Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

रामनगर का परिचय: प्रकृति और इतिहास की गोद में बसा नगर (Introduction to Ramnagar) रामनगर (Ramnagar), उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल (Kumaon Division) के नैनीताल जनपद में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर है। यह नगर 29°23’35” उत्तरी अक्षांश (North Latitude) और 79°10’9″ पूर्वी देशांतर (East Longitude) पर कोसी नदी के दक्षिणी तट पर समुद्र तल से 1204 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की जलवायु समशीतोष्ण है, जो गर्मियों में सुहावनी और सर्दियों में हल्की ठंडी रहती है। 1850 में अंग्रेज कमिश्नर सर हैनरी रैमजे (Sir Henry Ramsay) द्वारा स्थापित यह शहर, कुमाऊं के पाली पछाऊं क्षेत्र और दक्षिण-पूर्वी…

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उत्तराखंड (Uttarakhand) अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं (Cultural Traditions) के लिए प्रसिद्ध है। यहां की लोक संस्कृति में रितुरैण (Riturain) और चैती गीत (Chaiti Songs) का विशेष स्थान है। ये गीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का भी काम करते हैं। रितुरैण और चैती गीत क्या हैं? (What are Riturain and Chaiti Songs? ) – रितुरैण उत्तराखंड के पारंपरिक गीत हैं जो विशेष रूप से वसंत ऋतु (Spring Season) में गाए जाते हैं। इन गीतों को चैत्र मास (Chaitra Month) में गायक-वादक समूह, औजी (Auji), वादी (Vadi), और मिराशी…

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फूलदेई त्यौहार 2025 :- उत्तराखंड के बाल लोक पर्व के रूप में प्रसिद्ध फूलदेई त्यौहार 2025 में 15 मार्च 2025 को मनाया जायेगा। उत्तराखंड में बच्चों के त्यौहार के रूप में प्रसिद्ध इस त्यौहार में बच्चे गांव में सभी की देहली पर पुष्पार्पण करके उस घर की मंगलकामना करते हैं। बदले में उस घर के लोग या गृहणी उन्हें चावल ,गुड़ और भेंट देती हैं। कुमाऊँ मंडल में इस त्यौहार को फूलदेई कहा जाता है। गढ़वाल के कई हिस्सों में इसे फुलारी त्यौहार कहते हैं। कुमाऊं में यह त्यौहार एकदिवसीय होता है जबकि गढ़वाल क्षेत्र में कही ये पर्व 8…

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बैजनाथ मंदिर, उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह मंदिर बागेश्वर जनपद के मल्ला कत्यूर पट्टी में स्थित है, जो गोमती नदी के संगम पर स्थित है। बैजनाथ का प्राचीन नाम वैद्यनाथ था, और यह स्थान कत्यूरि शासकों की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था। बैजनाथ के बारे में एक संक्षिप्त वीडियो यहां देखें : https://youtu.be/GPiAYunDFMg?si=ViROFmECh_DoLnex इस स्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है। आइए जानते हैं बैजनाथ मंदिर के बारे में…

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पहाड़ में बसंत पंचमी : उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत में गहराई तक समाया यव संक्रान्ति (स्थानीय नाम: जौ सग्यान या जौ संक्रांति  एक ऐसा कृषक उत्सव है, जो सौर पंचांग पर आधारित है। हालांकि इसे अक्सर चंद्र तिथियों से जुड़े वसंत पंचमी या श्री पंचमी के साथ जोड़ दिया जाता है, पर यव संक्रान्ति का मूल सौर संक्रांति और कृषि चक्र में निहित है। यह उत्सव उत्तराखण्ड के मूल किसान समुदाय की पहचान है, जहाँ प्रकृति के चक्र और फसलों की समृद्धि के लिए आभार व्यक्त किया जाता है। जौ त्यार कृतज्ञता और नवजीवन का पर्व : शीत ऋतु के…

