Sunday, November 17, 2024
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अनीशा रांगड़ उत्तराखंड की लोकगायिका का जीवन परिचय

अनीशा रांगड़ उत्तराखंड लोकगीत संगीत क्षेत्र की उभरती हुई युवा गायिका है। उन्होंने 21 वर्ष उम्र में ही उत्तराखंड लोकसंगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। छोटी सी उम्र में अनीशा की गायकी के लाखों चाहने वाले हैं। आइये जानते हैं अनीशा रांगड़ के बारे में –

प्रारम्भिक जीवन –

मूल रूप से उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल के क्यारी गाँव से संबंधित अनिशा रांगड़ का परिवार वर्तमान में डालनवाला ऋषिकेश देहरादून में रहता है। यही 1 अक्टूबर 2000 को माता श्रीमती बीना देवी और पिता श्री किशोर सिंह रांगड़ जी के घर मे अनीशा का जन्म हुआ । इनके पिता वाहन चालक का काम करते हैं, और माता गृहणी  है । निम्न माध्य्म वर्ग के परिवार से आने के बाद भी ,पिता श्री किशोर सिंह रांगड़ ने अपने बच्चों के लिए कोई कमी नही की। अनीशा से छोटी 3 बहिने और एक भाई भी है।

अनीसा की प्राम्भिक शिक्षा श्री लाल बहादुर शास्त्री जूनियर हाईस्कूल , ऋषिकेश में सम्पन्न हुई। उसके बाद 10वी की परीक्षा THDC हाईस्कूल ऋषिकेश से पास की । अनीशा ने 12वी कि परीक्षा राजकीय कन्या इंटर कालेज ऋषिकेश से पास की।

उच्च शिक्षा के तौर पर अनीसा ने विज्ञान वर्ग बैचलर ऑफ साइंस की परीक्षा 2020 में पास की है।

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अनीशा गीत संगीत के साथ साथ सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए अध्ययन भी कर रही है।

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अनीसा का गढ़वाल उत्तराखंड प्रसिद्ध गायिका बनने का सफर-

आज अनीशा उत्तराखंड की फेमस सिंगर है। अनीशा रांगड़ ( Anisha Ranghar ) कुमाउनी ,गढ़वाली और जौनसारी में गाने गाती है। अनीशा का मूल गायकी क्षेत्र गढ़वाली लोक गीत है। गढ़वाली लोक गायिका के रूप में अनीशा के अनेकों गीत रिलीज हो गए है। अनीशा ने 400 से अधिक गीतों में अपनी मधुर आवाज दी है।

अनीशा के गायकी का सफर बेहद संघर्षरत रहा। अनीशा बताती है कि उनकी माता जी को गायकी का बहुत शौक था, औऱ बहुत अच्छा गा लेती हैं, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों में वो अपना शौक पूरा नही सकी, मगर उन्होंने खुद को अपनी बड़ी बेटी अनीशा में देखा, और अनीशा को भी गीत गायन सिखाया। इसके बाद अनीशा अपने स्कूलों में भी गीत संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने लगी, और बाहर भी छोटे छोटे संगीत प्रोग्राम करने लगी

एक दिन किसी के माध्यम से उनकी मुलाकात, सोहनपाल रावत से हुई , सोहनपाल को अनीशा की गायकी अच्छी लगी ,और उन्होंने साज स्टूडियो देहरादून में,एक गाना रिकॉर्ड करने बुलाया। साज स्टुडियो में अनीशा रांगड़  की मुलाकात , गढ़वाली लोक गीतों के प्रसिद्ध गायक केशर पंवार जी से हुई,वो भी अनीशा की गायकी सुन तारीफ किये बिना नही रह सके।

अनीसा रांगड़ का पहला गीत केशर पंवार जी  खिलकेरियाँ प्राण था।  केशर पंवार और अनीशा रांगड़ का तीसरा गाना कैन भरमाई  काफी प्रसिद्ध हुवा , कैन भरमाई , कोदू झंगेरु राठी , एक गढ़वाली भाषा का गीत है। इस गीत के सुपरहिट होने के बाद , अनीशा रांगड़ ने पीछे मुड़ कर नही देखा। एक के बाद सुपर हिट गढ़वाली गीत देते चली गई ।

अनीशा रांगड़ और केशर पंवार का सुपरहिट गढ़वाली गीत “छल कपट ” को अभी तक 2 करोड़ 60 लाख vews मिल चुके हैं। अनीशा रांगड़ के फेसबुक पेज को फेसबुक कंपनी ने ब्लू टिक दिया है।

अनीशा रांगड़ गढ़वाली गीतों की एक प्रसिद्ध उभरता हुआ सितारा है। अनीशा रांगड़ के गीतों को देश की कई म्यूजिक एप्प्स कंपनियों ने अपने अपने एप्स में स्थान दिया है।

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अनीशा रांगड

अनीशा रांगड़ के प्रसिद्ध गढ़वाली गीत –

अनीशा  ने अभी तक लगभग 400 से अधिक पहाड़ी गीत गाये हैं। यहाँ उनके कुछ प्रसिद्ध  गढ़वाली गीतों की सूची दे रहें हैं।

  • छल कपट
  • काजल काजल
  • कैन भरमाई
  • हुलिया 6 नंबर पुलिया
  • पिंक प्लाजो
  • द्वी रति को जप
  • नथुली
  • स्वनिलु मुलुक
  • गजरा
  • मैं छू नोनी पौड़ी की
  • बामणी का पांडा जी
  • कंधी बंदूक
  • देहरादून वाली
  • मेरी बेऊ की रस्याण

अनीशा रांगड़ के नए गढ़वाली गीत

  • रात खुली
  • काली टिक्की

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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