Sunday, November 17, 2024
Homeरोजगार समाचारस्वरोजगारखजूर का झाड़ू - उत्तराखंड में स्वरोजगार का अच्छा साधन बन सकता...

खजूर का झाड़ू – उत्तराखंड में स्वरोजगार का अच्छा साधन बन सकता है।

उत्तराखंड में लोग कई प्रकार के स्वरोजगार कर रहे हैं। आज हम आप लोगो को एक आसान से स्वरोजगार के बारे बताने वाले हैं,जिसके लिए आपको ना ज्यादा पैसा चाहिए,और ना ज्यादा जगह। अगर गाव मे आपके आस पास खजूर की झाड़ियां है, तो आप बहुत आसानी से खजूर का झाड़ू बना कर बेच सकते हो।

उत्तराखंड में खजूर के झाड़ू बना के पैसा कमाया जा सकता है। और यह कार्य शुरू किया है, बेतालघाट निवासी श्री गोधन बिष्ट जी ने। गोधन बिष्ट यूपीएससी की तैयारी करते है। लॉकडाउन के समय उन्होंने अपने आस पास होने वाले खजूर के पत्तों को सदुपयोग किया ,और बेरोज़गारी को झाड़ू बना कर भगाया।

गोधन बिष्ट जी पहले इंसान नहीं है, जिन्होंने खजूर के पत्तो के झाड़ू बनाया। उस क्षेत्र के लगभग सभी लोग खजूर के झाड़ू का प्रयोग करते हैं। परन्तु वो लोग केवल अपने प्रयोग के लिए झाड़ू बनाया करते हैं। और गोधन जी इसी काम को एक स्वरोजगार के विकल्प के रूप में चुना।

खजूर का झाड़ू बहुत आसानी से बन जाता है, और यह फूल झाड़ू से ज्यादा फायमंद भी है। यह झाड़ू प्रयोग करने के लिए भी सुविधा जनक होता है।

उत्तराखंड में खजूर का झाड़ू –

Best Taxi Services in haldwani

उत्तराखंड में खजूर की झाड़ियां लगभग सभी जगह पर मिलती है। यह अधिकतर खुसक भूमि और अधिक ऊंचाई वाले जगहों मे ज्यादा मिलती है। उत्तराखंड में विशेषकर नैनीताल जिले में खजूर की झाड़ियां अधिक देखी जाती हैं। नैनीताल जिले के बेतालघाट और कोशियाकोतुली, गरम पानी ,खैरना, इन क्षेत्रों में खजूर के पेड़ या झाड़ियां अधिक मिलती हैं। इसके अलावा चमोली ,कुमाऊ बॉर्डर गवालदम मे भी ये खजूर के पत्तो की झाड़ियां अच्छी मात्रा में हैं।

कुमाऊ मे इसे थकोव झाड़ू या थाकोव कूच भी कहा जाता है।इसी प्रकार सम्पूर्ण उत्तराखंड में कई स्थानों पर ये खजूर की झाड़ियां पाई जाती हैं।

इसे भी पढ़े – उत्तराखंड की कामधेनु ,पहाड़ की बद्री गाय

 खजूर का झाड़ू कैसे बनाए –

खजूर के पत्तो का झाड़ू बनाने के लिए , ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं है । बहुत आसानी से ये झाड़ू बना कर ,बाजार में लगभग 50 रुपए में बेचा जा सकता है। और यह फूल झाड़ू का सबसे अच्छा विकल्प है। फूल झाड़ू मे से Powder निकलता है, जब तक पाउडर निकलना बन्द होता है, तब तक झाड़ू खत्म।

खजूर का झाड़ू
खजूर के पत्तो के झाड़ू

खजूर का झाड़ू-

आइए मित्रों बहुत ही आसान स्टेप्स मे सीखते हैं, खजूर  के पत्तो का झाड़ू बनाना –

  • खजूर का झाड़ू बनाने के लिए सर्व प्रथम खजूर के पत्तों को टहनी के साथ काट कर सूखने रख लिया जाता है।
  • पत्तो के अच्छी तरह सूख जाने के बाद ,उनकी सफाई, फिनिशिंग करके अच्छा बना लेते हैं
  • फिर सभी टहनियों को मुठ्ठी में इक्कठी करके ,उनको एक झाड़ू के रूप में बांध लेते हैं।सबकी पत्तियों की दिशा एक हो।
  • बांधने के लिए अच्छी डोरी और रंगीन टेप का इस्तेमाल करने से झाड़ू ज्यादा आकर्षक लगेगा।
  • दूसरी विधि मे आप थोड़ा ,डिजाइनर बना सकते हैं।आस पास कोई कारीगर है, तो उससे सीख सकते हैं। नहीं तो आपका स्मार्टफोन आपका गुरु है, यूटयूब मे ऐसी कई विधियां है,जिससे आप डिजाइनर झाड़ू बना सकते हो।
  • तीसरी अंतिम विधि है, मशीन से झाड़ू बनाई, लघु उद्योग के तहत ,काम लागत की  झाड़ू बनाने की मशीन मिलती है।यह मशीन आप स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लोन से भी खरीद सकते हैं। मशीन से उच्च गुणवत्ता के झाड़ू आप पूरे देश में निर्यात कर सकते हैं।
खजूर का झाड़ू
खजूर के पत्तो के झाड़ू

खजूर के झाड़ू की विशेषता –

सनातन धर्म में बताया गया है कि, माता लक्ष्मी जी को झाड़ू बहुत प्रिय होता है, और वह झाड़ू खजूर का होता है। यह झाड़ू धार्मिक कार्यों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। खजूर के झाड़ू की दूसरी खासियत यह है कि, यह झाड़ू प्रयोग करने के लिए अच्छा होता है।

जहां एक ओर फूल झाड़ू मे से पाउडर का दिक्कत होता है, वहीं खजूर का झाड़ू साफ सुथरा होता है। खजूर का झाड़ू सस्ता होता है। मतलब कोई भी आम आदमी इसका खर्च वहन कर सकता है। इसका खर्च 50से 100रुपए तक होता है। वहीं फूल झाड़ू 100से150तक का होता है। फाइबर झाड़ू 200से उपर का होता है।

अंत में –खजूर की झाड़ियां , उत्तराखंड में कई स्थानों में मिलती हैं, यह खजूर का झाड़ू बनाने में भी आसान है। इसको बेचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इस झाड़ू की उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में काफी मांग है। यह उत्तराखंड में स्वरोजगार का बेहतर विकल्प बन सकता है।

यहाँ क्लिक कर जुड़े हमारे फेसबुक पेज से।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments