दिल के दर्द को भी अभिव्यक्त करता है। इसे लिखा और गाया है गणेश मर्तोलिया ने, जिन्होंने अपनी साथी गायिका रुचि जंगपांगी के साथ मिलकर इस गीत को नई ऊंचाइयों तक…
IPS, IG बनी ग्राम प्रधान , पिथौरागढ़ : सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और उत्तराखंड की पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IG) विमला गुंज्याल को उनके पैतृक गांव गुंजी का ग्राम प्रधान निर्विरोध चुना गया है। धारचूला में ग्राम प्रधान चुनाव के रिटर्निंग अधिकारी प्रमोद मिश्रा ने बताया कि नामांकन के अंतिम दिन शनिवार को किसी अन्य प्रत्याशी ने पर्चा दाखिल नहीं किया, जिससे विमला गुंज्याल का निर्वाचन तय हो गया। गुंजी गांव पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में भारत-चीन सीमा के निकट स्थित है। यह केंद्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का भी हिस्सा है। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव दो चरणों – 24…
टनकपुर, 04 जुलाई 2025: देवभूमि उत्तराखंड के टनकपुर में कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का शुभारंभ हो गया है। पर्यटन आवास गृह टनकपुर में पहले दल के 45 श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत पारंपरिक रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक उत्साह के साथ हुआ। इस दल में 32 पुरुष और 13 महिलाएं शामिल हैं, जो देश के विभिन्न राज्यों से आए हैं। “बम-बम भोले” के जयघोष, ढोल-दमऊ की गूंज, छोलिया नृत्य, आरती, तिलक और पुष्पवर्षा के साथ श्रद्धालुओं का आत्मीय स्वागत किया गया। कोविड-19 महामारी के कारण 2019 से स्थगित इस पवित्र यात्रा को इस वर्ष पुनः शुरू किया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए…
उत्तराखंड में सावन 2025 का प्रारंभ और समापन – उत्तराखंड में सावन 2025 (Uttarakhand Sawan 2025) का महीना 16 जुलाई 2025 से शुरू होगा और 15 अगस्त 2025 को समाप्त होगा। यह अवधि हरेला पर्व के साथ शुरू होती है, जो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रकृति और समृद्धि का प्रतीक है। इस वर्ष सावन का पहला सोमवार 21 जुलाई को आएगा, और 16 अगस्त को सिंह संक्रांति के साथ भाद्रपद माह शुरू हो जाएगा। देश के अन्य हिस्सों में सावन की तिथियां भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, भारत के मैदानी क्षेत्रों में सावन 11 जुलाई 2025 से 9…
उत्तराखंड के हरेला पर्व पर निबंध – भारत एक विविधताओं का देश है। भारत देश में एक नीले आसमान के नीचे कई समृद्ध संस्कृति फल फूल रही हैं। भारत की अनेकताओं में कुछ त्यौहार ऐसे हैं ,जो सारे देश को एक साथ जोड़ते हैं। सावन माह में देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड में एक प्रकृति को समर्पित त्यौहार हरेला मनाया जाता हैं। उत्तराखंड के निवासी प्राचीन काल से ही ,प्रकृति के प्रति अपना प्रेम और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी दर्शाते आएं हैं। उत्तराखंड में मनाया जाने वाला यह पर्व मूलतः पर्यावरण के साथ साथ कृषि विज्ञानं को भी समर्पित है।…
हरेला पर्व 2025हरेला पर्व 2025 में कब मनाया जाएगा ? हरेला पर्व, उत्तराखंड का एक प्रमुख सांस्कृतिक और कृषि उत्सव, वर्ष 2025 में 16 जुलाई को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस पर्व के लिए हरियाला बोने की तिथियां इस प्रकार निर्धारित हैं: 11 दिन वालों का हरेला: 06 जुलाई 2025 को बोया जाएगा। 10 दिन वालों का हरेला: 07 जुलाई 2025 को बोया जाएगा। 08 जुलाई को 09 दिन का हरेला बोया जायेगा। हरियाला बोने का शुभ दिन ज्योतिषीय गणना के आधार पर चुना जाता है, जो भद्रादि दोषों से मुक्त हो। यह पर्व श्रावण मास की संक्रांति…