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हिंदू धर्म में मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, वाणी, संगीत और कला की देवी माना जाता है। वे वेदों, पुराणों और उपनिषदों में प्रमुख स्थान रखती हैं। सरस्वती का नाम लेते ही एक दिव्य, श्वेत आभा में लिपटी देवी का स्वरूप सामने आता है, जिनके हाथों में वीणा, पुस्तक, अक्षमाला और वरद मुद्रा होती है। उनकी उपासना से व्यक्ति को ज्ञान, विवेक, कला और वाणी की समृद्धि प्राप्त होती है। सरस्वती के विभिन्न स्वरूप : सनातन धर्मशास्त्रों में मां सरस्वती के दो प्रमुख रूपों का वर्णन मिलता है— 1. ब्रह्मा पत्नी सरस्वती वे मूल प्रकृति से उत्पन्न सतोगुण महाशक्ति हैं…

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उत्तराखंड में बसंत पंचमी ( Basant Panchami in Uttarakhand )  – वर्ष 2025 में समस्त भारतवर्ष में बसंत पंचमी का त्यौहार 02 फरवरी को मनाया जा रहा है हैं। इस त्यौहार को माँ सरस्वती के जन्मदिन के रूप मनाया जाता है। और माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन से बसंत ऋतू की शुरुवात होती है। बसंत पंचमी के त्यौहार को श्रीपंचमी और माघ पंचमी के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त के शुभ काम किये जाते हैं। पीले वस्त्र धारण करके माँ सरस्वती की  पूजा अर्चना की जाती है। समस्त भारतवर्ष के…

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कर्कोटक नागदेवता मंदिर भीमताल : उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भीमताल कस्बे से 3 किलोमीटर पूर्वोत्तर दिशा में पांडेगांव के ऊपर एक प्राचीन नागदेवता कर्कोटक का पूजन स्थल स्थित है। यहां एक छोटा-सा मंदिर है । नागपंचमी के दिन इस मंदिर में स्थानीय लोग नागदेवता की पूजा करते हुए उन्हें दूध अर्पित करते हैं। कर्कोटक नागदेवता मंदिर भीमताल  से जुडी बेतिया सांप और साधु की कथा : इस स्थल से जुड़ी एक रोचक जनश्रुति है। प्राचीनकाल में यह क्षेत्र बेतिया नामक एक विशेष प्रजाति के छोटे और अत्यंत विषैले सांपों का गढ़ था। यह सांप जमीन से उछलकर व्यक्ति के…

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राधा बहिन भट्ट : समस्त उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि ” पहाड़ की गांधी ” या पहाड़ की महिला गांधी के नाम से प्रसिद्ध 91 वर्षीय राधा बहिन भट्ट को देश के सम्मानित पुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार मिलने जा रहा है। पहाड़ों में 25 बाल मंदिरों के द्वारा लगभग 15000 बच्चों को शिक्षा का लाभ दिला चुकी हैं राधा बहिन भट्ट। इसके अतिरिक्त 1 लाख 60 हजार पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण की मसाल जला चुकी हैं राधा भट्ट। आइये एक संक्षिप्त लेख के माध्यम से जानते हैं राधा बहिन भट्ट का जीवन परिचय ( Biography…

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महाकुंभ स्पेशल: आजकल महाकुंभ चल रहा है ,यह महाकुंभ 144 साल बाद होता है। प्रति बारह वर्षों में एक कुम्भ होता है और 06 साल में एक अर्धकुम्भ होता है। आज कुंभ से जुड़ा पहाड़ का एक ऐतिहासिक किस्सा सुनाने जा रहे हैं ! https://youtu.be/ZyKNHThpU38?si=U0gxwYlE2KkZEUms उत्तराखंड के इतिहास में एक ऐसा किस्सा है जो राजाओं की भक्ति और उनकी शक्ति को दर्शाता है। यह कहानी है गढ़वाल के राजा “मेदिनीशाह” की, जिनके बारे में कहा जाता है कि गंगा नदी ने उनके लिए अपनी धारा बदल ली थी। यह घटना ऐतिहासिक है या पौराणिक, यह तो तय नहीं, लेकिन इसका…

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