Thursday, April 17, 2025
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आशियाना देहरादून फिर गुलजार होगा, जानिए आशियाना का इतिहास

उत्तराखंड देहरादून की रमणीक वादियों में बसा  महामहीम राष्ट्रपति जी का आशियाना जिसे देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियाना के नाम से भी जाना जाता है। अब चार साल बाद फिर वहाँ चहल -पहल होगी क्योंकि 8 दिसम्बर को वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देहरादून आएँगी और देहरादून में लगभग 2 दिन ठहरेंगी। अपने देहरादून यात्रा के दौरान महामहीम देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियाना में विश्राम करेंगी। चार साल बाद यह मौका फिर आया है, जब देश के सम्मानीय राष्ट्रपति अपनी उपस्थिति से देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियानाकी शान बढ़ाएंगी। समाचारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति महोदया को देहरादून में दो कार्यक्रमों में शिरकत करना है।

आशियाना देहरादून के बारे में –

उत्तराखंड देहरादून के राजपुर क्षेत्र में 170 एकड़ के क्षेत्र में बसा आशियाना अद्वितीय है। आशियाना देहरादून को देश महामहिम राष्ट्रपति जी के विश्राम हेतु चयनित किया गया है। इस ऐतिहासिक भवन में आठ कमरे और सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए दो बैरक और घोड़ों के लिए एक अस्तबल है। देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियाना में लीची और आम के बागों के बीच रमणीय प्राकृतिक सुंदरता देखते बनती है। इसके नए लान में सजावटी फूलों वाले पौधों और झाड़ियों का प्रयोग किया गया है। जो काफी सूंदर लगता है।

इस भवन का इतिहास 1920 में शुरू हुवा, जब यहाँ वायसराय के अंगरक्षकों के घोड़े के लिए एक शिविर स्थापित किया गया था। इसके बाद 1938 में इस स्थान पर कमाण्डेंड का बंगला बनाया गया। किन्तु कमांडेंड बंगला हमेशा उपेक्षित ही रहा। सन 1975 -76 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री फखरूद्दीन अली अहमद ने अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास में शिमला के बजाय देहरादून रहने की व्यवस्था बनाई तब बॉडीगार्ड नामक इस स्थान को राष्ट्रपति आशियाना के रूप में  तैयार किया गया। इसके बाद 1998 में कुछ दिनों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के आर नारायणन यहाँ रहने आये। उसके बाद 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी यहाँ ठहरे और उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय के बारह भवनों का शिलान्यास भी किया।

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इसके बाद 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद यहां अपना प्रवास कर चुकें है। उनके बाद श्रीमती द्रौपदी मुर्मू आशियाना देहरादून की शान बढ़ाएंगी। इसके अलावा शिमला और हैदराबाद में भी हैं , राष्ट्रपति आशियाना। सबसे पहले 1850 में शिमला के मशोबरा में वायसराय स्ट्रीट बनाया था। इसमें भारत के  अंग्रेज वायसराय गर्मी में रहते थे। आजादी के बाद इसे राष्ट्रपति आशियाना घोषित कर दिया गया। हैदराबाद में 1860 में वायसराय भवन बनाया गया था। जिसे स्वतंत्रा के बाद राष्ट्रपति आशियाना बना दिया गया। इसे राष्ट्रपति निलयम के नाम से जाना जाता है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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